खनिज संपदा,नैसर्गिक सौंदर्य और अपनी श्रेष्ठ परंपराओं को स्वयं में समेटे झारखण्ड अब 21 वर्ष का हो चुका है। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रयासों से भगवान बिरसा मुण्डा की जयंती की तिथि अर्थात 15 नवम्बर को अलग झारखण्ड का जन्म हुआ। भगवान बिरसा मुंडा हमारी सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों से जुड़े हैं। उनके प्रति सम्मान भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहा है, चाहे राँची एअरपोर्ट हो या आज से जनता को समर्पित पूर्व जेल का बिरसा मुंडा म्यूजियम। आज धरती आबा को भावपूर्ण नमन करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ कि अब 15 नवंबर की तिथि केवल झारखण्डवासियों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि पूरे भारत के जनजातीय वर्ग के लिए ‘‘जनजातीय गौरव दिवस’’ के रूप में एक विशेष महत्व का दिन बन गया है। केन्द्र सरकार द्वारा धरती आबा का यह सम्मान पूरे भारत के जनजातीय समाज का सम्मान है।
अलग राज्य गठन के बाद 21 वर्ष की यात्रा चुनौतीपूर्ण भरी रही है। राजनैतिक अस्थिरता, आधारभूत संरचनाओं का नए सिरे से विकास और इसी बीच सबसे महत्वपूर्ण राज्य के सवा तीन करोड़ लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती। एक अलग राज्य के गठन के बाद झारखण्ड की सांस्कृतिक व पारंपरिक भावना के अनुरूप लोगों का समुचित विकास ही ‘‘अबुआ राज’’ की कल्पना थी। राज्य गठन के पूर्व हम सबने झारखण्ड की जिस तस्वीर की कल्पना की थी आज कहीं न कहीं अधूरी सी दिखाई पड़ती है।
खनिज संपदाओं में पूरे भारत में अग्रिम पंक्ति के राज्य में जब खाट पर टांग कर कई किलोमीटर तक लोगों को अस्पताल ले जाने की तस्वीरें देखता हूँ, तो मन व्यथित हो जाता है। जब दो वर्ष में 3,000 से अधिक बहू-बेटियों पर अत्याचार की खबरें पढ़ता हूँ, तो कहीं न कहीं मन खुद से सवाल करता है कि क्या राज्य के इसी स्वरूप के लिए हमनें संघर्ष किया था! रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर राज्य की बेटियां और नौकरी के लिए सड़कों पर आंदोलनरत युवावर्ग कहीं न कहीं राज्य गठन के 21 वर्ष के एक-एक सेकेंड का हिसाब मांग रहा है कि आखिर दोष किसका है, आखिर कमी कहाँ रह गई कि आज हम जहाँ से चले थे आज उससे भी पीछे ही नज़र आते हैं।
मैं मानता हूँ कि राजनैतिक प्रतिद्वंद, असहयोगात्मक रवैया और सामूहिक प्रयासों का अभाव ही राज्य के पिछड़ेपन का मुख्य कारण है। यह राज्य हमसबों का है, हर उस व्यक्ति का जो प्रकृति के सन्निकट रह कर भगवान बिरसा मुण्डा, सिदो—कान्हो, तिलका मांझी और असंख्य बलिदानियों के प्रति श्रद्धाभाव रखकर राज्य के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहता है।
राज्य के विकास में अपनी भागीदारी, सुनिश्चित करते हुए आज उसी संकल्प और ज़िद की जरूरत है, जो हमने राज्य गठन के पूर्व किया था। पूर्वाग्रह की राजनीति का त्याग करते हुए एक दूसरे पर दोषारोपण करने के स्थान पर सबका साथ और सबके प्रयास की आवश्यकता है। नियोजन नीति से लेकर पलायन, गरीबी से लेकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और बहू-बेटियों की सुरक्षा से लेकर राज्य में कानून—व्यवस्था की बेहतरी के विषयों पर पूर्वाग्रह की भावना का त्याग करते हुए राज्य सरकार को अपना विज़न डॉक्यूमेंट पेश करना चाहिए। हमें पूर्व की गलतियों से सबक लेते हुए राज्य के विकास के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने का संकल्प साधना चाहिए। वर्तमान सरकार लोकलुभावन वादों और झूठे सपनों के बजाय ठोस रणनीति और व्यावहारिक कदम उठाए तो निश्चय ही भारतीय जनता पार्टी का एक एक कार्यकर्ता भी सरकार के विकास कार्यों में अपना साथ देगा।
इसी संकल्प और सामूहिकता को व्यवहार में उतार कर हम आगे बढ़ें तो यही धरती आबा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इन्हीं शुभकामनाओं और संकल्पों के साथ समस्त राज्यवासियों को झारखण्ड स्थापना दिवस और जनजातीय गौरव दिवस की बहुत-बहुत बधाई और सादर जोहार।
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