महामारी विज्ञानी और एम्स के डॉ. संजय राय ने कहा- विवादित बयान देकर वैश्विक मंच पर अपनी विश्वसनीय खो रहा डब्ल्यूएचओ। देश में कोरोना की नई लहर की संभावना नहीं, क्योंकि बड़ी आबादी पहले ही इसकी चपेट में आ चुकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भारत में कोविड-19 की नई लहर की चेतावनी को एम्स के डॉक्टर एवं महामारी विज्ञानी डॉ. संजय राय ने खारिज किया है। उन्होंने कहा कि इसकी कोई संभावना नहीं है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी पहले ही इस वायरस से संक्रमित हो चुकी है। साथ ही, डब्ल्यूएचओ को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच पर यह संगठन अपनी विश्वसनीयता खो रहा है।
डॉ. संजय राय ने कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ विवादास्पद बयान दे रहा है। यह COVID-19 की उत्पत्ति का पता नहीं लगा सका। इन्हें यह समझने में ही डेढ़ साल से अधिक समय लगा कि प्राकृतिक संक्रमण लोगों को सुरक्षा दे रहे हैं, लेकिन वे अभी भी इसे अधिक महत्व नहीं दे रहे हैं। प्राकृतिक संक्रमणों से प्राकृतिक प्रतिरक्षा होती है, जिससे संक्रमण के मामलों में गिरावट आती है।’’
डॉ. संजय राय ने कहा कि जब बड़ी आबादी संक्रमित हो जाती है तो वायरस के व्यापक स्तर पर फैलाव की संभावना नहीं होती है। साथ ही, टीकाकरण भी रोग की गंभीरता और मौतों को कम करता है। उन्होंने कहा कि यह रूस और मध्य एशिया में होगा, क्योंकि वहां संक्रमण की लहर चल रही है। लेकिन फरवरी तक इसमें गिरावट आएगी। भारत सहित हर जगह ऐसा ही हुआ है। यहां बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए, फिर तेजी से मामले घटने लगे। जब भी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते हैं, वे तेजी से घटते भी हैं। हालांकि उन्होंने यह संभावना जताई कि क्षेत्र में फरवरी तक पांच लाख मौतें हो सकती हैं और टीकाकरण भी बढ़ती मौतों को अचानक नहीं रोक पाएगा।
बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि यूरोप और एशिया सहित 53 देशों में कोरोना की नई लहर आ सकती है। डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रमुख डॉ. हैन्स क्लेज ने गुरुवार को कहा था कि कुछ देशो में संक्रमण के मामले लगभग रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ने लगे हैं। वायरस के फैलाव की यह रफ्तार चिंताजनक है। साथ ही, यह कहकर चिंता बढ़ा दी कि यही स्थिति रही तो फरवरी 2022 तक यूरोप और मध्य एशिया में संक्रमण से पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हो सकती है।
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