स्वास्थ्य के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए शराब सहित स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय और दवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत पर प्रतिबंध / नियंत्रण की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दाखिल की गई है।
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि "राज्य सरकार ने पिछले सात वर्षों में दिल्ली को शराब पर रोक लगाने या नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने के बजाय उसे भारत की शराब राजधानी बना दिया है।" यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है।
आर्टिकल 47 के अनुसार राज्य को नशा मुक्त और शराब मुक्त बनाना सरकार की ड्यूटी है लेकिन @ArvindKejriwal जी ने दिल्ली को शराब नगरी बना दिया है इसीलिए मैंने दिल्ली हाई कोर्ट में PIL दाखिल किया है@PandaJay @adeshguptabjp@blsanthosh @siddharthanbjp pic.twitter.com/RAFNKplJKe
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniUpadhyay) February 26, 2022
"याचिकाकर्ता का कहना है कि दिल्ली में कुल 280 नगरपालिका वार्ड हैं और 2015 तक, केवल 250 शराब की दुकानें थीं यानी औसतन, प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में एक शराब की दुकान और 30 वार्डों में एक भी शराब की दुकान नहीं थी। हालाँकि, नई शराब नीति के तहत, राज्य सरकार शराब की दुकानों की संख्या में भारी वृद्धि करने की योजना बना रही है और यह प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में लगभग तीन शराब की दुकानें होंगी, जो न केवल मनमाना और तर्कहीन है, बल्कि खुले तौर पर कानून के शासन का भी उल्लंघन करती है। स्वास्थ्य के अधिकार की गारंटी संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत दी गई है।"
याचिका में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को अनुच्छेद 21 और 47 की भावना में मादक पेय और दवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत का 'स्वास्थ्य प्रभाव आकलन' और 'पर्यावरण प्रभाव आकलन' करने का निर्देश देने की मांग की गई है। संविधान में "अनुच्छेद 47 के अनुसार राज्य शराब-नशीले पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाने के लिए बाध्य है, लेकिन नशीले पेय और दवाओं के स्वास्थ्य खतरों के बारे में विज्ञापन देने के बजाय, राज्य शराब की खपत को बढ़ावा दे रहा है।"
इसके अलावा अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में मांग की है कि शराब की बोतलों और पैकेजों पर सिगरेट के पैकेटों पर इस्तेमाल होने वाले चेतावनी चिन्ह की तरह 'स्वास्थ्य चेतावनी' भी प्रकाशित की जानी चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से मादक पेय के 'स्वास्थ्य और पर्यावरण खतरे' का विज्ञापन प्रकाशित किए जाएं करें।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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