पश्चिम बंगाल सरकार सीमा सुरक्षा बल (BSF) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का विरोध कर रही है। इसी कड़ी में विधानसभा में ममता सरकार ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के उस फैसले के विरुद्ध है, जिसमें बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का फैसला था।
गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने बीएसएफ अधिनियम में संशोधन किया है। इस बदलाव का उद्देश्य यही है कि सुरक्षाबल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार प्राप्त हो। मोदी सरकार के फैसले से पहले बीएसएफ के लिए यह दायरा 50 किमी से बहुत कम 15 किमी के आसपास था।
लेकिन पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव पारित करते हुए काफी हंगामा हुआ। टीएमसी के विधायक उद्यन गुहा ने विवादित बात कही। उन्होंने कहा कि जब कोई महिला बॉर्डर क्रॉस करती है तो बीएसएफ के जवान उनकी जाँच के बहाने उन्हें गलत तरीके से छूते हैं। भारत माता की जय कितना भी बोल लें, देशभक्त नहीं हो सकते। इसके अलावा टीएमसी नेताओं ने बीएसएफ जवानों के ख़िलाफ़ दर्ज केसों का मुद्दा भी उठाया और दावा किया कि उन पर कई मर्डर केस भी हैं।
इस बात पर बीएसएफ ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल एक पेशेवर बल है, जिसने हमेशा नियमों का पालन करके अनिवार्य कर्तव्यों का पालन किया है। बीएसएफ में महिला प्रहरी भी हैं जो महिलाओं की तलाशी लेती हैं। बीएसएफ कर्मियों द्वारा महिलाओं को गलत तरीके से छूने के आरोप पूरी तरह निराधार है। बता दें कि पश्चिम बंगाल से पहले पंजाब विधानसभा ने भी केंद्र के इस फैसले के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया था।
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