छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर लोगों को COVID-19 वैक्सीन बूस्टर खुराक देने का अनुरोध किया है। पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘यह देखा गया है कि वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद भी एंटीबॉडी और उसका प्रभाव 6 से 9 माह के भीतर कम हो जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ मामलों में सुरक्षा का स्तर बना रहता है, इसके बावजूद बूस्टर डोज की जरूरत महसूस की जा रही है।’ हालांकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में अभी बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कई देश अपने नागरिकों को बूस्टर खुराक दे रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ता, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले 60 से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों को इसे देने का समय आ गया है। इस बाबत उन्होंने केंद्रीय मंत्री से बूस्टर खुराक देने को लेकर उचित निर्णय लेने का अनुरोध किया है।
इस बीच, मंगलवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने देश में चल रहे COVID-19 टीकाकरण अभियान की सराहना की। साथ ही, उन्होंने कहा कि अभी तक COVID-19 मामलों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। इसलिए अभी बूस्टर खुराक की कोई जरूरत नहीं है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि दवा के मामले में भारत की प्रगति की सराहना करते हुए कहा, ‘‘एच1एन1 जब भारत में आया था, तब विदेशों से टीके आयात किए जाते थे। हमने टीकों के आयात से लेकर स्वदेशी वैक्सीन के निर्माण तक एक लंबा सफर तय किया है। आज हमारे COVID-19 टीकों को दूसरे देशों में निर्यात किया जा रहा है।’’
वहीं, कार्यक्रम में मौजूद नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा, ‘‘जब हम तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक का फैसला लेते हैं तो यह विज्ञान पर आधारित होना चाहिए। अध्ययन किया जा रहा है। हम डेटा की जांच कर रहे हैं और शोध कार्य प्रगति पर है। लोगों को यह समझना चाहिए कि कई देशों में लोगों को पूरी तरह वैक्सीन की दोनों खुराकें देने के बाद बूस्टर खुराक दिए जा रहे हैं। इसलिए सबसे पहले हम दोनों खुराक के साथ पूर्ण टीकाकरण पर ध्यान दें।’’ उन्होंने कहा कि महामारी न तो अभी खत्म हुई है और न ही निकट भविष्य में इसके खत्म होने की संभावना है।
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