संयुक्त राष्ट्र से हाल ही में 12 मानवाधिकार संगठनों ने पत्र लिखकर बांग्लादेश के आरएबी को शांति अभियानों में शामिल न करने की अपील की है। पत्र के अनुसार, इस बल पर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लगे हैं।
आरएबी को लेकर विदेशों में लगातार बढ़ते जा रहे ऐसे दबाव के बाद भी बांग्लादेश की सरकार अपने इस अर्धसैनिक बल 'रैपिड एक्शन बटालियन' (आरएबी) के पाले में पूरी दमदारी से खड़ी दिख रही है। प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी की सरकार ने साल 2020 और 2021 के लिए जिन 230 पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है, उनमें बहुत बड़ी संख्या आरएबी के अधिकारियों और जवानों की है। इससे साफ संकेत जाता है कि देश की सरकार ऐसे किसी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले अमेरिका द्वारा आरएबी के अनेक पूर्व और वर्तमान अधिकारियों पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों के चलते प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन अब 12 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का यह पत्र सामने आने से आरएबी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस पत्र में संयुक्त राष्ट्र से साफ—साफ कहा गया है कि वह अपने किसी भी अंतरराष्ट्रीय शांति अभियान में आरएबी को शामिल न करे।
प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी की सरकार ने साल 2020 और 2021 के लिए जिन 230 पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है, उनमें बहुत बड़ी संख्या आरएबी के अधिकारियों और जवानों की है। इससे साफ संकेत जाता है कि देश की सरकार ऐसे किसी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है।
विदेशी सरकारों और मानवाधिकार संगठनों के इस कड़े रुख के बावजूद बांग्लादेश की हसीना सरकार ने यह विवाद शुरू होने के साथ ही इस विषय पर आक्रामक रवैया अपनाया है। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.के. अब्दुल मोमिन ने हाल में एक बयान दिया है कि आरएबी को तो अमेरिका ने ही प्रशिक्षण दिया है। यह उसी का प्रशिक्षण है कि लोगों से कैसे बर्ताव करना चाहिए, आरोपियों से पूछताछ कैसे करनी चाहिए। मोमिन ने विस्तार से आरएबी के अधिकारियों तथा जवानों के प्रशिक्षण में अमेरिका और ब्रिटेन की भूमिका के बारे में बताते हुए अपने इस अर्धसैनिक बल की प्रशंसा की।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री का कहना है कि आरएबी बहुत ही कुशल बल है। 'आरएबी के जवान भ्रष्ट नहीं हैं। इसी वजह से उन्होंने देश की जनता का भरोसा जीता है।’ हालांकि उनका यह कहना तो था कि अगर लोगों से व्यवहार करने के तरीके में कोई कमी या मानवाधिकार हनन का कोई मामला सामने आयेगा, तो सरकार बेशक आरएबी जवानों करे फिर से प्रशिक्षण लेने को कहेगी। मोमिन ने कहा कि आरएबी से जुड़े कुछ अधिकारियों पर जिस तरह से अचानक प्रतिबंध लगाया गया है, वह किसी तरह सही नहीं है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के आरएबी पर प्रतिबंध लगाने के वक्त भी बांग्लादेश की सरकार ने कुछ अधिकारियों पर लगाए गए मानवाधिकार हनन के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया था।
इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव गुतेरस के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिच का कहना है कि आरएबी के विरुद्ध 12 मानवाधिकार संगठनों का पत्र मिला है जिस पर संयुक्त राष्ट्र अवश्य ही विचार करेगा। इन सभी संगठनों ने पत्र में आरएबी पर मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के अनेक आरोप लगाए हैं। इन संगठनों का कहना है कि ऐसे दागी बल को संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में शामिल करना ठीक नहीं होगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से बताया गया है कि उक्त संगठनों का आरएबी के विरुद्ध लिखा पत्र 8 नवंबर, 2021 को सौंपा गया था। वह पत्र गत 20 जनवरी को सार्वजनिक जारी किया गया है। प्रवक्ता दुजारिच ने पत्र के बारे में इतना ही कहा है कि हम अवश्य ही इसे बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं। उनका कहना है कि जिस भी देश से सैन्य बल को संयुक्त राष्ट्र अभियानों के लिए बुलाया जाता है, उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड की पूरी सख्ती से पड़ताल की जाती है।
जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश के इस अर्धसैनिक बल आरएबी पर बढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद भी बांग्लादेश सरकार का उसके साथ खड़े रहना दर्शाता है कि वह देश के सम्मान की रक्षा को लेकर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है।
टिप्पणियाँ