सुनील देवधर
आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में हुई हिंसा ने फिर एक बार प्रदेश की जगन सरकार की तुष्टीकरण की नीति को बेनकाब कर दिया है। कुरनूल के आत्मकुर में हुई घटना ने राज्य में उभरते मुस्लिम कट्टरपंथ को उजागर किया है। कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा आत्मकुर में अवैध रूप से जबरन एक मस्जिद का निर्माण करने की कोशिश की गई। स्थानीय लोगों ने जब इसके खिलाफ आवाज उठाई तो पुलिस ने इस पर रोक लगा दी, लेकिन 8 जनवरी को सैकड़ों हथियारबंद मुस्लिमों की भीड़ ने न सिर्फ लोगों पर, बल्कि पुलिस थाने पर भी हमला कर दिया।
कट्टरपंथियों का बुलंद हौसला
आप सोच सकते हैं कि आंध्र प्रदेश में कट्टरपंथियों के हौसले किस कदर बुलंद हो गए हैं कि उन्होंने न तो कानून-व्यवस्था को माना और जब शिकायत के बाद कार्रवाई करने की बात हुई तो थाने पर ही हमला कर दिया। इस दौरान कई वाहनों को जलाया गया, पत्थरबाजी हुई, शिकायकर्ताओं समेत मासूम लोगों पर हमले किए, थाने में आग लगा दी गई। इतना ही नहीं, पूरे इलाके को उन्मादियों ने घेर लिया ताकि डर का माहौल बनाकर कार्रवाई को रोका जा सके।
कल्पना करिए, जहां हजारों हथियारबंद मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ आपको घेर ले, आपको मारने के लिए आतुर हो, आप पर पथराव हो, वाहनों को जला दिया जाए, आप पुलिस थाने जाएं तो आधी रात को आपको मारने की कसम खाते हुए थाने को ही घेर लिया जाए… शायद इसे पढ़कर ही आप गंभीरता को समझ सकते हैं। यह आप कल्पना करने में भी जितना घबरा रहे हैं, वह हकीकत में आत्मकुर में 8 जनवरी 2022 की आधी रात को हो चुका है, जब कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष समेत स्थानीय लोगों के साथ ऐसा ही किया।

हिंदू इलाके में अवैध मस्जिद निर्माण
दरअसल, यह सब एक हिंदू बहुल क्षेत्र में मुस्लिमों द्वारा अवैध रूप से जबरन एक मस्जिद बनाने को लेकर शुरू हुआ था। आत्मकुर में महमदुल्लाह नाम के शख्स की पत्नी की 9 जुलाई 2020 को मृत्यु हो गई। महमदुल्लाह पद्मावती स्कूल के पीछे की जमीन पर एक मस्जिद बनाना चाहता था जो उसके नाम पर थी। इस इलाके में मुख्य रूप से हिंदू रहते हैं और एकमात्र महमदुल्लाह का मुस्लिम परिवार रहता है। उस जमीन पर मस्जिद बनाने की इजाजत भी नहीं ली गई। स्थानीय लोगों ने मस्जिद निर्माण पर आपत्ति जताई क्योंकि इस हिन्दू बहुल क्षेत्र में एक मुस्लिम परिवार के लिए मस्जिद और वो भी अवैध!
साथ वाले विद्यालय के प्रबंधन ने भी इस अवैध निर्माण पर आपत्ति दर्ज की। जब महमदुल्लाह नहीं माना तो स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस और प्रशासन से की। इसके चलते 27 अगस्त 2021 को निर्माण कार्य रोक दिया। तब मुस्लिमों ने आत्मकुर के वाईएसआरसीपी पार्टी के विधायक शिल्पा चक्रपाणि रेड्डी पर मस्जिद निर्माण के लिए दबाव डाला। कुरनूल के विधायक हफिज खान और राज्य के उप मुख्यमंत्री अमजद बाशा ने इन कट्टरपंथियों का हौसला बुलंद किया।
मस्जिद समर्थकों की भीड़ ने किया हमला
फिर शनिवार 8 जनवरी की सुबह सैकड़ों लोग अचानक इकट्ठा हो गए, बिना अनुमति के फिर से मस्जिद निर्माण कार्य शुरू कर दिया। स्थानीय लोगों ने विरोध किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष डॉ. बुडा श्रीकांत रेड्डी, जो उस क्षेत्र के एक सम्मानित आॅथोर्पेडिक सर्जन है, से संपर्क किया। वे देर शाम उस अवैध निर्माण स्थल पर पंहुच गए। आने से पहले डॉ. श्रीकांत रेड्डी जी ने डीएसपी से बात कर उन्हें पूरी परिस्थिति से अवगत कराया और वहां पंहुचने का निवेदन किया, जिस पर डीएसपी ने हामी भरी।
स्थानीय नागरिकों के साथ मिलकर जब डॉ. रेड्डी ने अवैध निर्माण करने वालों से बातचीत करने का प्रयास किया तब अचानक से मस्जिद निर्माण के समर्थन में भारी भीड़ उमड़ी। धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ती गई और उन्होंने हथियार निकालना शुरू किया और धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले नारे लगाने लगे। स्थानीय लोगों को सरेआम धमकाया गया और उनसे हाथापाई की, जिसमें कुछ लोग जख्मी हुए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए भाजपा के जिलाध्यक्ष डॉ. बुडा श्रीकांत रेड्डी ने स्थानीय लोगों के साथ शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाने का फैसला किया। इस दौरान भीड़ अधिक हिंसक हो गई। उन्होंने बुडा श्रीकांत रेड्डी और स्थानीय लोगों पर हमला कर दिया। वहीं जब डॉ. रेड्डी घटनास्थल से निकलने की तैयारी कर रहे थे, तब ही घात लगाकर बैठे कुछ दंगाइयों ने उनकी कार पर पथराव किया।
पीएफआई के गुंडों ने फैलाई अफवाह, हिंसा
अवैध मस्जिद के समर्थकों की ओर से पथराव के दौरान एक पत्थर उन्हीं के लिए नारे लगाने वाले एक लड़के को लगा और वह चोटिल हो गया। झूठी खबर फैला दी गई कि डॉ. रेड्डी की कार के नीचे कुचलने से लड़के की मौत हो गई। भीड़ में सम्मिलित पीएफआई के गुंडों पर झूठी अफवाह फैलाने के आरोप हैं। परिणामस्वरूप देर रात हजारों की संख्या में मुसलमान थाने के आसपास जमा हो गए। उनके पास कुल्हाड़ी, दरांती जैसे हथियार थे। उन्होंने थाने पर पथराव किया और एक हिस्से में तोड़फोड़ की। खिड़कियों को तोड़ दिया गया।
कट्टरपंथियों की भीड़ पुलिस थाने को आग लगाने और भाजपा जिलाध्यक्ष समेत अन्य लोगों को मारने के नारे लगाते हुए हिंसक हो गई। भीड़ के एक हिस्से ने यहां तक नारे लगाए कि भाजपा के जिलाध्यक्ष डॉ. रेड्डी को उन्हें सौंप दिया जाए और उनकी हत्या की योजना तक बना ली गई।
अतिरिक्त बल के आने तक पुलिस ने सुरक्षा के तहत थाने की सभी लाइट बंद कर दीं। इसी बीच भाजपा के जिलाध्यक्ष की कार जला दी गई, कई मोटरसाइकिलों को क्षतिग्रस्त कर दिया, 5 पुलिसकर्मी इस हमले में घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क को जाम कर दिया गया जिससे आम जनता को भी काफी परेशानी हुई। रातों-रात पूरा शहर दहशत में आ गया। आधी रात को पुलिस अधीक्षक थाने पहुंचे और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग करनी पड़ी। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह रही कि एक क्षेत्रीय मीडिया चैनल ने मुस्लिम लड़के की मौत के बारे में झूठी अफवाह पर भरोसा किया और उससे जुड़ी जानकारी प्रसारित भी की। किसी भी मीडिया चैनल ने यह नहीं बताया कि इसकी शुरूआत एक हिंदू बहुल इलाके में बनने वाली अवैध मस्जिद से जुड़ी है। ज्यादातर ने इस तरह दिखाया कि भाजपा जिलाध्यक्ष, उनके समर्थकों और अन्य लोगों के बीच हाथापाई हो गई।

पीड़ितों पर ही पुलिस का निशाना
पुलिस प्रशासन ने भी पीड़ितों को ही निशाना बनाया। भाजपा जिलाध्यक्ष बुडा श्रीकांत रेड्डी पर ही धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास, 148 के तहत उपद्रव आदि अन्य संगीन धाराएं लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। भाजपा के जिला महामंत्री एवं मंत्री पर भी कई धाराओं में मामले दर्ज किये गए।
सबसे बड़ा विरोधाभास यह रहा कि पुलिस ने भाजपा के नेताओं को तो गिरफ्तार किया लेकिन, सत्ताधारी पार्टी वाईएसआरसीपी के उप-मुख्यमंत्री अमजद बाशा और विधायक हफीज खान समेत कई अन्य नेता, जो आत्मकुर पहुंचकर राजनीतिक फायदे के लिए दंगाइयों का खुलेआम समर्थन कर रहे थे, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की।
इस घटना में ‘अचानक’ जैसा कुछ नजर नहीं आता। जिस तरह कुछ ही घंटों में भीड़ ने हथियार जोड़ लिए, सुनियोजित तरीके और सोची-समझी रणनीति के तहत ही यह सब किया ऐसा स्पष्ट दिखाई देता है।
जब स्थानीय लोगों ने अवैध निर्माण के बारे में अधिकारियों से शिकायत की तो त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए थी। इससे तो ऐसा ही लगता है कि दंगाइयों को राजनीतिक समर्थन मिला हुआ था जो खुद मस्जिद बनाने के पक्षधर थे।
पुलिस ने अबतक कुल 67 दंगाइयों को हिरासत में लिया है, जिनमें सात सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया (एसडीपीआई) के सदस्य हैं। जिला पुलिस अधिक्षक सुधीर रेड्डी ने पुष्टि की कि पुलिस को हमलों में इन सात आरोपियों की संलिप्तता के पर्याप्त सबूत मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एसडीपीआई ने जनवरी के पहले सप्ताह में वेलगोडु मंडल में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था जिसमें इन आरोपियों ने भाग लिया था। एक ऐसे ही अन्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन नंदयाल शहर में भी किए जाने की बात कही।
वाईएसआरसीपी सरकार का हिंदू विरोधी रुख
सेकुलरिज्म का तात्पर्य सभी पंथों-मतों के साथ समान व्यवहार करना है लेकिन तुष्टीकरण की राजनीति ने इसका मतलब ही पलट कर हिंदू विरोध पर केंद्र्रित कर दिया है। सेकुलरिज्म के मायने हिंदुओं के भावनाओं से खिलवाड़ और अन्यों का तुष्टिकरण करना भर हो गया है।
सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी सरकार के कई कृत्यों से आप तुष्टीकरण की राजनीति का अंदाजा लगा सकते हैं। जैसे- इमामों और पादरियों को पेंशन देना, सरकारी खर्च से चर्चों का निर्माण किया जाना, ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम मंदिर प्रांगण में गोमांस खाने वाले मुस्लिमों को दुकानों के लिए अनुमति देना, दंगों में शामिल मुस्लिमों के खिलाफ मामले और आरोप वापस लेना।
इसके अलावा हिंदुओं को प्रताड़ित करना भी इनके अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का ही एक हिस्सा है। जैसे – हिंदू मंदिरों में जाने के लिए टिकट रखना और उनके भी दाम लगातार बढ़ाना, मंदिरों की जमीनों को नीलाम करना, सैकड़ों हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों पर कोई कार्रवाई ना करना।
इस तरह का घोर तुष्टिकरण समाज में कट्टरपंथी ताकतों को प्रोत्साहित करता है। वाईएसआरसीपी के सत्तालोलुप मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी निजी स्वार्थ की राजनीति में समूचे आंध्र प्रदेश की जनता को खतरे में डाल रहे हैं।
आंध्र प्रदेश सरकार की इस तुष्टीकरण की राजनीति को मुंहतोड़ जबाब देने के लिए भाजपा सक्षम है। भाजपा कार्यकतार्ओं ने राज्यभर में जगह-जगह प्रदर्शन कर राज्य सरकार पर इस मामले में कार्रवाई करने को मजबूर कर दिया है। वहीं 12 जनवरी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने इस हिंसा पर माननीय राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन जी को ज्ञापन सौंपा है जिसमें इस घटना की उच्चस्तरीय जांच व इस मामले में निरपराध डॉ. बुडा श्रीकांत रेड्डी जी के खिलाफ दायर सभी एफआईआर रद्द कर उन्हें रिहा करने की मांग की गई है।
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