आपातकाल लोकतंत्र को खत्म करने और सत्ता कायम रखने का प्रयास था
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत दिल्ली

आपातकाल लोकतंत्र को खत्म करने और सत्ता कायम रखने का प्रयास था

by WEB DESK
Jun 25, 2021, 12:08 pm IST
in दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अश्विनी कुमार चौबे


आपातकाल के लागू होने से पहले ही भ्रष्टाचार एवं लोकतंत्र को एक परिवार से चंगुल से मुक्त कराने की लड़ाई शुरू हो गई थी. बिहार और गुजरात के छात्र पहले से आंदोलन कर रहे थे

जब आपातकाल के दिनों को याद करता हूं, तो बहुत सी स्मृतियां मानस पटल पर आकर खड़ी हो जाती हैं. जेपी की एक हुंकार से हजारों हाथ उनके समर्थन में हवा में खड़े होते थे उनमें एक हाथ मेरा भी था. 25 जून  1975 की रात आपातकाल की घोषणा की थी. दरअसल वह घोषणा लोकतंत्र को कब्जे में लेने की थी, मौलिक कर्तव्यों को बन्दी बनाने का प्रयास था. कांग्रेस की इस काली करतूत को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. भारतीय लोकतंत्र का सबसे दुःखद व काला अध्याय आपातकाल है. आपातकाल के दौरान मैं भी बक्सर व आरा की जेल में बंद था. संघर्ष और यातना का वो दौर  था. सत्ता सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की सारी मर्यादाओं को ध्वस्त कर चुकी थी. जेल में घोर यातनाएं दी जा रही थीं. उस समय मेरे जैसे लाखों युवा देश के विभिन्न जेलों में बंद थे. रातों-रात देश को जेल बना दिया गया था. अभिव्यक्ति की आजादी को कैद कर लिया गया था. विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया. 25 जून 1975 को आपातकाल के विरोध में उठे हर स्वर वंदन का अधिकारी है, उन संघर्षों का ही परिणाम है कि देश में लोकतंत्र की बुनियाद इतनी मजबूत हुई है. जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर छात्रों ने अनाचार/भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिए.

छात्र आंदोलन को पूरे देश में व्यापक समर्थन मिल रहा था. इससे कांग्रेस की सरकार बौखला गई थी. जिस बेरहमी से आंदोलन को दबाने का प्रयास किया गया था वह दिल दहलाने वाला था. दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस का रवैया आज भी नहीं बदला है. जहां भी सत्ता में कांग्रेस रहती भ्रष्टाचार का बोल बाला रहता है, पार्टी पर एक परिवार का अधिपत्य आज भी कायम है. कांग्रेस उन राजनीतिक दलों की अगुवा है जो सैनिकों के शौर्य एवं पराक्रम पर सवाल उठाते हैं. भारत के राजनीतिक इतिहास में कुछ ऐसी तारीखें दर्ज हैं, जिनके साथ क्रूरतम यादें जुड़ी हैं. 25 जून 1975 को जब भारत की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी का गला इंदिरा गांधी की सरकार ने घोटा था, एक झटके में लोकतंत्र को धराशायी कर दिया गया, लोकतंत्र के सभी स्तंभों को छिन्न-भिन्न किया गया. रातों रात राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारियां की गईं.

जिस अंदाज़ से गिरफ्तारियां हो रही थीं उससे सहजता से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि इंदिरा अपने विरोध में उठने वाली हर आवाजों को दबाने के लिए योजना तैयार कर चुकी थी. केवल राजनीतिक आवाज ही नहीं बल्कि मीडिया, कला, फिल्म, साहित्य तबका कहीं से भी उन्हें अपने खिलाफ कुछ सुनना बर्दाश्त नहीं था. सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी यातनाएं सहनी पड़ी.

ऐसा भी नहीं था कि 25 जून की रात अचानक से आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी. इसके पीछे एक बड़ी रणनीति थी. देश की जनता पर आपातकाल थोपने का मकसद सत्ता में बने रहना का तो था ही इससे भी अधिक खतरनाक मंशा तत्कालीन हुकुमत की थी. हमें उस पक्ष पर भी  चर्चा करनी चाहिए, जिसके कारण देश के लोकतंत्र को एक परिवार ने बंदी बना लिया. दरअसल लोकतंत्र की हत्या करके ही जो चुनाव जीता हो उसे लोकतंत्र का भान कैसे रह जाएगा ? लोकतंत्र की उच्च मर्यादा की उम्मीद उनसे नहीं की सकती, जो जनमत की बजाय धनमत और शक्ति का दुरुपयोग करके सत्ता पर काबिज होने की चेष्टा करें.
श्री राजनारायण जी द्वारा इलाहबाद हाईकोर्ट में किए गए मुकदमे में कोर्ट ने अपना निर्णय इंदिरा के खिलाफ सुनाते हुए उनका चुनाव रद्द कर दिया और 6 साल तक चुनाव लड़ने से रोक दिया था.

कोर्ट का फैसला यह बता रहा था कि कांग्रेस ने कैसे सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके देश के लोकतंत्र पर आघात किया है, विपक्ष आंदोलन करने लगा था हम आपातकाल से पहले सड़कों पर थे. यानी यह कहना सहीं रहेगा कि आपातकाल के लागू होने से पहले ही भ्रष्टाचार एवं लोकतंत्र को एक परिवार से चंगुल से मुक्त कराने की लड़ाई शुरू हो गई थी. बिहार और गुजरात के छात्र पहले से आंदोलन कर रहे थे. एक तरफ देश में आपातकाल की पटकथा लिखी जा रही थी, दिल्ली के रामलीला मैदान में इतिहास की सबसे बड़ी रैली लोकनायक जयप्रकाश के नेतृत्व में हो रही थी. इसी रैली में जेपी यह अंदेशा जता रहे थे कि इंदिरा लोकतंत्र की हत्या कर सकती हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. जय प्रकाश नारायण की रैली ने कांग्रेस खेमे सहित प्रधानमंत्री को हैरत में डाल दिया था. बिजली काट दी गई ताकि अख़बार न छाप पाए, जय प्रकाश नारायण की बात जनता तक नहीं पहुंच जाए, रात 2 बजे के आस-पास पुलिस ने जेपी को गिरफ्तार करने के बाद देश में चुन-चुन कर कांग्रेस के विरोध की हर आवाज को दबाना शुरू कर दिया. देश भर में इंदिरा और आपातकाल का विरोध करने वाले नेताओं की गिरफ्तारियां हो चुकी थीं.

 यह संघर्ष  लगभग 21 महीने चला. इसके बाद जाकर अलोकतांत्रिक और दुराचार से त्रस्त जनता ने खुली हवा में सांस ली. 1977 का चुनाव किसी नेता ने नहीं बल्कि देश की जनता ने कांग्रेस के खिलाफ लड़ा और उसका परिणाम आज भी नजीर के तौर पर जाना जाता है. इंदिरा हार चुकी थीं. कांग्रेस हार चुकी थी. लोकतंत्र खिलखिला कर उन नेतृत्वकर्ताओं का अभिनन्दन कर रहा था, जिनके नेतृत्व में हमने आज़ादी की इस दूसरी लड़ाई को लड़ कर लोकतंत्र को बहाल करवाया था. आपातकाल के दौरान सभी प्रमुख विरोधी नेता जेल में थे, मैं भी जेल में लोकतंत्र की सुनहरे दिन की कल्पना से एक-एक दिन काट रहा था, तब मन में यही विचार आता था देश को एक ऐसे नेतृत्व की आवश्कता है, जो सभी विचारों को समावेश करके आगे बढ़े, हमने अटल जी का कार्यकाल देखा सभी के विचारों का स्वागत होता था, आलोचनाओं  के बिंदु पर हास्य विनोद होता था. अब आज हमारा लोकतंत्र की उच्च मर्यादा और आदर्शों का पालन करने वाले कठिन परिश्रम को तवज्जो देने वाले नेतृत्व के हाथों में हैं. जब मै उन संघर्ष और यातनाकाल को जब याद करता हूं तो मुझे आज के उन बौद्धिक लोगों पर दया आती है, जो आज के मजबूत लोकतंत्र को आपातकाल के दौर से तुलना करने हैं.

जो आपातकाल की रट लगाए बौद्धिक तबका है, उसे यह समझना चाहिए कि गत अठारह वर्षों से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचनाएं ही कर रहे हैं. गत छह वर्षों से उनकी आलोचना हर कदम पर की गई है. क्या उनके साथ आपातकाल जैसा व्यवहार हुआ ? आज कोरोना और भारत-चाइना सीमा पर चल रहे तनाव का मुद्दा चर्चा में हैं. जो आपातकाल का हौवा खड़ा कर रहे हैं उन्हें देखना चाहिए प्रधानमंत्री कभी भी उनके बयानों पर आपत्ति नहीं जताते बल्कि लोकतंत्र के मंदिर संसद में वह कई बार बोल चुके हैं कि हमें एक टीम की तरह काम करना है, विपक्ष के सुझावों एवं आलोचनाओं का सदैव स्वागत किया है. इस  उदारपन को समझने की आवश्कता है. देश ने यह भी देखा है और देख भी रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मामले पर भी सरकार की कटु आलोचना हुई है, लेकिन हमारा दल और एनडीए सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों को समझने वाली है, जनता ने स्वयं ही उनके द्वारा फेंके गए पत्थर से हमारे लिए देश सेवा के लिए एक प्रचंड बहुमत वाला मजबूत पूल बनाकर दिया है.जिसके कारण पर देश की सेवा कर पा रहे हैं. बहरहाल, हमें उन महान आंदोलनकारियों को सदैव नमन करना चाहिए जिन्होनें लोकतंत्र को पुन: स्थापित करने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी, कठोर यातनाएं झेली

Share21TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

माता वैष्णो देवी में सुरक्षा सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

माता वैष्णो देवी में सुरक्षा सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

कारगिल विजय यात्रा: पूर्व सैनिकों को श्रद्धांजलि और बदलते कश्मीर की तस्वीर

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दोस्तरीय रणनीति

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies