पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने नंदीग्राम चुनाव नतीजों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उन्होंने न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को इस मामले की सुनवाई से अलग करने की मांग की थी। उनका कहना था कि न्यायमूर्ति चंदा को अक्सर भाजपा नेताओं के साथ देखा गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक तगड़ा झटका दिया है। नंदीग्राम चुनाव मामले की सुनवाई कर रहे एकल पीठ ने बुधवार को ममता बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। ममता बनर्जी से वसूली गई जुर्माने की रकम से कोरोना काल में जान गंवाने वाले वकीलों के परिवारों की मदद की जाएगी।
ममता बनर्जी ने नंदीग्राम चुनाव नतीजों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को सुनवाई से अलग करने की मांग की थी। ममता के वकील का दावा था कि जस्टिस कौशिक चंदा को अक्सर भाजपा नेताओं के साथ देखा गया है। इस मामले की सुनवाई खुद न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने की। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार पाते हुए यह जुर्माना लगाया है। उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल के लिए उपस्थित होता है, तो यह असामान्य है। लेकिन वह एक मामले की सुनवाई करते समय अपने पूर्वाग्रह को छोड़ देता है।
24 जून को न्यायालय ने इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की एकल पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता को अपने फैसले से अलग होने का पूरा अधिकार है और निश्चिंत रहें, मामले का फैसला न्यायिक रूप से किया जाएगा।
उन्होंने ममता बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा था कि क्या उन्हें भाजपा के संगठनात्मक ढांचे की जानकारी है? इस पर सिंघवी ने कहा था, 'भाजपा में मेरे कई दोस्त हैं। मोटे तौर पर मैं इस बारे में जानता हूं।' इस पर न्यायमूर्ति चंदा ने सिंघवी से कहा, ‘‘आपके वकीलों का भी राजनीतिक जुड़ाव है। आप कांग्रेस से हैं और मुखर्जी की भाजपा पृष्ठभूमि है। लेकिन आप टीएमसी की ममता बनर्जी के मामले में पेश हो रहे हैं।’’
बता दें कि नंदीग्राम सीट से ममता बनर्जी भाजपा के सुवेंदु अधिकारी से हार गई थीं। हार के बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि रिटर्निंग ऑफिसर ने कथित तौर पर कहा था कि उन्हें वोटों की दोबारा गिनती के खिलाफ धमकी दी गई थी। इसके खिलाफ उनकी पार्टी ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को पत्र लिख कर निर्वाचन क्षेत्र में "मतदानों और डाक मतपत्रों की तत्काल दोबारा गिनती" करने की मांग की थी, जिसे चुनाव आयोग ने ठुकरा दिया था।
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