राखी को लेकर फिल्मों में ऐसे कई गीत हैं जो बरसों बाद आज भी उतने लोकप्रिय हैं जितने वे पहले थे. लेकिन आश्चर्य होता है कि अब फिल्मकार अपनी फिल्मों में राखी को लेकर गीत नहीं रखते. या कहें नए गीतकारों ने राखी के बंधन को भुला दिया.
प्रदीप सरदाना
राखी को लेकर फिल्मों में ऐसे कई गीत हैं जो बरसों बाद आज भी उतने लोकप्रिय हैं जितने वे पहले थे. लेकिन आश्चर्य होता है कि अब फिल्मकार अपनी फिल्मों में राखी को लेकर गीत नहीं रखते. या कहें नए गीतकारों ने राखी के बंधन को भुला दिया. हालांकि बहन भाई के मजबूत रिश्तों को लेकर कुछ फिल्मों में अभी भी, कभी कभार कुछ न कुछ दिखाया जाता है. लेकिन उनमें राखी गीत नहीं होते. हाँ संतोष और ख़ुशी की बात यह है कि कुछ पुराने गीतकार, संगीतकार राखी पर कुछ ऐसे मधुर और शानदार गीतों की रचना कर गए हैं, जो आज भी कानों में रस घोलते हैं. जिनको सुनकर आज भी बहन भाई के इस खूबसूरत रिश्ते और राखी उत्सव में और भी रंग भर आते हैं.
यूँ राखी के अलावा बहन भाई के रिश्तों और पवित्र प्रेम पर भी कुछ पुराने अमर गीत हैं. जैसे फूलों का तारों का सबका कहना है, मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनियां, देख सकता हूँ कुछ भी होते हुए और मेरे भैया मेरे चंदा, मेरे अनमोल रत्न. लेकिन आज हम बात करते हैं सिर्फ राखी गीतों की.
राखी पर जो गीत सबसे पहले काफी लोकप्रिय हुआ वह है -भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना, भैया मेरे छोटी बहन को न भुलाना. यह गीत 1959 में आई फिल्म ‘छोटी बहन’ का है. जिसे शैलेन्द्र ने लिखा था और शंकर जयकिशन ने इसका संगीत दिया था. दिलचस्प यह है कि लता मंगेशकर का गाया यह गीत आज भी इतना लोकप्रिय है कि राखी पर सबसे पहले यही गीत ज्यादा याद आता है.
इसके बाद राखी को लेकर 1962 में प्रदर्शित फिल्म ‘अनपढ़’ में एक गीत आया -‘रंग बिरंगी राखी लेकर आई बहना रे’, राखी बंधवाले मेरे वीर. राजा मेहंदी अली खान के लिखे इस गीत को भी लता ने गाया था. जबकि इसका अमर संगीत मदन मोहन का है. यह गीत भी आज तक अपनी लोकप्रियता पहले की तरह बरकरार रखे हुए है. ‘बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बाँधा है, प्यार के दो तार से संसार बाँधा है’. फिल्म ‘रेशम की डोरी’ (1974) का यह गीत भी राखी के शिखर के 5 लोकप्रिय गीतों में शामिल है. सुमन कल्याणपुर के मधुर स्वर में सजे इस गीत के सुंदर बोल इन्दीवर के हैं और संगीत शंकर जयकिशन का.
सन 1972 में मनोज कुमार की एक फिल्म आई थी –‘बेईमान’. इस फिल्म में गीतकार वर्मा मालिक ने राखी के त्यौहार के सार और भाई–बहन के रिश्ते के महत्व को समझाते हुए, एक ऐसा गीत लिखा जिसे भुलाया नहीं जा सका. वह गीत है –‘ये राखी बंधन है ऐसा’, जैसे चन्दा और किरण का, जैसे बदरी और पवन का, जैसे धरती और गगन का. लता मंगेशकर और मुकेश ने इसे गाया और शंकर जयकिशन ने इसे संगीत दिया था. यह गीत आज भी दिलों की गहराई तक असर छोड़ता है.
पुराने दौर के दो और राखी गीत भी काफी अच्छे हैं. एक फिल्म ‘अनजाना’ (1969) का. ‘हम बहनों के लिए मेरे भैया आता है एक दिन साल में’. जिसे आनंद बक्शी ने लिखा और लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने इसकी धुनें बनायीं.
उधर पुराने दौर में 1962 में आई अशोक कुमार, वहीदा रहमान की फिल्म ‘राखी’ का एक गीत भी अच्छा ख़ासा लोकप्रिय हुआ था. हालांकि यह गीत बाद में समय की भेंट चढ़ गया. अब यह गीत बहुत कम सुनने में आता है. जबकि इसके बोल मार्मिक होने के साथ इस रिश्ते को बड़ी खूबी से बताते हैं. वह गीत है- ‘बंधा हुआ एक एक धागे में भाई बहन का प्यार,राखी धागों का त्यौहार’. इस गीत में आगे दो पंक्तियाँ भी कितनी खूबसूरत हैं देखिये-‘’धन है पराया फिर भी मिलोगी साल में दो एक बार, भाई बहन का प्यार रहेगा,जब तक है संसार. इस गीत को लिखा था राजेन्द्र कृष्ण ने और रवि के संगीत से रचे इस गीत को रफ़ी ने स्वर दिए थे.
यूँ राखी पर एक गीत 1968 की एक फिल्म ‘एक फूल, एक भूल’ में भी आया था. जिसे सुमन कल्याणपुर ने गाया था और संगीत उषा खन्ना का था. वह गीत है- ‘’राखी कहती है तुमसे भैया, मेरे भैया रखना लाज बहन की.’’ लेकिन यह गीत और यह फिल्म अब दोनों भुला दिए गए हैं.
गीतकार अब नहीं लिखते राखी गीत
इधर पिछले करीब 40 बरसों की बात करें तो इस दौरान दो तीन राखी गीत ही याद आते हैं. जिनमें एक सन 1993 की फिल्म ‘तिरंगा’ में और दूसरा सन 2000 की फिल्म ‘क्रोध’ में. ‘तिरंगा’ का गीत था- ‘मेरी राखी का मतलब प्यार भैया’. संतोष आनंद के लिखे और साधना सरगम के गाये इस गीत का संगीत लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल का है. यह गीत तब तो कुछ सुर्ख़ियों में आया, आज भी राखी के मौके पर कभी कभार किसी को यह याद हो आता है.
फिल्म ‘क्रोध’ में जो गीत था वह मुख्यतः बहनों का भाई के प्रति प्रेम और सम्मान का था. गायिका साधना सरगम ने इसे आनंद मिलिंद के संगीत निर्देशन में गाया था. गीत के बोल हैं-‘’बाबुल का प्यार तू ,मां का दुलार तू’. लेकिन इसी गीत में राखी को लेकर भी पंक्तियाँ थीं-‘’बहनों की राखी चूमे, भैया की कलाई. हालांकि यह गीत भी थोडा बहुत ही चला. शायद इसलिए अब राखी को लेकर नए गीत नहीं आ रहे. फिल्मकार ऐसे गीतों के लिए अपनी फिल्मों में जगह नहीं दे रहे. गीतकार ऐसे गीत लिख नहीं रहे. इसीलिए राखी के दिन पुराने राखी गीत सुनकर, गाकर और देखकर काम चला लिया जाता है.
यूँ इधर उम्मीद करते हैं कि आज के दौर के मनोज मुंतशिर, स्वानंद किरकिरे और प्रसून जोशी जैसे प्रतिभावान गीतकारों में से कोई राखी पर एक अच्छा सा गीत लिख कर, बताएँगे भाई-बहन का यह अनुपम बंधन आज भी उतना खूबसूरत, और मजबूत है, जितना सदियों पहले था.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक हैं )
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