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होम भारत दिल्ली

कन्वर्जन : जामिया में मिला जिहाद का जिन्न

अरुण कुमार सिंह by अरुण कुमार सिंह
Jul 2, 2021, 12:25 pm IST
in दिल्ली
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अरुण कुमार सिंह

उत्तर प्रदेश एटीएस के कब्जे में मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी


दिल्ली के जामिया नगर से मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी की गिरफ्तारी के बाद जिहाद की परतें खुलती जा रही हैं। अब जिहादी उन लोगों को भी अपना शिकार बनाने लगे हैं, जो न तो बोल सकते हैं और न ही सुन सकते हैं। इसके लिए इन्हें पाकिस्तान और सऊदी अरब से पैसा मिल रहा है। देश के अंदर भी कुछ संगठन और नेता हैं, जो इन्हें हर तरह से मदद कर रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसलिए देश में कन्वर्जन को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग होने लगी है
 
 
    गत 21 जून को पूरा देश उस समय सन्न रह गया, जब पता चला कि देश की राजधानी दिल्ली के जामिया नगर में एक ऐसा दफ्तर चल रहा है, जहां से हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है यानी इस्लाम के लिए जिहाद किया जा रहा है। इस दफ्तर का पता है- सी-2, जोगाबाई एक्सटेंशन, जामिया नगर, नई दिल्ली। इन जिहादियों का सरगना है मोहम्मद उमर गौतम। वह पहले हिंदू था और नाम था श्याम प्रताप सिंह गौतम।

    उमर का एक साथी है मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी। यही मुसलमान बने लोगों के लिए प्रमाणपत्र आदि तैयार करवाता था। उत्तर प्रदेश पुलिस को इन दोनों की करतूतों की जानकारी रमजान और कासिम ने दी थी। रमजान और कासिम को पुलिस ने दो जून को गाजियाबाद के डासना स्थित शिव शक्तिधाम देवी मंदिर से पकड़ा था। उल्लेखनीय है कि ये दोनों मंदिर के महंत स्वामी यति नरसिंहानंद की हत्या के ख्याल से नाम बदलकर मंदिर परिसर में दाखिल हुए थे। रमजान ने अपना नाम विपुल विजयवर्गीय और कासिम ने अपना नाम काशी गुप्ता बताया था। शक होने पर दोनों से पूछताछ की गई, तो इनकी असलियत सामने आई। इसके बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर कई दिन तक पूछताछ की। उसी पूछताछ में इन दोनों ने मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी की करतूतों के बारे में बताया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने एक अभियान चलाया। इसी दौरान उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते यानी एटीएस को जानकारी मिली कि कुछ देश विरोधी और असामाजिक तत्व पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आईएसआई और कुछ अन्य विदेशी संगठनों के पैसे पर गैर-मुस्लिम युवाओं को अपने धर्म के विरुद्ध भड़काकर उन्हें कट्टर मुसलमान बना रहे हैं। यही नहीं, इन युवाओं को संगठित अपराध करने के लिए भी उकसा रहे हैं। इस मामले में मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को 21 जून को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया। इन जिहादियों ने बताया है कि वे मूक-बधिर लड़कों को मुसलमान बनाकर उन्हें मानव बम के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे।

       यही कारण है कि इस मामले में 22 जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा निर्णय लिया है। उन्होंने दोनों जिहादियों के विरुद्ध गुंडा कानून यानी रासुका लगाने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि इस प्रकरण की तह तक जाने के लिए जांच एजेंसियों से इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं, उन्होंने आरोपियों की संपत्ति की जांच कर उसे जब्त करने के भी निर्देश दिए हैं।
    वास्तव में उमर और जहांगीर की जैसी करतूतें हैं, उसके आधार पर उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। पूछताछ के दौरान इन दोनों ने उत्तर प्रदेश एटीएस को जो कुछ बताया, वह चौंकाने वाला है। उमर ने बताया है कि उसने अभी तक लगभग 1,000 गैर-मुस्लिमों को मुसलमान बनाया है और बड़ी संख्या में उनकी शादी मुसलमानों से कराई है। इनमें से अधिकतर हिंदू हैं।
  

    उमर और उसके गुर्गे ‘इस्लामिक दावा सेंटर’ चलाते हैं, जिसका काम है गैर-मुस्लिमों को मुसलमान बनाना। इसका मुख्यालय 2, जोगाबाई एक्सटेंशन, जामिया नगर में है। उमर ने यह भी बताया कि इस संस्था को कन्वर्जन के लिए विदेशों से पैसे मिलते हैं। कन्वर्जन के काम में उमर का मुख्य सहयोगी मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी है, जो गांव जोगाबाई, जामिया नगर का रहने वाला है। जहांगीर के अलावा उमर के साथ अन्य बहुत सारे लोग हैं, जिन्हें अलग-अलग कार्य दिए गए हैं। पूछताछ में उमर ने बताया है कि उसने नोएडा के सेक्टर 117 स्थित ‘नोएडा डेफ सोसाइटी’ द्वारा मूक-बधिर बच्चों के लिए संचालित विद्यालय के अनेक बच्चों का कन्वर्जन कराया है। ऐसे दो बच्चों (आदित्य गुप्ता और मन्नू यादव) के माता-पिता से एटीएस ने पूछताछ की, तो और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। आदित्य कानपुर का रहने वाला है। उसके माता-पिता ने एटीएस को बताया है कि आदित्य का कन्वर्जन करके उसे दक्षिण भारत के किसी राज्य में ले जाया गया था। इसकी जानकारी आदित्य ने ही वीडियो कॉल करके दी थी। इसके बाद उसके पिता ने कानपुर के कल्याणपुर थाने में एक एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। (हालांकि उमर और जहांगीर की गिरफ्तारी से ठीक एक दिन पहले यानी 20 जून को आदित्य घर लौट आया)।

    विहिप ने की केंद्रीय कानून बनाने की मांग
    विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा है कि दिल्ली के जामिया नगर से पकड़े गए कन्वर्जन के षड्यंत्रकारियों से यह स्पष्ट हो गया कि इनका षड्यंत्र कितना गहरा, व्यापक, घिनौना और राष्टÑव्यापी है। अभी तक ये भोले- भाले मासूमों को ही पकड़ते थे। अब तो इन्होंने सब प्रकार की सीमाएं पार करके मूक-बधिर बच्चों को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। उनमें से कुछ बच्चे गायब भी हो चुके हैं। इससे साफ लगता है और इनका इतिहास भी यही बताता है कि उनका उपयोग संभवत: आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। एक मुस्लिम नेता ने तो इनको निरअपराध भी घोषित कर दिया और कहा कि इनको कानूनी सहायता भी मिलेगी। इससे पता चलता है कि इन्हें विदेशों से भी बहुत  पैसा मिलता है और मुस्लिम समाज का एक वर्ग इनका साथ भी देता है। इनके कई रूप सामने आ चुके हैं। इसीलिए एक बार न्यायपालिका ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि लव जिहाद कन्वर्जन  का सबसे घिनौना स्वरूप है। इसलिए अब समय आ गया है कि इस पर राष्टÑव्यापी बहस के साथ राष्टÑव्यापी जांच होनी चाहिए। नियोगी आयोग जैसा एक आयोग पूरे देश में इनके षड्यंत्रों की जांच के लिए स्थापित होना चाहिए। जिस कोरोना काल में पूरा देश तन-मन के साथ पीड़ितों की सहायता में लगा है तब जिहादी मिशनरी कन्वर्जन में लगे हैं। इन पर प्रतिबंध लगना चाहिए। संविधान सभा के कई सदस्यों ने कन्वर्जन के विरुद्ध केंद्रीय कानून बनाने की वकालत की थी। हमारा स्पष्ट मत है कि अब यह समय आ गया है कि इस पर केंद्रीय कानून बनाने की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। भारत कन्वर्जन के कारण पहले ही विभाजन की एक विभीषिका को झेल चुका है। कन्वर्जन के कारण ही आज भारत में जिहादी आतंकवाद है। कश्मीर घाटी हिंदू-विहीन हो गई है। अब भारत को इस तरह की त्रासदी से मुक्त कराने का समय आ गया है और संपूर्ण राष्टÑ को संकल्पबद्ध होकर इस षड्यंत्र को रोकना चाहिए।

    मन्नू को बनाया मन्नान

  गुरुग्राम के मूक बधिर मन्नू यादव को मेवात के कुछ मुस्लिम युवक पढ़ने के नाम पर नोएडा ले गए थे। इसके बाद उन्होंने पहले उसका मन परिवर्तन किया और फिर मुसलमान बना दिया। अब उसका नाम मन्नान अब्दुल हो गया है। मन्नू के पिता राजीव यादव ने बताया कि कुछ ही दिन पहले उसके कन्वर्जन की जानकारी मिली। जब मन्नू से पूछा तो उसने कहा कि उन लोगों ने हवाई जहाज से विदेश ले जाने और अच्छी नौकरी दिलाने की बात कही है। यही नहीं, मरने पर परी मिलने की बात भी बताई है। इसलिए वह मुसलमान बना है। मन्नू की मां अपने बेटे की बात सुनकर बहुत परेशान हैं। उनका कहना है कि मेरा बेटा न तो बोल सकता है और न ही सुन सकता है, फिर वह अपनी मर्जी से मुसलमान बनने की बात कैसे कर सकता है? मन्नान के नाम से इसी साल 11 जनवरी को एक ‘कन्वर्जन सर्टिफिकेट’ भी जारी किया गया है। इसके साथ ही नोटरी से प्रमाणित एक शपथपत्र भी है, जिसमें लिखा गया है कि कि मन्नू यादव ने अपनी मर्जी से इस्लाम को स्वीकार किया है।

    श्याम से उमर बनने की कहानी
    उमर गौतम यानी श्याम प्रताप सिंह मूल रूप से फतेहपुर जिले के थरियांव थाना क्षेत्र के पंथुआ गांव का रहने वाला है। श्याम ने गांव में ही हाई स्कूल तक की पढ़ाई की थी। आगे की पढ़ाई के लिए 1979 में पंतनगर चला गया था। इसके बाद वह दिल्ली में रहने लगा। 1982 में उसने गाजीपुर थाना क्षेत्र के खेसहन गांव के छत्रपाल सिंह की बेटी राजेश कुमारी से शादी की। इसके एक साल बाद लोगों को पता चला कि उसने इस्लाम कबूल कर लिया है। इससे उसके परिवार वाले बहुत नाराज हुए थे। श्याम के पिता धनराज सिंह की मौत लगभग डेढ़ वर्ष पहले हुई थी, लेकिन वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं आया था। श्याम छह भाइयों में चौथे क्रमांक का है। उसके अन्य भाई हैं- उदय राजप्रताप सिंह, उदय प्रताप सिंह, उदयनाथ सिंह, श्रीनाथ सिंह और ध्रुवप्रताप सिंह।

    आदित्य को ऐसे बनाया गया अब्दुल्ला

    कानपुर के काकादेव क्षेत्र में रहने वाले अधिवक्ता राकेश गुप्ता का 23 वर्षीय बेटा आदित्य गुप्ता मूक-बधिर है। उसे पढ़ाने के लिए उसकी मां ने भी सांकेतिक भाषा सीखी थी और इसी आधार पर कानपुर के एक मूक-बधिर स्कूल में उनकी नौकरी भी लग गई थी। आदित्य उसी में था। बाद में वह नोएडा के मूक-बधिर स्कूल के संपर्क में आया। कहा जा रहा है कि यहीं कुछ दिन पहले ही उस पर जिहादियों की नजर पड़ी और उसे बहला-फुसलाकर मुसलमान बना दिया। एक रात उसकी मां लक्ष्मी ने उसे घर पर नमाज पढ़ते देखा तो वह हैरान रह गई। मां ने बहुत पूछा, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। फिर परिवार के दूसरे लोगों ने भी जानने की कोशिश की, लेकिन आदित्य ने किसी को कुछ नहीं बताया। फिर उसने 11 मार्च, 2021 को किसी को कुछ बताए बिना घर छोड़ दिया। बहुत खोजने के बाद भी वह नहीं मिला तो घर वालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। आदित्य के पिता का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसलिए कई महीने तक उसका कुछ भी पता नहीं चला। पिछले दिनों उसकी मां बीमार हुई तो उन्होंने फेसबुक पर अपनी तबीयत खराब होने की बात लिखते हुए आदित्य से घर लौट आने की अपील की। इसके बाद वह 20 मार्च को घर लौट आया। आदित्य के पिता के अनुसार आदित्य के बचत खाते में विदेश से 7,000 रु. प्रतिमाह जमा होते हैं। इसकी जानकारी पुलिस को भी दी गई थी। इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए कि उसके खाते में कौन और कहां से पैसा जमा कर रहा था और क्यों कर रहा था?

    डासना मंदिर और जिहादी

    डासना स्थित शिव शक्तिधाम देवी मंदिर में दो जून को प्रवेश करने वाले रमजान और कासिम को एक षड्यंत्र के तहत वहां भेजा गया था। षड्यंत्रकारी उमर और जहांगीर ही हैं। हालांकि इन दोनों ने जान-बूझकर रमजान और कासिम से दूरी बनाने की कोशिश की थी। बता दें कि रमजान का असली नाम है विपुल विजयवर्गीय और वह नागपुर का रहने वाला है। कुछ समय पहले उसकी भेंट मुम्बई के मौलाना मुंजीर से हुई थी। उसने विपुल को नौकरी दिलाने के नाम पर मुसलमान बनाया था। अब विपुल रमजान बन कर गैर-मुसलमानों को मुसलमान बनाने की ‘नौकरी’ कर रहा है।

    इन जिहादियों का दूसरा शिकार बना मन्नू यादव। मन्नू गांव बाबूपुर, दौलताबाद, गुरुग्राम, हरियाणा का रहने वाला है। उसके पिता राजीव यादव ने बताया कि घर वालों को बिना किसी तरह की जानकारी दिए मन्नू को मुसलमान बना दिया गया है। अब राजीव भी अपने बेटे को इन कथित जिहादियों से मुक्त कराने के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं।
    उमर गौतम ने पुलिस को बताया कि वह ‘इस्लाम की दावत’ से प्रभावित होकर मुसलमान बना था। इस्लाम की दावत का मतलब है इस्लाम का निमंत्रण, जिसमें गैर-मुस्लिमों से कहा जाता है, ‘‘आओ काफिरो! इस्लाम की तरफ आओ, जहां से जन्नत के रास्ते खुलते हैं। कब तक काफिर मुशरिक की मौत मरते रहोगे और जहन्नुम की आग में जलते रहोगे?’’

    दरअसल, इस्लाम की दावत का आयोजन तब्लीगी जमात से जुड़े लोग करते हैं। इनका एक ही उद्देश्य होता है किसी भी तरह गैर-मुस्लिमों को इस्लाम की ओर लाना। इसके लिए ये लोग छल-कपट के साथ-साथ डराने-धमकाने का भी काम करते हैं। इनके निशाने पर वे गैर-मुस्लिम युवा होते हैं, जो बेरोजगार होते हैं या अपने घर से बाहर रहकर कहीं पढ़ाई या कुछ और कर रहे होते हैं। तब्लीगी जमात के लोग ऐसे युवाओं की पहचान कर उन्हें अपने संपर्क में लाते हैं। ऐसे युवा जब पूरी तरह उनकी बात मानने लगते हैं, तब वे उन्हें कन्वर्ट कर देते हैं। यही श्याम के साथ भी हुआ था और वह मुसलमान यानी उमर बन गया था। पढ़ने के दौरान ही जिहादियों ने उसे भड़का दिया था। आज वही उमर जिहाद का जिन्न बन गया है। इस जिन्न को कौन पाल रहा है, यह पता करने के लिए गहन जांच होनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान से लगता तो है कि इस जिन्न के पीछे जो लोग हैं, वे जल्दी ही बेनकाब होंगे।

 

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