ड्रैगन ने अक्साई चिन को होटान इलाके से जोड़ते राजमार्ग 580 को बहुत हद तक पूरा कर लिया है। बताया जा रहा है कि साल 2022 में इसे प्रयोग करना शुरू किया जा सकता है। इस राजमार्ग के बनने से चीनी फौज के लिए एलएसी तक पहुंचने का वक्त बहुत कम हो जाएगा
अमेरिका की गुप्तचर रिपोर्ट से हुआ ताजा खुलासा भारत के लिए विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है। इस रिपोर्ट में उपग्रह चित्र से देखा गया है कि चीन अक्साई चिन क्षेत्र में सीधी पहुंच के लिए सड़कों, सुरंगों और महामार्ग बना रहा है। इतना ही नहीं, ड्रैगन ने अक्साई चिन को होटान इलाके से जोड़ते राजमार्ग 580 को बहुत हद तक पूरा कर लिया है। बताया जा रहा है कि साल 2022 में इसे प्रयोग करना शुरू किया जा सकता है। इस राजमार्ग के बनने से चीनी फौज के लिए एलएसी तक पहुंचने का वक्त बहुत कम हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारत के साथ लद्दाख क्षेत्र में चल रहे सीमा विवाद के दौरान चीन का अक्साई चिन में बुनियादी ढांचे का निर्माण में लगे होना बीजिंग की साजिशी सोच को देखते हुए आश्चर्य की बात नहीं है। हाल में ही जारी हुई अमेरिका की गुप्तचर रिपोर्ट का दावा है कि चीन ने भारत से सटे सीमांत क्षेत्रों में सड़क, सुरंग, पुल तथा बंकरों का एक संजाल तैयार कर लिया है। उपग्रह चित्र से साफ है कि चीन अवैध तरीके से कब्जाए अक्साई चिन में जो नया राजमार्ग बना रहा है, वह चीन के सिंक्यांग प्रांत में होटान क्षेत्र को अक्साई चिन से सीधा जोड़ता है। बता दें कि इसी होटान में चीन की वायुसेना का अड्डा भी मौजूद है। चीन यहां से भारत की लद्दाख हवाई सीमा पर नजर रखता है।
ये उपग्रह चित्र 'ओपन सोर्स इंटेलिजेंस' ने साझा किए हैं। साफ है कि अक्साई चिन को होटान से जोड़ रहे राजमार्ग से चीन की फौज की इस क्षेत्र में पहुंच आसान बनेगी और वह वहां अपनी शरारतें बढ़ा सकता है। उपग्रह चित्र में सड़क बनाने की मशीनों, सुरंगों, सोलर पैनलों और बाकी ढांचों के बनाने में जुटे मजबूरों के घर दिखाई दे रहे हैं।
तिब्बत से भी एक खबर आई है कि चीन वहां ढांचागत विकास की आड़ में भारतीय सीमा से सटकर तीन नए हवाई अड्डे बनाने जा रहा है। तिब्बत के जिन तीन इलाकों में नए हवाई अड्डे बनने जा रहे हैं, वे हैं लुंज़े काउंटी, टिंगरी काउंटी तथा बुरांग काउंटी। बताया जा रहा है कि बीजिंग इन हवाई अड्डों पर साल 2025 के अंत तक काम शुरू करने वाला है। ये हवाई अड्डे चीनी फौज की आवश्यकताओं के हिसाब से तैयार किए जाएंगे।
यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन ने भी अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि चीन तिब्बत और एलएसी के पूर्व वाले क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र में सौ घरों वाला एक गांव बनाया है। जिनमें चीन किसी भी तरह शामिल है, ऐसे सैन्य तथा सुरक्षा परिदृश्यों पर प्रकाशित इस रिपोर्ट में अमेरिका का रक्षा विभाग बताता है कि चीन एलएसी पर अपने दावे को लेकर पुख्ता तरीके से रखने के साथ ही षड्यंत्रपूर्ण कार्रवाई भी कर रहा है, जबकि दूसरी तरफ वह एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत के साथ कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर वार्ताएं कर रहा है।
उधर तिब्बत से भी एक खबर आई है कि चीन वहां ढांचागत विकास की आड़ में भारतीय सीमा से सटकर तीन नए हवाई अड्डे बनाने जा रहा है। राष्ट्रपति जिनपिंग ने अपने पिछले तिब्बत दौरे में इस परियोजना को मंजूरी दी थी। तिब्बत के जिन तीन इलाकों में नए हवाई अड्डे बनने जा रहे हैं, वे हैं लुंज़े काउंटी, टिंगरी काउंटी तथा बुरांग काउंटी। बताया जा रहा है कि बीजिंग इन हवाई अड्डों पर साल 2025 के अंत तक काम शुरू करने वाला है। ये हवाई अड्डे चीनी फौज की आवश्यकताओं के हिसाब से तैयार किए जाएंगे। यहां नागरिक विमानन सेवाओं के साथ ही चीन के लड़ाकू विमान, अवॉक्स तथा हवा में ईंधन भरने वाले विमान तैनात किए जाएंगे। इतना ही नहीं, चीन ल्हासा में गोंगगर हवाई अड्डे को भी इस इलाके के सबसे बड़े हवाई अड्डे के तौर पर विकसित करने वाला है।
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