मनोज ठाकुर
आम आदमी पार्टी पंजाब में दावा कर रही है कि भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन दिया जाएगा। पार्टी प्रमुख और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल हर सभा में इस बात को दोहरा भी रहे हैं, लेकिन उनके इन दावों की पोल टिकट वितरण में खुल गई। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 115 सीट पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसमें 32 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इनमें अजनाला प्रत्याशी कुलदीप सिंह धालीवाल के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। सुल्तानपुर लोधी से प्रत्याशी सज्जन सिंह चीमा के खिलाफ जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज है। AAP ने जसवीर सिंह गिल को मैदान से उतारा है। उसके खिलाफ धारा 420 के दो मामले दर्ज हैं। मौर से प्रत्याशी सुखवीर सिंह पर धारा 420 के तहत तीन मामले दर्ज हैं। पटियाला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी डॉ. बलबीर सिंह और दीनानगर से शमशेर सिंह पर भी धोखाधड़ी का 1-1 मामला दर्ज है। तलवंडी साबो से बलजिंदर कौर, सुनाम से अमन अरोड़ा, महला कलां से कुलवंत सिंह पंडोरी, बठिंडा ग्रामीण से अमित, साहनेवाल से हरदीप सिंह, कादियां से जगरूप सिंह सेखवां, श्री हरगोबिंदपुर से अमरपाल सिंह, मजीठिया से सुखजिंदर लाली, अमृतसर पूर्व से जीवनजोत कौर बाबा बकाला से दलबीर सिंह, नकोदर से इंद्रजीत कौर, दसूया से करमबीर सिंह घुमन, चाबेवाल से हरमिंदर, पायल से मनविंदर सिंह पर मारपीट व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
पंजाब में सामाजिक कार्यकर्ता सुखचैन सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी की पंजाब में पोल खुल गई है। दावा तो यह किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार मुक्त, नशा माफिया और रेत माफिया पर रोक लगाई जाएगी। लेकिन क्या इस तरह के नेताओं के दम पर AAP पंजाब की व्यवस्था दुरुस्त कर पायेगी? क्या पार्टी को पंजाब में ऐसे नेता ही नहीं मिले जो साफ स्वच्छ छवि के हों? एक अन्य युवक हरपाल सिंह सेखो ने बताया कि आम आदमी पार्टी पंजाब में झूठ बोल कर सिर्फ सत्ता हासिल करना चाह रही है। इनकी कोशिश है कि किसी तरह से एक बार सत्ता पर काबिज हो जाएं। इन्हें पंजाब से कोई लेना देना नहीं है। अब पंजाब के मतदाता इनकी असलियत जान चुके हैं। इस बार आम आदमी पार्टी के झांसे में कोई आने वाला नहीं है।
आम आदमी पार्टी का चरित्र पंजाब में उजागर हो गया है। किसानों को भी AAP वोट के लिए इस्तेमाल करना चाहती थी, लेकिन जब किसानों ने अपनी अलग पार्टी बना ली तो उन्हें भला-बुरा कहना शुरू कर दिया है। क्योंकि पार्टी जो चाह रही थी, वह मंशा पूरी नहीं हुई। AAP की कोशिश है कि किसानों के साथ खड़ा होने का वादा कर उनके वोट हासिल कर सत्ता पर काबिज हो जाए। बाकी जो होगा बाद में देखा जाए। लेकिन अब जब किसान खुद पंजाब की राजनीति में हाथ आजमाने लगे तो AAP को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है। इससे तो यही पता चल रहा है कि यह पार्टी कितनी मौकापरस्त।
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