पिछले साढ़े चार सालों में प्रदेश सरकार ने 1.33 लाख से अधिक विद्यालयों में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाया है. सैकड़ों स्कूलों को निजी स्कूलों से बेहतर बनाया गया है. निजी स्कूलों की तरह यहां पर बच्चों की बेहतर पढ़ाई के लिए हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास रूम, खेलने के लिए मैदान, लाइब्रेरी व बेहतर कक्षाओं के साथ हर तरह की सुविधा छात्रों को दी जा रही है.
भारत सरकार के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के 2019-20 के परफॉर्मेंस इंडेक्स (पी.जी.आई.) में उत्तर प्रदेश ने ग्रेड-1 में स्थान सुनिश्चित किया है, जबकि 2017 के पहले प्राथमिक स्कूलों की स्थिति इतनी खराब थी कि अभिभावक अपने बच्चों को दाखिला इन स्कूलों में नहीं कराना चाहते थे.
प्रदेश सरकार की पहल के बाद यहां पर छात्रों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. पिछले साढ़े चार सालों में अभिभावक महंगे निजी स्कूल चुनने के बजाए परिषदीय विद्यालयों में अपने बच्चों के दाखिले करा रहे हैं.
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2019 में 'ऑपरेशन कायाकल्प' की शुरुआत की. इसके तहत 1.33 लाख
- परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले 1.64 लाख बच्चों को आधुनिक परिवेश के साथ स्वच्छ और सुरक्षित माहौल
उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. योजना के अन्तर्गत विद्यालय का सौंदर्यीकरण, शुद्ध पेयजल, शौचालय, फर्नीचर आदि की व्यवस्था की जा रही है. लगभग 90 फीसदी विद्यालयों को योजना से संतृत्प किया जा चुका है.
प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में अब तक 1,25,987 नियुक्ति हुई हैं. वर्तमान में 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में 5.75 लाख शिक्षक हैं, जो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे, इसके लिए बच्चों को समय से कॉपी – किताब उपलब्ध कराई गई है. साथ ही बच्चों को स्कूल ड्रेस के साथ ठंड से बचने के लिए स्वेटर और जूते- मोजे भी उपलब्ध कराए गए.
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