रामपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब अपने विरोधियों को ललकारा तो यह तय हो गया कि वो अगले विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे। पिछला विधानसभा चुनाव मोदी लहर की वजह से बीजेपी ने जीता, लेकिन इस बार हवा कुछ और ही कह रही है। यूपी की राजनीति अब योगी आदित्यनाथ के ही इर्द-गिर्द घूमने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वो चेहरा हैं, जो यूपी में अगर अकेले दम पर चुनाव में उतर जाएं तो भी बीजेपी की नैय्या पार लग सकती है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के बावजूद योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं है। उनकी जनसभाओं में जिस तरह से स्वतः भीड़ उमड़ रही है उससे विपक्ष परेशान हो गया है। जाट बेल्ट जिसे गन्ना बेल्ट भी कहते हैं। वहां कांग्रेस और लोकदल जाट, मुस्लिम गठजोड़ की राजनीति की कोशिश में लगे हुए हैं। किसान नेता राकेश टिकैत अपनी सभाओं में अल्लाह हू अकबर के नारे जब लगवाते हैं तो उनकी ये राजनीति समझ मे आ जाती है। इसके विपरीत जब योगी चुनाव मैदान में उतरे हैं तो वो अपनी सरकार के सुशासन की बात करते है। साथ ही हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की अलख को जलाए रखकर अपने विरोधियों की बोलती बंद कर दे रहे हैं। कैराना, शामली जिले का वह क्षेत्र है, जहां 2017 में कई हिन्दू परिवार, कट्टरपंथी मुस्लिमों के डर से क्षेत्र छोड़ कर चले गए थे। अब इन हिन्दू परिवारों की घर वापसी हो रही है। मुख्यमंत्री योगी खुद वहां जाकर इन परिवारों से मिलकर यह संदेश देते हैं कि "बाबा के रहते किसी को डरने की जरूरत नही"।
जेल में हैं गरीबों की जमीन कब्जाने वाले
सीएम योगी आदित्यनाथ ने यहां पीएसी का ट्रेनिंग सेंटर खोलने की बात कहते हुए कहा है कि 'किसी ने कानून हाथ में लिया पीएसी पांच मिनट में पहुंच जाएगी और पीएसी जब डंडा चलाती है तो अपराधी किस लोक में जाता है ये सबको पता है।' सीएम अपने भाषणों में जिस बेबाकी से बोलते हैं इसलिए वह यूपी ही नहीं, देश के अन्य भागों में भी उनकी लोकप्रियता चरम पर है। रामपुर में अपनी जनसभा में योगी जब ये कहते है कि रामपुर की विरासत को कुछ नेता अपनी जागीर समझकर गरीबों की जमीनें कब्जाने लगे थे। आज वो नेता भू-माफिया की लिस्ट में शामिल होकर जेल में हैं। उन पर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें से 50 जमीन कब्जाने के है। उनका इशारा आजम खान की तरफ होता है। मुख्यमंत्री योगी रामपुर की जनता को धन्यवाद और बधाई भी दिया कि उन्होंने भू-माफिया के खिलाफ शुरू हुई लड़ाई में उनकी सरकार का साथ दिया। सीएम योगी रामपुर में इस तरह से गरजे कि मानों वो यहां सपा के दबदबे को खत्म कर चुके हैं। सपा यहां आजम खान की विरासत की वजह से जिंदा थी पर अब नहीं लगता कि सपा की राजनीति यहां आगे चल पाएगी, क्योंकि आजम खान की गुलामी से यहां की जनता निकलना चाहती थी और योगी सरकार ने इसी नब्ज को भांपते हुए यहां आजम खान उसके बेटे की राजनीति को ही अदालत के रोज-रोज चक्कर खाने को मजबूर कर दिया। रामपुर में योगी स्पष्ट कह गए कि अपराधियों की जगह जेल में है जो जरा भी हरकत करेगा वो दूसरे लोक की सैर करेगा।
11 अक्टूबर को मथुरा, मेरठ, सहरानपुर में जनसभा
मुख्यमंत्री के बोलने के अंदाज में चेतावनी होती है और वो जो कहते हैं वो करते भी हैं। यही वजह है कि हिन्दू वोट बैंक के साथ वो सीधे संवाद करते हैं। मुख्यमंत्री अपने संबोधन में मोदी सरकार द्वारा कश्मीर में धारा 370 हटाने और तीन तलाक में मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और श्रीराम मंदिर बनाये जाने की बात भी कही। साथ ही उन्होंने कहा कि इन विषयों का विरोध सिर्फ तालिबानी सोच वाले लोग करते हैं, जिन्हें हम समझाना जानते हैं। मुख्यमंत्री योगी अपने दौरे ने हिन्दू साधु-संतों से भी मिलते हैं और उनका सम्मान करते हैं। कैराना और रामपुर के बाद अब वो 11 अक्टूबर को मथुरा, मेरठ, सहरानपुर में जनसभाओं को संबोधित करेंगे। मथुरा में वो श्रीकृष्ण जन्म भूमि मंदिर भी जाएंगे और मथुरा वृंदावन के संतों के साथ भोजन भी करेंगे। उनका ये अंदाज स्पष्ट करता है कि उनकी सरकार ने संत समाज को भी सम्मान दिया है, जो कि पिछली विपक्ष की सरकारों ने नहीं दिया। मायावाती, अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी की छवि ऐसी नहीं है कि वो हिंदुत्व की लौ भर भी जला सके। मुख्यमंत्री योगी अभी पार्टी अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार सिंह को साथ लेकर जनसभाएं कर रहे हैं। चुनाव अभी घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी सभाएं चुनावी लगती हैं। अभी इसी माह पीएम मोदी की चार बड़ी जनसभाएं यूपी में होने वाली हैं, जिन्हें देख कर लगता है कि बीजेपी चुनावी मोड में आ चुकी है। इधर विपक्ष अभी योगी के मुकाबले के लिए गठबंधन की राजनीति तलाशने में लगा हुआ है।
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