विश्व बैंक ने एक स्वतंत्र, निजी मशहूर कानून की विशेषज्ञ अमेरिकी कंपनी विल्मर हेल 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' रैंकिंग की विस्तार से जांच करने की जिम्मेदारी दी थी। कंपनी विल्मर हेल ने 2018 से लेकर 2020 तक के इसके आंकड़े खंगालने के बाद ही अपनी यह रपट तैयार की है
'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' में हर देश चाहता है उसकी रैंकिंग अच्छी हो ताकि दुनियाभर के निवेशक उसके यहां अपने उद्यम लगाने आएं और कारोबारी तरक्की में वह देश अव्वल साबित हो। पिछले दिनों विश्व बैंक ने निजी और बेहद मशहूर कानून की कंपनी 'विल्मर हेल' को 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' के बारे में खंगालने का अनुबंध दिया। इसके बाद इस कानून फर्म ने करीब 80 हजार दस्तावेजों की गहन जांच की है, कितने ही लोगों से पूछताछ की है।
विल्मर हेल ने इस मशक्कत के बाद जो रपट जारी की है उसमें साफ पता चला है कि 2017 से अब तक चीन ने गलत आंकड़ों, साजिशों, हथकंडों को अपनाते हुए अपनी रैंकिग नीचे आने से रोके रखी है। लेकिन इस विस्तृत अध्ययन से ये साबित हो गया है कि चीन ने आंकड़ों में काफी हेराफेरी की है।
उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक ने एक स्वतंत्र, निजी मशहूर कानून की विशेषज्ञ अमेरिकी कंपनी विल्मर हेल 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' रैंकिंग की विस्तार से जांच करने की जिम्मेदारी दी थी। कंपनी विल्मर हेल ने 2018 से लेकर 2020 तक के ईज ऑफ डूइंग बिजनस के आंकड़े खंगालने के बाद ही अपनी यह रपट तैयार की है जिससे घपलेबाज चीन की कलई उतर गई है।
रपट में आगे बताया गया है कि 2017 में सेंसिटीव कैपिटल रेसिंग के वक्त चीन ने अपनी ताकत के दम पर विश्व बैंक के चोटी के प्रबंधन को प्रभाव में लेकर अपनी गिरती 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' रैंकिग में हेरफेर करके उसे आगे बनाए रखा था। अगर चीन ऐसे घपले नहीं करता, प्रबंधन को प्रभाव में नहीं लेता उसकी रैंकिग 78वें से घटकर 85वें स्थान पर होती। लेकिन विश्व बैंक के अध्यक्ष और सीईओ 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' की जांच करने वाली अपने अधिकारियों को बेमतलब में चीन के आंकड़ों की फिर से गणना करने का हुक्म दिया, बस इसी घपले के चलते, चीन को अपनी रैंकिग 78वें स्थान पर बनाए रखने में कामयाबी मिल गई।
अमेरिकी कंपनी ने सऊदी अरब को भी डाटा का घपले करके 2020 में अपनी रैंकिग को तटस्थ रखने वाला देश पाया है। उस पर भी अपने पैसे के दम पर विश्व बैंक पर प्रभाव डालने का दोषी पाया गया है। बताते हैं, सऊदी अरब ने अपने संपर्कों के माध्यम से विश्व बैंक को मोटा पैसा दिया हुआ है। इसलिए वह 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' में सबसे अधिक 'कामयाबी' पाने वाला देश बना है।
एक खबर यह भी है कि इस रपट के आने के बाद संभवत:'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' की रैंकिंग बंद हो रही है। यह चीज भारत की दृष्टि से ठीक नहीं रहेगी। लेकिन चीन की घोटालेबाजी के सामने आने के बाद इसे फिलहाल बंद कर देने का निर्णय लिया गया है। यानी अब वर्ल्ड बैंक ईज ऑफ डूइंग बिजनस की रिपोर्ट जारी नहीं करेगा। हालांकि यह रपट 2003 से हर साल जारी की जाती रही थी।
इधर भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में निवेश में नए आयाम छुए जा रहे है। इसी कारण भारत आज निवेशकों का ज्यादा भा रहा है, बड़ी से बड़ी कंपनियां और उद्यम भारत में इकाइयां बना रहे हैं। भारत निवेशकों में एक विश्वसनीय और मनपसंद देश बना है। लेकिन दूसरी तरफ चालाक चीन के प्रति निवेशकों में अरुचि पैदा होती जा रही है। इधर 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' में गलत तरीकों के दम पर अपनी रैंकिंग बचाए रखने का दोषी साबित होने के बाद दुनिया भर के निवेशक उससे दूर होने लगे हैं, उन्हें हैरानी है कि चीन ने इस हद तक घपला किया है।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस में चीन का ये घोटाला और इस घोटाले से पर्दा उठने के बाद बड़े उद्यम भारत की ओर देख रहे हैं। भारत ने जिस ईमानदारी से सही आंकड़े रखें हैं और उद्यमों के अनुकूल वातावरण बनाया है उससे पूरे विश्व में भारत के प्रति भरोसा बढ़ रहा है।
हालांकि एक खबर यह भी है कि इस रपट के आने के बाद संभवत:'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' की रैंकिंग बंद हो रही है। यह चीज भारत की दृष्टि से ठीक नहीं रहेगी। लेकिन चीन की घोटालेबाजी के सामने आने के बाद इसे फिलहाल बंद कर देने का निर्णय लिया गया है। यानी वर्ल्ड बैंक ईज ऑफ डूइंग बिजनस की अब रिपोर्ट जारी नहीं करेगा। हालांकि यह रपट 2003 से हर साल जारी की जाती थी। रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि दुनिया में कारोबार और उद्यम के हिसाब से कौन सा देश कितना उपयुक्त है।
दबाव तो आते ही रहते हैं: बसु
विश्वबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रहे कौशिक बसु ने 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' रैंकिंग में घोटाले की बातों पर हैरानी व्यक्त की है। बसु ने कहा है कि वे जब विश्व बैंक में थे तब भी कई देशों की सरकारों की तरफ से दबाव आते थे, लेकिन तब विश्व बैंक कभी किसी के दबाव में नहीं आया था। लेकिन आज जो सुनने में आ रहा है, यह परेशान करने वाली बात है। बसु ने ट्वीट भी किया, जिसमें लिखा-''विश्वबैंक की 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' रैंकिंग में घपले का समाचार बहुत परेशान करने वाला है। 2012 से 2016 के दौरान 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' रैंकिंग का काम मेरे तहत था। हमारे ऊपर दबाव पड़ता था, लेकिन हम किसी दबाव में नहीं आते थे। अफसोस कि यह बदल गया है। मैं भारत को इस बात का श्रेय दूंगा कि न तो पिछली सरकार ने और न ही वर्तमान सरकार ने इस तरह का कभी कोई दबाव डाला था।''
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