भारत के रास्ते नेपाल पहुंच कर मुस्लिम आबादी वहां बसने लगी है। नेपाल खुफिया एजेंसियों ने पिछले दिनों छह अफगानी युवकों को पकड़ा है। खास बात ये कि इन सभी के पास भारत के आधार कार्ड थे, नेपाली अधिकारियों ने इस सूचना को भारत सरकार के अधिकारियों के साथ साझा की है।
नेपाल में भारत से लगे सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में मुस्लिम जाकर अपनी बसावट कर रहे हैं, कुछ माह पहले म्यामांर रोहिंग्या और बंग्लादेशी मुस्लिमों की एक बस्ती होने की खबर पता चली थी।
नेपाल के खुफिया अधिकारियों ने इस बारे में जांच पड़ताल की तो जानकारी में आया कि ये बंगाल और बिहार के रास्ते नेपाल में जाकर बसे थे, नेपाल ने इन सभी को अपने यहां से निर्वासित कर दिया था। ये लोग कहां गए? इस बारे में ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है।
सूत्र बताते हैं कि ये लोग भारत-नेपाल के बीच नदियों में नोमेन्स लैंड पर झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं और नदियों में खनन मजदूरी कर रहे हैं। भारत के यूपी के इलाकों से नेपाल के क्षेत्रों में भी ऐसे लोग 2019 से लगातार आकर बस रहे हैं। ये लोग पहले मजदूरी करने या बाग बगीचों की फसल को खरीदने के बहाने नेपाल आते हैं, फिर यहीं टीन शेड डालकर बस जाते हैं। नेपाली पुलिस ने रोहिंग्या समुदाय के लोगों की भी पहचान की है। अब वो इन्हें म्यामार वापस भेजती है तो इनकी जटिल कानूनी अड़चने उन्हें झेलनी पड़ रही हैं क्योंकि म्यामार में सैनिक हुकूमत है और वहां की फौजी सरकार खुद ही रोहिंग्या मुस्लिमों को अपने देश से बाहर करने में लगी हुई है।
हिरासत में 11 अफगानी, 6 के पास भारतीय आधार कार्ड
25 अक्टूबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू में 11 अफगानी हिरासत में लिए गए। इनमें से छह के पास भारतीय आधार कार्ड थे। नेपाल में भारत के पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती, इसलिए वो आधार कार्ड पर नेपाल में रह रहे थे। तलाशी के दौरान इनके पास बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा भी मिली। खबर है कि ये सभी 6 नेपाल में बसने की फिराक में थे। फिलहाल नेपाल ने सभी 6 लोगों के खिलाफ इमीग्रेशन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। अन्य पांच जो अफगानी थे उन्होंने श्रीलंका जाने की इच्छा जताई। इसलिए उन्हें हवाई मार्ग से वहां भेज दिया गया है। इन सभी के पास सयुंक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थी कार्ड थे।
दिलचस्प बात ये भी है कि ये सभी सोनाली बॉर्डर से दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकते हुए नेपाल की राजधानी तक जा पहुंचे। जब नेपाली अधिकारियों ने इनके पास दस्तावेज देखे तो भारतीय आधार कार्ड मिलने पर ,नेपाल के केंद्रीय अनुसंधान ब्यूरो ने इस बात की जानकारी भारत के गृह मंत्रालय से साझा की। अब भारत की खुफिया एजेंसी यह जांच कर रही है कि इनके दिल्ली में आधार कार्ड कैसे बन गए? जानकारी के मुताबिक भारत में सयुंक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त के द्वारा पहचान पत्र के आधार पर सात हजार अफगानी यहां रह रहे हैं, लेकिन जो छह काठमांडू में पकड़े गए उनके पास शरणार्थी कार्ड भी नही था वो अवैध दस्तावेजों के आधार पर नेपाल में बसने की योजना बना रहे थे। ये सभी भारत के नोएडा, लिटिल काबुल दिल्ली, भोगल के रहने वाले बताए गए हैं और इनकी योजना नेपाल में जाकर बसने की थी।
भारत-नेपाल खुली सीमा का उठा रहे फायदा
ऐसा अंदेशा जताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद से भारत में रहने वाले कई अफगानी शरणार्थियों ने नेपाल की ओर रुख किया है और नेपाल की खुफिया तंत्र इनकी तलाश भारत से लगे नेपाली जनपदों में कर रही है। ये भी खबर है कि जब नेपाली पुलिस सख्ती करती है तो ये भारत मे आकर छुप जाते हैं। सवाल ये है नेपाल सीमा पर भारत के रास्ते जाने वाले इन अफगानियों पर या पहले रोहिंग्या लोगों पर भारत की खुफिया एजेंसियों की नजर क्यों नही पड़ी। इसे भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ी चूक माना जाए तो गलत न होगा। कोई विदेश से आया नागरिक भारत से बाहर जा रहा है और इसकी भनक भारत की सुरक्षा एजेंसियों को नहीं लगती है। ये भारत नेपाल की खुली सीमा होने का फायदा विदेशी लोग उठा रहे हैं। ये भी बात न भूलने वाली है कि कंधार हवाई जहाज अपहरण की योजना भी नेपाल के रास्ते ही शुरू हुई थी।
जानकारी के मुताबिक नेपाल में मुस्लिम आबादी भी तेजी से बढ़ रही है। 2006 में हिन्दू राष्ट्र से धर्म निरपेक्ष देश बनने के वक्त नेपाल में मुस्लिम आबादी करीब चार प्रतिशत थी, जो कि अब 5 प्रतिशत से ज्यादा हो रही है। कुरान नेशनल न्यूज़ एजेंसी के अनुसार नेपाल में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। इस्लामिक सोसाइटी नेपाल के अध्यक्ष खुर्शीद आलम कहते हैं कि दो करोड़ 86 लाख की नेपाल की आबादी में अब 12 लाख से ज्यादा मुस्लिम हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक ज्यादातर मुस्लिम भारत से लगे नेपाली तराई इलाके में बसे हैं और यहां और भी तेजी से बसावट हो रही है। नेपाल गृह मंत्रालय के प्रवक्ता फणीन्द्र मणि के अनुसार अफगानियों की घुसपैठ के बारे में भारत सरकार को अवगत करा दिया गया है। पहले हमारी सरकार ने ये अनुमान लगाया था कि अफगानियों के पास आधार कार्ड फर्जी हैं, लेकिन जांच में पता चला कि ये असली है। अब हमने बॉर्डर पर चौकसी भी बढ़ा दी है।
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