उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निजी क्षेत्र के निवेशक आगे आ रहे हैं। प्रदेश सरकार को पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के प्रस्ताव मिले हैं। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी प्रदेश सरकार की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश के उन बड़े राज्यों में शीर्ष पर है, जिनके स्वास्थ्य तंत्र में उल्लेखनीय सुधार आया है।
उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने और उसके संचालन में व्यावसायिक समूहों ने पहल की है। यह सभी मेडिकल कॉलेज केंद्र सरकार की मदद से खोले जाने हैं। नौ मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा चुका है, जबकि 14 अन्य मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें कई का शिलान्यास भी हो चुका है। राज्य के 16 जिले ऐसे हैं, जहां पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज खोले जाने हैं। इनमें बागपत, हाथरस, रामपुर, संभल, शामली, महाराजगंज, कासगंज, मऊ, श्रावस्ती, चित्रकूट, बलिया, भदोही, हमीरपुर, महोबा, मैनपुरी, संत कबीर नगर जिले शामिल हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग को बागपत, हाथरस, रामपुर, संभल, शामली, महाराजगंज, कासगंज, मऊ, श्रावस्ती जिलों में मेडिकल कॉलेज के लिए निजी क्षेत्र से कुल 17 प्रस्ताव मिले हैं। इसमें तीनों श्रेणियों में आवेदन किए गए हैं। हाथरस और संभल में सर्वाधिक तीन-तीन प्रस्ताव मिले हैं, जबकि बागपत, रामपुर, शामली और कासगंज में दो-दो प्रस्ताव आए हैं। शेष जिलों में एकल प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
पहली श्रेणी में जमीन और पूरा निवेश निजी क्षेत्र का होगा। दूसरी श्रेणी में मेडिकल कॉलेज की जमीन और बिल्डिंग निवेशक की होगी जबकि अस्पताल सरकारी होगा। तीसरी श्रेणी में मेडिकल कॉलेज भवन और अस्पताल दोनों ही सरकारी होंगे, लेकिन संचालन निजी क्षेत्र द्वारा किया जाएगा। राज्य सरकार वित्तीय व गैर वित्तीय सहायता देगी। पांच वर्ष के लिए लागत पर पांच प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दी जाएगी, जो अधिकतम एक करोड़ रुपये प्रतिवर्ष होगी।
इसी प्रकार मेडिकल उपकरण निर्माण के क्षेत्र में नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। दवाओं के निर्माण के लिए भी सरकार ने बीते माह कई फैसले लिए हैं। राज्य में वर्ष 2018 में बनाई गई फार्मास्युटिकल नीति में संशोधन कर नयी फार्मास्युटिकल नीति लाने का फैसला किया गया है। जल्दी ही दवा के क्षेत्र में बड़ी दवा कंपनियां यूपी में आएंगी और कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर निर्भरता कम होगी। यूपी दवा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा।
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