डब्ल्यूएचओ की यूरोप शाखा के निदेशक डाॅ. हंस क्लूज ने कहा है कि पांच से चौदह वर्ष की उम्र के बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले तेज से सामने आने लगे हैं। 7 नवम्बर को उन्होंने कहा कि हालांकि पिछले दो महीने में मध्य एशिया के 53 देशों में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले और मौतें दोगुनी से ज्यादा हो गई हैं। क्लूज ने डेल्टा वेरिएंट से खतरनाक होते जा रहे हालात पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि डेल्टा वेरिएंट पूरे यूरोप तथा मध्य एशिया में चिंता का प्रमुख कारण है। हालांकि कोविड रोधी टीके बीमारी को बिगड़ने देने और इससे होने वाली मौतें की सख्या को कम करने में बहुत कारगर साबित हो रहे हैं।
कोपेनहेगन स्थित डब्ल्यूएचओ के मुख्यालय में प्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह अभी पता लगाया जाना है कि कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमीक्रॉन कितना गंभीर साबित होगा। ओमीक्रॉन वेरिएंट से अब तक यूरोप के 21 देशों में 432 मामले देखने में आ चुके हैं।
बड़े-बुजुर्गों, स्वास्थ्य कर्मचारियों तथा कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के मुकाबले बच्चों में कम गंभीर मामले देखने में आए हैं। इस वजह से छोटे बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत भी अधिकांशत: नहीं पड़ी। लेकिन, डब्ल्यूएचओ की यूरोप शाखा के निदेशक डाॅ. हंस क्लूज ने सावधान किया है कि यदि बचाव के उपाय तत्काल नहीं अपनाए गए तो संक्रमण के कारण अभी और मौतें हो सकती हैं।
क्लूज ने कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते जाने की खबरों के बीच यूरोपीय देशों से बच्चों तथा स्कूलों को और ज्यादा सुरक्षित बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर बाकी लोगों के मुकाबले छोटे बच्चों में कोरोना संक्रमण की दर दो—तीन गुना ज्यादा है।
बड़े—बुजुर्गों, स्वास्थ्य कर्मचारियों तथा कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के मुकाबले बच्चों में कम गंभीर मामले देखने में आए हैं। इस वजह से छोटे बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत भी अधिकांशत: नहीं पड़ी। लेकिन, उन्होंने सावधान किया है कि यदि बचाव के उपाय तत्काल नहीं अपनाए गए तो संक्रमण के कारण अभी और मौतें हो सकती हैं।
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