पाकिस्तान की कंगाली दूर होगी, ऐसे कोई आसार निकट भविष्य में नजर नहीं आ रहे हैं। बहुत हाथ—पैर जोड़कर प्रधानमंत्री इमरान खान ने सऊदी अरब की अनेक कंपनियों से निवेश की बात की थी, लेकिन अभी तक किसी कंपनी ने अपनी किसी भी परियोजना पर काम शुरू नहीं किया है। इसमें उन्हें सबसे बड़ी खामी पाकिस्तान में बुनियादी जरूरतों के अभाव की दिख रही है। यानी पाकिस्तान के लिए 20 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दूर की कौड़ी नजर आ रही है।
पाई—पाई को मोहताज हो चले पाकिस्तान को उबारने ने इमरान खान के सारे प्रयास बेकार होते दिख रहे हैं। बिगड़ते आर्थिक हालात को सुधारने के लिए उनके प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाने की कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं। पाकिस्तान को अब सऊदी अरब से लग रहा झटका गंभीर माना जा रहा है।
पाकिस्तान ने पिछले साल सऊदी अरब से 20 अरब डालर के निवेश का समझौता उस क्त किया था जब वहां के युवराज मोहम्मद बिन सलमान इस्लामाबाद के दौरे पर गए थे। लेकिन वह समझौता धरातल पर नहीं उतर रहा है। हालांकि इस्लामाबाद ने इससे बहुत उम्मीदें लगा रखी थीं।
पाकिस्तान की निवेश नीति में स्थिरता और पारदर्शिता की खामी भी इन सऊदी कंपनियों को निर्णय लेने से रोक रही है। निवेशक पाकिस्तान में लगातार राजनीतिक दखल से पैदा होने वाली उठापटक को भी देख रहे हैं। कुशल श्रमिकों की कमी की वजह से भी कोई पाकिस्तान में पैसा लगाने के लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रहा है।
पाकिस्तान के एक अखबार 'इस्लाम खबर' की रिपोर्ट है कि 10 अरब अमेरिकी डॉलर की सऊदी अरब की अरामको तेल रिफाइनरी का काम भी शुरू नहीं हुआ है, जिसका पाकिस्तान को लंबे समय से इंतजार था। एफडीआई में लगातार उतार से परेशान इमरान खान ने अक्तूबर, 2021 को सऊदी-पाकिस्तान निवेश मंच से अपने भाषण में सऊदी अरब की कंपनियों और कारोबारियों से पाकिस्तान में पैसा लगाने की अपील की थी।
लेकिन, पता चला है कि अरब की कंपनियां लचर बुनियादी ढांचे, बिजली और कनेक्टिविटी के उचित इंतजाम न होने तथा साथ ही, वहां व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से पैसा लगाने का मन नहीं बना पा रही हैं। कंपनियों को बैंकिंग सुविधा को लेकर भी चिंताएं हैं।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान की निवेश नीति में स्थिरता और पारदर्शिता की खामी भी इन सऊदी कंपनियों को निर्णय लेने से रोक रही है। निवेशक पाकिस्तान में लगातार राजनीतिक दखल से पैदा होने वाली उठापटक को भी देख रहे हैं। कुशल श्रमिकों की कमी की वजह से भी कोई पाकिस्तान में पैसा लगाने के लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रहा है।
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