अनिल झा
अमीर और उमरा की सरकार चलाने वाले जिल्ले इलाही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब मौलानाओं का वेतन बढ़ाते हैं तब उन्हें कोई तुष्टिकरण नजर नहीं आता है। लेकिन, कोरोना का बहाना बनाकर अपने एजेंडे पर हिंदुओं के साथ तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाते हिकारत भरी योजनाओं के साथ बढ़ते जा रहे हैं।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने कहा कि दिल्ली में छठ नहीं मनाया जा सकता। विजय कुमार देव यानी कि दिल्ली के मुख्य सचिव ने डेढ़ महीने पहले यह घोषणा कर दी कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा। इसलिए छठ पर्व पर हमें प्रतिबंध लगाना चाहिए। दिल्ली का मुख्य सचिव मुख्यमंत्री का हाकिम होता है, सबसे पहला हाकिम वह कमेटी का चेयरमैन है। यानी डेढ़ महीने पहले दिल्ली सरकार की इस समिति ने गैर जिम्मेदाराना और भोंड़ापन योजना बनाकर तैयार कर दी क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होती है। अब दिल्ली सरकार का कहना है कि डीडीएमए ने अपनी सिफारिश भेजी है और उस सिफारिश के आधार पर हम छठ पर्व पर पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।
मतलब हिंदू अगर होली खेलेंगे तो रंगों पर प्रतिबंध, दिवाली मनाएंगे तो पटाखों पर प्रतिबंध, छठ मनाएंगे तो तालाबों-नदियों पर जाने पर प्रतिबंध। दोहरी मार पड़ रही है छठ मनाने वालों पर। इस दिल्ली में, दिल्ली में दोहरे मानदंड वाली सरकारों को हम कब तक आखिर बर्दाश्त करते रहेंगे। डीडीएमए ने जो फैसला किया है, मुझे लगता है कि इसमें नौसिखिया सदस्य रहे होंगे, जिन्हें छठ पर्व के मूल महत्व के बारे में जानकारी ही नहीं है। छठ पर्व का अर्थ है प्रकृति की पूजा और हमारे छठ पर्व पर वैसे भी फिजिकल डिस्टेंस का पालन सदियों से होता रहा है। जिस आंगन में या घर में छठ पर्व के लिए पूजा सामग्री और प्रसाद तैयार होता है, वहां पर अन्य किसी भी व्यक्ति को बिना नहाए-धोए उस कक्ष में आने की अनुमति नहीं होती है। उपवास की अपनी एक परंपरा है। जब सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है तो वह भी फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही दिया जाता है। लेकिन, दिल्ली सरकार के डीडीएमए के सदस्यों को लगता है कि भारतीय संस्कृति और पर्व आदि के विषय में संपूर्ण जानकारी नहीं है। यही दिल्ली सरकार स्विमिंग पूल खोल सकती है, मेट्रो को अपनी क्षमताओं के आधार पर खोल सकती है, डीटीसी की बसों का यात्री किसी तरह प्रयोग कर ही रहे हैं, बैंक्वेट हॉल वगैरह की अनुमति दे दी गई है, लेकिन सिर्फ एक शाम और एक प्रातः को अर्घ्य देना है ।
जिस सनातन संस्कृति में पूर्वांचल में छठ का विशेष महत्व है, उस छठ पर्व को मनाने से दिल्ली सरकार जिसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, उन्हें लगता है कि कोरोना वायरस का विस्फोट हो जाएगा। वह भी डेढ़ महीने पहले उन्हें लगता है। मेरा मानना है और यह सटीक मानना है कि दिल्ली सरकार को सोशल डिस्टेंसिंग और फिजिकल डिस्टेंसिंग में शायद अंतर मालूम नहीं है। वैसे भी भारत के अंदर सपा, आप, कांग्रेस, इन्हें हिंदू धर्म की संस्कृति से पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए ज्यादा लेना-देना भी नहीं है। इन सभी पार्टियों की समस्या यह हो गई है कि सैद्धांतिक रूप से इन्हें भाजपा से वैचारिक स्तर पर लड़ना चाहिए, लेकिन ये हिंदू धर्म के त्योहारों से लड़ने लगे हैं।
(लेखक पूर्व विधायक हैं )
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