छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के अति नक्सल प्रभावित इलाके में स्थापित नवीन कैंप में 44 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौट आए। यह नक्सली इलाके में लंबे समय से सक्रिय थे। करीब 300 ग्रामीणों के माध्यम से सुकमा पुलिस के समक्ष पुना नर्कोम अभियान के तहत नव स्थापित करीगुंडम कैम्प में 9 महिला समेत कुल 44 नक्सलियों ने एसपी सुनील शर्मा, कमांडेंट 150 बटालियन राजेश यादव, एएसपी नक्सल आंजनेय वार्ष्णेय, एएसपी ओम चंदेल, एसडीओपी जगरगुंडा विजय सिंह राजपूत, एसडीओपी दोरनापाल निशांत पाठक के समक्ष बिना हथियार के समर्पण किया। नक्सलियों के समर्पण की सूचना कैंप में पहले से ही थी। समर्पण करने वाले नक्सलियों को कैंप में भोजन कराया गया। एसपी सुनील शर्मा ने कहा समर्पण करने वाले नक्सलियों को शासन की योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।
करीगुंडम कैंप में नक्सलियों के समर्पण की जानकारी मिलने के बाद जिला बल के जवानों के साथ पहुंचे एसपी ने नक्सलियों से उनके किए गए अपराधिक घटनाओं में शामिल होने के बारे में जानकारी ली। नक्सलियों ने कहा कि गांव में दबाव के कारण वे लोग नक्सली संगठन में शामिल हो गए थे। फोर्स से बचने के लिए जंगलों में रहते हुए और नक्सली नेताओं की विचारधारा से तंग आकर समर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं। आत्मसमर्पित नक्सलियों में प्लाटून नम्बर 4 के दो लाख के इनामी नक्सली मड़कम दुला, भूमकाल मिलिशिया सदस्य मड़कम धुरवा, सीएनम सदस्य सोड़ी जोगी, सीएनम सदस्य मड़कम नंदे, सीएनम सदस्य मड़कम हड़मे, संघम सदस्य दुधी जोगी, संघम सदस्य मड़कम भीमे, संघम सदस्य सोड़ी नंदा एवं अन्य शामिल रहे।
एसपी सुनील शर्मा ने कहा कि नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के प्रचार-प्रसार एवं सुकमा पुलिस द्वारा चलाये जा रहे 'पुना नर्कोम अभियान' से प्रभावित होकर नक्सलियों की खोखली विचारधारा एवं प्रताड़ना से तंग आकर प्रतिबंधित नक्सली संगठन से जुड़े 44 नक्सलियों ने सरेंडर किया। वहीं, इन नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने से करीगुंडम इलाके में नक्सलियों का दबाव कम होगा एवं नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगेगी। सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को राज्य शासन के पुनर्वास नीति के तहत सहायता राशि व अन्य सुविधाएं दिलाई जाएंगी।
कैम्प खुलने के साथ ग्रामीणों का जीता विश्वास
नक्सलियों के कोर एरिया में सुरक्षा बल के जवानों द्वारा नये कैम्प स्थापित करने के साथ ही अब इस क्षेत्र के ग्रामीणों का विश्वास जीतने के लिए भी हर संभव प्रयास किया जा रहा है। पुलिस कप्तान भी ग्रामीणों के साथ बैठकर भोजन करने सहित अन्य तमाम तरह की गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। पुलिस कप्तान की सरल एवं सहज व्यवहार से ग्रामीण प्रभावित हैं जिसका नतीजा है कि अब पुलिस एवं ग्रामीणों के बीच की खाई कम होती जा रही है। अब इस क्षेत्र में सक्रिय नक्सली आत्मसमर्पण करने के लिए आगे आ रहे हैं। वहीं, ग्रामीण और पुलिस के बीच अगर इसी तरह से तालमेल बना कर कार्य करते है तो निश्चित ही आने वाले दिनों में इस क्षेत्र नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
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