‘आजादी के बाद शासकों ने बड़ी भूलें की हैं’- जगद्गुुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती
Saturday, May 21, 2022
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • Subscribe
होम भारत

‘आजादी के बाद शासकों ने बड़ी भूलें की हैं’- जगद्गुुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती

WEB DESK by WEB DESK
Jan 18, 2022, 09:24 pm IST
in भारत, साक्षात्कार, दिल्ली
जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती महाराज , कांचीकामकोटि पीठ

जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती महाराज , कांचीकामकोटि पीठ

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail
कांचीकामकोटि पीठ के जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती महाराज का एक साक्षात्कार 3 अगस्त,1986 के अंक में प्रकाशित हुआ था। प्रस्तुत है सका संपादित स्वरूप

आज देश में हिन्दू धर्म के पालन और प्रचार की स्थिति के विषय में आप क्या सोचते हैं?
कहा जा सकता है कि मुस्लिम राज्य की स्थिति से तो आज स्थिति अच्छी है, लेकिन सरकार हिन्दुत्व के प्रति एकदम निरपेक्ष है। हिन्दू धर्म किसी ने आरंभ किया, ऐसा हम नहीं कह सकते। यह तो भगवान के समान अनादि है। गीता में कहा गया है कि जिसका जन्म नहीं होता उसका नाश भी नहीं होता। हिन्दू धर्म की उत्पत्ति नहीं तो नाश भी नहीं…परन्तु ह्रास हो रहा है। 1300 वर्ष तक विदेशी आक्रमणों के बाद भी हम हैं, परन्तु ह्रास हो रहा है। सूर्य-चन्द्रमा का नाश नहीं होता-परन्तु ह्रास होता है। जैसे रात्रि में सूर्यास्त परन्तु प्रात:काल फिर नए सिरे से सूर्योदय।

वर्षा में गंगा में अनेक झीलें मिल जाती हैं। इसी प्रकार विदेशी संस्कृति का प्रभाव बढ़ने पर लोगों के विचारों में परिवर्तन आता है। इसी कारण आज के युगधर्म में धर्म-कर्म के प्रति अनास्था उत्पन्न हो रही है। पानी के बहाव के साथ तैरना कोई आश्चर्य की बात नहीं पर विपरीत तैरना, इसमें साहस लगता है।
रामायण में कुछ भाइयों का वर्णन आया है। राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चार भाई, चारों की माता अलग थीं-फिर भी आपस में कितना प्रेम। बाली और सुग्रीव दो भाई, दोनों की माता एक थीं, फिर भी दोनों एक-दूसरे के शत्रु। एक भाई ने दूसरे को मरवाया। रावण, विभीषण और कुंभकर्ण, ये तीनों भी भाई-माता एक, फिर भी स्वभाव भिन्न, प्रकृति भिन्न, रावण-रजोमुखी, न्याय-अन्याय का विचार नहीं, प्रत्येक इच्छित चीज को चोरी से प्राप्त करना, सीता माता को चोरी से लाया। कुंभकर्ण-तपोगुणी-सदैव सोना, जागना तो इच्छा करना, खाना यही काम।

हमें देशभक्त बनना होगा। बिना किसी लाभ के विचार के, बिना सीट का विचार किए तो आत्मसंतुष्टि, मन की शांति, देश का कल्याण-यही इच्छा मन में रखना। संसार में जो जन्म लेता है वह मरता भी है। लोग कहें कि कैसा अच्छा आदमी मर गया। सदैव लोग हमें बाद में दो मिनट मौन रखकर, रोकर ही हमारा स्मरण समाप्त न कर दें। ऐसा हमें प्रयास करना चाहिए। 

विभीषण-सतोगुणी, न्याय-अन्याय का विवेक। रावण के सीता को चुरा कर लाने का कुंभकर्ण ने जगने पर विरोध किया। रावण को सीता को वापस करने को कहा-परन्तु फिर सो गया। साधारण समाज तो आज अन्याय को देखकर केवल मौखिक विरोध कर अपने कार्य में लग जाता है।

विभीषण ने भी विरोध किया। अन्याय का साथ छोड़ दिया। भाई होने पर भी रावण का त्याग किया। यह धार्मिक वृत्ति का लक्षण है। अन्त में रावण और कुंभकर्ण मारे गये। विभीषण का पट्टाभिषेक (राजतिलक) हुआ। आजकल राजनीति में सीट, कुर्सी, पद के लिए दल परिवर्तन है, पर विभीषण ने इसके लिए पक्ष नहीं बदला, बिना किसी आशा—आकांक्षा के रावण का त्याग किया। हमारा भाईचारा भी बिना किसी आशा और आकांक्षा का होना चाहिए। आज भी हम अंग्रेजों के संस्कार, परम्परा कानूनों पर ही चल रहे हैं-इसी कारण देश में अनेक समस्याएं हैं। स्वतंत्रता का अर्थ ही है संस्कृति का पुनरुत्थान। परन्तु हमारा दुर्भाग्य कि भारत में ऐसा नहीं। जितनी भूलें हमारे पूर्वजों ने गत एक हजार वर्षों में नहीं कीं, आजादी के बाद शासकों ने उतनी की हैं। उन्हीं के दुष्परिणाम आज हम देख रहे हैं।
जापान भी हमारे साथ ही आजाद हुआ। उनके यहां जितने लोग मरे, हमारे तो उतने गिरफ्तार होकर जेलों से बाहर आ गए। जापान के लोगों ने ज्यादा कष्ट सहे, काफी नुकसान हुआ; फिर भी वह आज हमसे आगे है। कारण, उन्होंने अपने देश और धर्म की आस्था के आधार पर कर्म का निर्माण किया।

स्वामी जी, देश की परिस्थिति में परिवर्तन लाने के लिए संन्यासियों की भूमिका क्या होनी चाहिए? प्राय: आज यह देखा जाता है कि बड़े-बड़े आलाशीन मठों में वे रहते हैं और सामान्यजन की ओर उनका ध्यान नहीं रहता।
(हंसते हुए) हरिद्वार, ऋषिकेश में बहुत संन्यासी हैं। उन्हें ले जाओ पकड़कर वनवासी क्षेत्रों में। उन्हें जाना चाहिए, यही तो संन्यासी का धर्म है। ईसाई मिशनरी कितनी तेजी से करोड़ों रुपए खर्च कर वनवासी क्षेत्रों में धर्मान्तरण करते हैं-वह भी लोभ—लालच के बल पर। लेकिन हिन्दू समाज जागता ही नहीं। सरकार भी हिन्दू धर्म से ज्यादा ईसाई मिशनरियों का साथ देती है, क्योंकि उनके वोट चाहिए। अब धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद जैसी संस्थाओं के कारण हिन्दू चेतना फैली है। यह आशाजनक स्थिति है। इस वातावरण को जोर देकर बढ़ाना चाहिए।

छुआछूत, दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों के विषय में आपका क्या रुख है?
अस्पृश्य कहे जाने वाले हिन्दुओं को हमने मंदिर में पुजारी (अर्चक) बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया है। मन बदलने होंगे। अस्पृश्यों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में परिवर्तन करना पड़ेगा। तब स्वयंमेव अस्पृश्यता मिट जाएगी।

जहां तक दहेज की बुराई का प्रश्न है, इस विषय में माताओं को पहल करनी चाहिए। हर मां यह सोचे कि उसके विवाह में माता-पिता को दहेज के कारण कितना कष्ट हुआ था, इसलिए अपने बेटे की शादी में वह दहेज न ले। एक माता ही दूसरी माता के हृदय का कष्ट समझ सकती है। माताएं न लें तो दहेज की बुराई भी खत्म हो जाएगी। दहेज की प्रथा के वर्तमान रूप को शास्त्रों का समर्थन नहीं है। दहेज न लाने के कारण बहुओं को सताना एक अधार्मिक काम है, पाप है।
प्रस्तुति : तरुण विजय  
 

ShareTweetSendShareSend
Previous News

चीन ईरान में बनाने जा रहा है कारोबार का बड़ा केन्द्र, 25 साल का हुआ करार

Next News

श्रीलंका में खाने की कमी से भुखमरी की शिकार हो रही जनता, बच्चे उपवास को मजबूर

संबंधित समाचार

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

गेहूं के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध, खाद्य सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाया कदम

खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

इकराम, समसुल, जलाल और अख्तर समेत पांच डकैत गिरफ्तार

ज्ञानवापी : शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला इनायत खान गिरफ्तार

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

‘सत्य के साथ साहसी पत्रकारिता की आवश्यकता’

गेहूं के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध, खाद्य सुरक्षा को लेकर सरकार ने उठाया कदम

खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

अफ्रीकी देश कांगो में मंकीपॉक्स से 58 लोगों की मौत

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

मंत्री नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम से संबंध के साक्ष्य मिले, कोर्ट ने कहा- कार्रवाई जारी रखें

इकराम, समसुल, जलाल और अख्तर समेत पांच डकैत गिरफ्तार

ज्ञानवापी : शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला इनायत खान गिरफ्तार

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

शिमला में पत्रकारों का सम्मान

‘हिंदुत्व भारत का मूलदर्शन और प्राणतत्व है’

‘हिंदुत्व भारत का मूलदर्शन और प्राणतत्व है’

10 से 10 तक : दर्दनाक हादसे में 9 लोगों की मौत, 4 घायल

बलरामपुर : बारातियों से भरी बोलेरो की ट्रैक्टर ट्रॉली से टक्कर, 6 लोगों की मौत

  • About Us
  • Contact Us
  • Advertise
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • Vocal4Local
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies