बालेन्दु शर्मा दाधीच
फिशिंग के फंदे से आप अब खूब परिचित होंगे। कोई रिजर्व बैंक की तरफ से तो कोई संयुक्त राष्ट्र की तरफ से, कोई किसी लॉटरी के नाम पर तो कोई आपके बैंक के नाम पर ईमेल भेजकर आपसे कहता है कि यहां लॉगइन कीजिए। अगर आपने ऐसा किया तो समझ लीजिए आपकी डाली सूचनाएं असली वेबसाइट पर नहीं बल्कि आनलाइन धोखेबाजों की वेबसाइट पर दर्ज हो रही हैं और तुरंत चुरा ली जाती हैं जहां से उनका इस्तेमाल आपकी गाढ़ी कमाई की रकम लूटने के लिए कर लिया जाता है। और भी तमाम किस्म के स्कैम (आॅनलाइन जालसाजी) चल रहे हैं। मसलन कोई शख्स आपको अपनी करोड़ों डॉलर की पूंजी का एक हिस्सा इसलिए देना चाहता है ताकि आप उस रकम को अपने बैंक खाते में सुरक्षित रख लें। बड़ी मधुर कल्पना लगती है लेकिन हकीकत बड़ी जालिम है।
अगर आपके पास आजकल किसी अच्छी सी नौकरी का प्रस्ताव आया है और आप एकाएक घर बैठे डॉलरों में तनख्वाह पाने के सुहाने सपनों में खो गए हैं तो एक मिनट ठहरकर सोचिए। क्या दुनिया भर में एक आप ही हैं जो यह आनलाइन काम करने के लिए इतने काबिल हैं कि अमेरिका या ब्रिटेन की कोई कंपनी आपसे संपर्क करके कहेगी कि भाई, यह नौकरी सिर्फ और सिर्फ आपके लिए ही बनी है, इसे स्वीकार कीजिए।
आजकल लोगों के पास नौकरियों के बड़े लुभावने प्रस्ताव आ रहे हैं। ऐसा ही एक प्रस्ताव गलती से एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ के पास पहुंच गया। जो ईमेल आई, उसमें सब कुछ असली जैसा- अमेरिका की मशहूर कंपनी का नाम, उसकी सही वेबसाइट का लिंक, भेजने वाले शख्स का नाम और पद एकदम सही, उसका लिंक्ड इन प्रोफाइल भी एकदम असली, लोगो भी एकदम सटीक और पता भी। विशेषज्ञ ने इंटरनेट पर खोज की और पाया कि भेजने वालों ने बहुत मेहनत करके एकदम सही-सही सूचनाओं का इस्तेमाल किया है। बहरहाल, उसने भंडाफोड़ करने के लिए इस नौकरी की अर्जी दे दी।
इंटरव्यू वीडियो कॉल के रूप में नहीं बल्कि टेक्स्ट चैट के रूप में लिया जाना था। जाहिर था, नौकरी देने वाले अपनी शक्ल दिखाना नहीं चाहते थे। इंटरव्यू का दिन आ गया। चैट शुरू हो गई। उम्मीदवार ने इस बार अपनी जानकारियां एकदम अलग बताईं जो बायोडेटा से मैच नहीं करती थीं। लेकिन इंटरव्यू लेने वाले फिर भी बहुत प्रभावित दिखे। उनके चैट संदेशों में स्पेलिंग की गलतियों की भरमार थी जो एक अच्छी कंपनी के इंटरव्यू लेने वालों में होनी नहीं चाहिए थी। बहरहाल, इंटरव्यू पैनल इतना प्रभावित हुआ कि उम्मीदवार ने जिस नौकरी के लिए आवेदन किया था, उससे भी बड़ी नौकरी की पेशकश कर दी गई।
उम्मीदवार ने पूछा कि मुझे करना क्या होगा? जवाब मिला कि नौकरी तो आपको मिल गई है, एक लैपटॉप भी मिलेगा। अब कुछ औपचारिकताएं पूरी कीजिए। मसलन- अपने पासपोर्ट की फोटो, अपना चित्र, आफर लेटर पर दस्तखत, मोबाइल फोन नंबर, मोबाइल का आईएमईआई नंबर और सीरियल नंबर आदि भेजिए। यहां उम्मीदवार, जो कि साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ हैं, का मुस्कुराना लाजिमी था। कंपनी किस फिराक में है, समझना मुश्किल नहीं था। पूछा तो जवाब मिला कि आईएमईआई नंबर के जरिए आपके फोन में कुछ मोबाइल ऐप्स डाले जाएंगे।
उम्मीदवार चतुर था, उसने कहा कि मुझे फोन तो नया खरीदना पड़ेगा और पासपोर्ट दूसरे शहर में पड़ा है, लाना पड़ेगा। नियोक्ता बोले- आप ऐप्पल का आईफोन मैक्स खरीदें क्योंकि उसमें कुछ खास सॉफ़्टवेयर डालने होंगे। बेहतर हो कि आप आइफोन मैक्स का पैसा कंपनी को भिजवा दें और वह सारे सॉफ़्टवेयर डालकर आपको वापस भेज देगी। सॉफ्टवेयरों के जो नाम बताए गए, वे भी असली नामों की भौंडी नकल। बहरहाल, उम्मीदवार ने फिर पलटी खाई। कहा कि मेरे भाई के पास यह फोन है, मैं उससे ले लूंगा। कंपनी फिर भी नाराज नहीं हुई। उसने कहा कि कोई बात नहीं, वही आईफोन हमें डाक से भिजवा दें, हम सॉफ्टवेयर डालकर भेज देंगे।
उम्मीदवार ने आफर लेटर की ईमेल में एक ऐसा लिंक भेजा कि ईमेल खोलने वाले शख्स के कंप्यूटर का आईपी एड्रेस हासिल हो जाए। आईपी एड्रेस तो मिला ही, उसकी खोज से यह भी पता चल गया कि वह नाइजीरिया का है। इसके बाद कंपनी ने फेडएक्स का एक लेबल भेजा जहां पर आईफोन भेजा जाना था। इस लेबल की जांच की गई तो वह नाइजीरिया के किसी शहर में खाली पड़े मकान का था। जाहिर है, ठगों ने यह सूना मकान इसलिए चुना था कि अगर वहां पर कोई पैकेट आता है तो वे उसे आसानी से निकाल सकेंगे। सो किस्सा यहीं खत्म हुआ और सिक्योरिटी विशेषज्ञ की नकली जॉब सर्च एक दिलचस्प अंत को प्राप्त हुई। सो प्रिय पाठक, अगर आपको भी कोई शानदार आनलाइन जॉब आफर आया तो जरा संभल के।
(लेखक सुप्रसिद्ध तकनीक विशेषज्ञ हैं)
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