हिजाब की आड़ लेकर कई मुस्लिम देश अपनी हिन्दू विरोधी भड़ास निकाल रहे हैं। उन्हें लगता है, हिजाब के बहाने उन्हेें भारत पर टीका—टिप्पणी करने का मौका हाथ लगा है। इसी हिजाब के पीछे छुपकर पाकिस्तान के बाद ताजा हरकत मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी ने की है। उसने कहा है कि 'मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए'।
भारत में पाकिस्तान की आईएसआई की शह पर कुछ कथित मजहबी उन्मादी गुटों के उकसावे पर पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच एजेंडे के तहत छेड़ा गया हिजाब विवाद जानबूझकर जिलाए रखा जा रहा है। पाकिस्तान और अमेरिका के एक अल्पज्ञान रखने वाले अधिकारी द्वारा इस विवाद पर तथ्यहीन बयान देने के बाद इस्लामिक सहयोग संगठन यानी ओआईसी के महासचिव को लगा कि वह भी पीछे क्यों रहें इसलिए हिजाब की आड़ ली और कुछ पुराने मुद्दों पर अपनी अक्ल चलाने लगे।
ओआईसी के महासचिव हुसैन इब्राहिम ताहिर ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि 'मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे मामलों को लेकर जरूरी कदम उठाना होगा'। हुसैन का इशारा शायद 'बुल्लीबाईएप' की तरफ था। शायद वे नहीं जानते कि उसे चलाने वाले शरारतियों को पकड़ा जा चुका है।
दुनिया में हिन्दुत्व विरोधी गुट इतने सक्रिय हैं कि फौरन इनकी टूलकिट बन जाती है और लगभग एक जैसे तर्क देते हुए ये सोशल मीडिया पर फर्जी विमर्श चलाते रहते हैं। ओआईसी से पहले, इस मुद्दे पर अमेरिका और पाकिस्तान की तरफ से टिप्पणी की गई थी। लेकिन भारत ने देर नहीं की और दूसरे देशों के बेवजह की टिप्पणियों पर आधिकारिक तौर पर आपत्ति जताई थी। भारत ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए दूसरे देशों को टिप्पणी करने से बाज आने को कहा था।
इतना ही नहीं, मुसलमानों के लिए अपना 'दर्द' उड़ेलते हुए ओआईसी ने ट्वीट करके लिखा—'इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव ने उत्तराखंड के हरिद्वार में 'हिंदुत्व' समर्थकों की तरफ से मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान, सोशल मीडिया साइट पर मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं, और साथ ही कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर रोक लगाने पर गहरी चिंता जताई है।'
दुनिया में हिन्दुत्व विरोधी गुट इतने सक्रिय हैं कि फौरन इनकी टूलकिट बन जाती है और लगभग एक जैसे तर्क देते हुए ये सोशल मीडिया पर फर्जी विमर्श चलाते रहते हैं। जैसा पहले बताया, ओआईसी से पहले, इस मुद्दे पर अमेरिका और पाकिस्तान की तरफ से टिप्पणी की गई थी। अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय पांथिक स्वतंत्रता मामले के राजदूत राशिद हुसैन ने अपनी तरफ से हिजाब विवाद में टांग अड़ाई थी। उन्होंने इस विषय पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘पांथिक स्वतंत्रता में लोगों को अपने मजहबी पहचान के कपड़े पहनने की पूरी आजादी होती है। कर्नाटक को मजहबी लिबास की अनुमति का निर्धारण नहीं करना चाहिए। स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध पांथिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और महिलाओं तथा लड़कियों को कलंकित करता है, उन्हें हाशिए पर लाता है।'
इसी विषय में टांग अड़ाते हुए पाकिस्तान के कई मंत्री भी अपनी बेमांगी 'राय' सामने रख चुके हैं। पड़ोसी इस्लामी देश के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना था कि मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना बुनियादी मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।'
लेकिन भारत ने देर नहीं की और दूसरे देशों के बेवजह की टिप्पणियों पर आधिकारिक तौर पर आपत्ति
जताई थी। भारत ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए दूसरे देशों को टिप्पणी करने से बाज आने को कहा था। हिजाब विवाद पर आलोचना करने वालों को राह दिखाते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने वक्तव्य जारी किया था। इसमें उनका कहना था कि देश के अंदरूनी मामलों पर ‘किसी इतर उद्देश्य से प्रेरित टिप्पणियां’ स्वीकार्य नहीं हैं।
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