तरुण विजय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर देहरादून में दिव्यांगजन विशेषज्ञों का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। पूर्व सांसद श्री तरुण विजय की पहल पर आयोजित समारोह में झाझरा के वनवासी आश्रम में दिन भर का विमर्श हुआ। इस दौरान तय हुआ कि जिन क्षेत्रों में दिव्यांगजनों से जुड़े सहायता के प्रकल्प नहीं पहुंचे हैं, वहां शीघ्र पहुंचा जाए। कार्यक्रम में श्री तरुण विजय ने दिव्यांगजनों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन सहायता राजनीतिक फायदा नहीं पहुंचाती। इसलिए किसी भी राजनीतिक दल द्वारा अपने घोषणापत्र में उनके लिए किसी प्रकार के आश्वासन या चुनावी घोषणा की जरूरत नहीं समझी जाती। किसी ने प्रदेश विधान सभा या संसद में दिव्यांगजन पर कभी किसी चर्चा या बहस को होते नहीं देखा।
केवल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्वकाल में दिव्यांगजनों हेतु अनेक बहुउद्देश्यीय एवं महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई गयी हैं। लेकिन प्रदेश में उनका सही क्रियान्वयन होते नहीं दीखता। करोड़ से ज्यादा दिव्यांग देश में हैं। उत्तराखंड में तो दिव्यांगजन की स्थ्तिति का आकलन तक नहीं किया गया है। अनेक परेशान अभिभावक अपने दिव्यांग बच्चों को हरिद्वार स्थित हर की पैड़ी छोड़ आते हैं। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में दिव्यांगजन सहायता के लिए योजना बनाने और उसके कार्यान्वयन हेतु विश्वास प्रकट किया। और राजनीतिक दलों से अपील की कि वे अपने चुनावी घोषणा पत्र में दिव्यांगजन सहायता के लिए आश्वासन दें।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती नितिका खंडेलवाल ने कहा कि पठनीय अक्षमता से प्रभावित बच्चों को स्नेह, समानता और समावेशी शिक्षा की आवश्यकता है।उनको चुनावी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए। राज्य स्तरीय विमर्श में समाज कल्याण विभाग की प्रमुख श्रीमती हेमलता पाण्डे ने विभिन्न सरकारी योजनाओं का विवरण दिया और पठनीय न्यून क्षमता वाले बच्चों के लिए समाज में जागरण और सहयोग की अपेक्षा की।
कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने कहा यदि बच्चों में पठनीय अक्षमता की पहचान जल्दी हो जाए तो निदान संभव हो सकता है। इसके लिए अभिभावकों में जागरूकता, स्कूलों में शिक्षकों का प्रशिक्षण और नियुक्ति को सुनिश्चित करना, बच्चों की चिकित्सकीय जांच की सुविधाएं पहाड़ तक ले जाना जरूरी है।
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