उइगर मुस्लिमों पर चीन का दमनचक्र चल रहा है। उन्हें यातना शिविरों में कैद करके उनके साथ पशुता का बर्ताव किया जा रहा है। जबरन हाड़ तोड़ काम कराया जा रहा है। उनकी मस्जिदें ढहा दी गई हैं। उनकी आबादी न बढ़े इसके लिए उनकी नसबंदी की जा रही है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट सरकार उनकी नस्ल को खत्म करने का हर तरह का इंतजाम कर रही है। दुनिया भर के देशों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है, मानवाधिकार समूहों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं, लेकिन चीन ऐसे हर आरोप से इंकार ही करता रहा है।
अमेरिका की एक संस्था ने इस पर एक वृहत रिपोर्ट जारी की थी। अब ब्रिटेन के एक ट्रिब्यूनल ने गहन अध्ययन के बाद रिपोर्ट सामने रखी है जिसके अनुसार, चीन अपने पश्चिमी प्रांत में अल्पसंख्यक समुदायों तथा उइगर मुसलमानों का शोषण कर रहा है। ट्रिब्यूनल का साफ कहना है कि सिंक्यांग क्षेत्र में उइगर मुस्लिमों को एक षड्यंत्र के तहत समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। चीन चाहता है उइगरों की नस्ल न बढ़ने पाए। ट्रिब्यूनल को चीन सरकार द्वारा ऐसे प्रयास करने के साफ सबूत मिले हैं।
रिपोर्ट बताती है कि चीन की सरकार सिंक्यांग प्रांत में जबरन नसबंदी कर रही है। यह भी एक प्रकार का नरसंहार ही है। ट्रिब्यूनल का मानना है कि चीन सरकार ने पश्चिमी प्रांत सिंक्यांग में नरसंहार, अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार तथा मानवता के विरुद्ध अपराध किया है।
उल्लेखनीय है कि यह रिपोर्ट भी दावा करती है कि चीन के उइगर बहुल सिंक्यांग प्रांत में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार उइगरों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों पर जुल्म ढा रही है। इस पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा छिड़ी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि चीन की सरकार सिंक्यांग प्रांत में जबरन नसबंदी कर रही है। यह भी एक प्रकार का नरसंहार ही है। ट्रिब्यूनल का मानना है कि चीन सरकार ने पश्चिमी प्रांत सिंक्यांग में नरसंहार, अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार तथा मानवता के विरुद्ध अपराध किया है।
यह ट्रिब्यूनल नागरिक स्वतंत्रता के अधिकारों की समीक्षा के लिए लंदन में बनाया गया है। ट्रिब्यूनल ने अपनी रिपोर्ट में बेबाकी से चीन में उइगर सहित अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदायों पर इस अत्याचार को अंतरराष्ट्रीय अपराध ठहराया है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है इस अंतरराष्ट्रीय अपराध के लिए चीन दोषी है।
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