कड़ी आलोचनाओं का ऐसा असर हुआ कि पाकिस्तान सरकार को सही रास्ते पर लौटना पड़ा। अब इस्लामाबाद की कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अपना पिछला आदेश वापस ले लिया है
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार को शायद अंदाजा नहीं था कि इस्लामाबाद में मंदिर की जमीन का आवंटन रद्द करने का उसका फैसला पूरी दुनिया में उसे ऐसा अपमानित कर देगा कि उसे अपना वह फैसला पलटाने को मजबूर होना पड़ेगा। ताजा समाचारों के अनुसार, आज दोपहर आखिरकार इमरान सरकार को अक्ल आई और उसने इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर को बनाने के लिए तय जमीन फिर मंदिर बनाने की अनुमति दी।
मंदिर की जमीन पर निर्माण की अनुमति निरस्त करने संबंधी समाचार आज दोपहर को पांचजन्य की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था। उसके कुछ ही घंटों बाद इस्लामाबाद में अब उसी कृष्ण मंदिर की जमीन इमरान सरकार ने वापस हिन्दुओं को सौंपने का निर्णय ले लिया है। मंदिर बनने में अड़चन डालने की दुनियाभर में इमरान सरकार की तीखी आलोचना हुई। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध आक्रोश उमड़ा था। इन कड़ी आलोचनाओं का ऐसा असर हुआ कि पाकिस्तान सरकार को सही रास्ते पर लौटना पड़ा। अब कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अपना पिछला आदेश वापस ले लिया है। अब इस्लामाबाद के सेक्टर एच-9/2 में पूर्व निर्धारित जमीन पर कृष्ण मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
मंदिर बनाने के रास्ते में अड़चन डालने की दुनियाभर में इमरान सरकार की तीखी आलोचना हुई। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध आक्रोश उमड़ा था।
गत वर्ष जुलाई में शहरी नियोजन निदेशक ने न्यायालय को बताया था कि मजहबी मामलों के मंत्रालय, विशेष शाखा और इस्लामाबाद प्रशासन की सलाह पर 2016 में वह जमीन देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। उन्होंने आगे कहा था, कि वहां हिन्दुओं के लिए मंदिर, सामुदायिक केंद्र और श्मशान घाट बनाए जाने थे। अधिकारी के अनुसार, 2017 में 3.89 कनाल जमीन हिन्दुओं को आवंटित की गई थी जिसे 2018 में हिंदू पंचायत को हस्तांतरित किया गया था।
वहां के मानवाधिकार आयोग के सदस्य कृष्ण शर्मा ने बताया कि इस्लामाबाद और उसके बाहरी इलाके में करीब तीन हजार हिंदू परिवार रह रहे हैं। बताया गया था कि उनके पास ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां वे होली-दिवाली जैसे त्योहार मना सकें, शादी-ब्याह जैसे मांगलिक आयोजन कर सकें, अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कर सकें। अब कृष्ण मंदिर और उसके साथ अन्य भवन बनने पर ऐसे आयोजनों का एक स्थान तय रहेगा इसलिए स्थानीय हिन्दुओं में संतोष का भाव देखा जा रहा है।
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