आलोक गोस्वामी
आयशा पर 'राजद्रोह' का केस क्या दर्ज हुआ, केरल के कम्युनिस्टों और कांग्रेसियों में जैसे प्रतिद्वंदिता उभर आई है एक-दूसरे से ज्यादा सेकुलर दिखने की। वामपंथी मंत्री शिवनकुट्टी ने खुलकर आयशा का समर्थन किया है
लक्षद्वीप पर ताजा घटनाक्रमों में एक दिलचस्प परिदृश्य उभर रहा है। मामला मुस्लिम मजहब से जुड़ा है तो बेशक, खुद को सेकुलर दिखाने की होड़ लगी है, केरल में एलडीएफ और यूडीएफ में। एलडीएफ सरकार में मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने तो आयशा को फोन तक कर लिया और कहा कि 'वह खुद को अकेला न समझे, अपनी लड़ाई जारी रखे।' तो केरल में कांग्रेस नेता एम.एम. हसन सहित और कई सेकुलर नेताओं ने फिल्मकार आयशा को आगे बढ़—बढ़कर अपना समर्थन दिया है। उल्लेखनीय है कि लक्षद्वीप में कोविड-19 के संदर्भ में वहां कि प्रशासक के विरुद्ध अभद्र टिप्पणियों के बाद, आयशा के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। उसके बाद से मुस्लिम बहुल इस द्वीप समूह में मजहबी उन्मादी भावनाओं को नए सिरे से उभारने में तमाम सेकुलर दल और मीडिया वाले एक—दूसरे से आगे निकलने की आपाधापी दिखा रहे हैं। कई लोगों ने मांग की है कि उनके खिलाफ मामला वापस लिया जाए।
शिवनकुट्टी ने एक बयान भी जारी किया। इसमें उन्होंने कहा, ‘आयशा सुल्ताना लक्षद्वीप सरकार की तानाशाही और फासीवादी नीतियों के खिलाफ संघर्ष का लोकप्रिय चेहरा हैं। उन पर राजद्रोह का केस लगाया गया। केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से लक्षद्वीप के लोगों के समर्थन की घोषणा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। केरल लक्षद्वीप के लोगों के साथ है।’ यानी अब एलडीएफ कामरेडों की बहुलता वाली विधानसभा ने एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया, आयशा के समर्थन में। उधर, एक अन्य बयान में यूडीएफ के संयोजक एम.एम. हसन ने भी अपना समर्थन जता दिया। उन्होंने कहा कि आयशा उस प्रशासन के विरोध की आवाज हैं, जिसने लक्षद्वीप के लोगों के शांतिपूर्ण जीवन को बाधित किया है।' 'जनभावनाओं' के समर्थन में केरल के ये दोनों गुट खुलकर उतर आए हैं, दोनों के सांसद लामबंद हो गए हैं। उनकी ओर से पटेल को हटाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा गया। इन सांसदों ने 'जनांदोलन' और तेज़ करने की बात कही है।
आयशा को लेकर दिख रही ऐसी तत्परता पर केरल के एक विद्वान का कहना है कि मामला 'आयशा' का है, इसलिए कम्युनिस्ट ऐड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं, कहीं अपने केरल में ही किसी 'आशा' पर कोई वास्तविक संकट आता तो इनमें से एक न खड़ा होता उसके पाले में। सेकुलरवाद के तमगे चिपकाए घूमने वाले लोग हैं ये।
आयशा को 'कानूनी सहायता'
यूडीएफ के हसन का तर्क है कि जिसने भी उस टीवी चैनल बहस को सुना है उसे पता है कि आयशा ने देश या केंद्र सरकार के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि प्रशासक के जनविरोधी कार्यों के खिलाफ बोलने पर राजद्रोह का आरोप कैसे लगाया। उन्होंने कहा कि एक नेता के रूप में वह उन्हें कोई भी कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हैं। वैसे, हसन यह भूल गए कि नेता कानूनी सहायता नहीं देते, कानूनी सहायता तो कानून के जानकार या वकील ही दे सकते हैं।
मजहबी उन्माद और कामरेडों का रिश्ता क्या?
इतना ही नहीं, मजहबी उन्मादियों के द्वारा प्रचारित किए जा रहे इस झूठ को कि, प्रशासक यहां की जीवन जीने के तरीकों का बदल रहे हैं, हाथोंहाथ लेते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने लक्षद्वीप में नए नये नियमन के मसौदे पर प्रशासक प्रफुल्ल पटेल पर निशाना साधना जारी रखा। अपने मुखपत्र पीपुल्स डेली में लक्षद्वीप पर एक नहीं, अनेक आलेख और संपादकीय लिखकर माकपा ने प्रशासक पटेल के खिलाफ झूठ का प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बेवजह 'गुजरात मॉडल' जैसे शब्द प्रयोग किए गए हैं। पत्र में पटेल को 'वापस बुलाने' की मांग की गई है। लक्षद्वीप के लिए केरल में, खासकर कम्युनिस्टों के पेट में उठ रहीं मरोड़ के पीछे मोटे तौर पर दो वजहें हैं—एक, भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने में लगे से कम्युनिस्टों को लगता है यह एक मुद्दा हाथ आया है भाजपानीत केन्द्र सरकार को घेरने का। दूसरी, मामला मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप का है तो लगे हाथ वहां के मजहबी उन्मादी तत्वों के साथ खड़े होकर, उन्हें खाद—पानी देकर खुद को सेकुलर दिखाया जाए। देश या राज्य या किसी प्रदेश शासित क्षेत्र के विकास और वहां शांति—सौहार्द से कम्युनिस्टों को यूं भी कभी लगाव नहीं रहा। लक्षद्वीप में मजहबी रिवाज़ और रस्में केरल के मुस्लिमों से मेल खाती हैं। और यहां आमतौर पर मलयालम ही बोली जाती है। लक्षद्वीप में एक तरह से बीफ का मिलना पूरी तरह रुक गया है। इसे आम जनता पसंद के भोजन की आज़ादी पर प्रतिबंध के रूप में देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर केरल से माकपा के राज्यसभा सदस्य एलामारन करीम प्रशासक के फैसलों के विरुद्ध बयानबाजी कर रहे हैं और स्थानीय लोगों को कथित तौर पर 'उकसा' रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और लक्षद्वीप के प्रभारी, ए.पी. अब्दुल्लाकुट्टी ने साफ कहा है कि विपक्षी नेता पटेल का विरोध इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने लक्षद्वीप में अनेक नेताओं के ‘भ्रष्टाचारी चलन’ को ख़त्म करने हेतु कुछ खास कदम उठाए हैं।
केरल में कामरेडों के मोर्चे को लीगी तत्वों, पीएफआई जैसे कट्टर मजहबी संगठनों का चुनाव में कथित समर्थन मिलता रहा है। हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनावों में भी यही गठजोड़ सक्रिय हुआ था। इस गठजोड़ ने भाजपा उम्मीदवारों के साथ ही हिन्दू संगठनों पर भी जमकर जहर उगला था। वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़े राहुल गांधी के पक्ष में लीगी तत्वों ने जमकर हिस्सा लिया था। जिहादी मानसिकता का जितना प्रसार हाल के दिनों में वायनाड में हुआ है उसने तमाम राजनीतिक जानकारों को हैरत में डाला हुआ है। इसलिए आश्चर्य नहीं कि कम्युनिस्ट और कांग्रेसी मजहबी उन्मादियों के पक्ष में खड़े दिखने को इतनी उतावली दिखा रहे हैं।
लक्षद्वीप और देश की सुरक्षा
एक तरफ तो इस्लामी कट्टरपंथी इस द्वीप के अपराध मुक्त होने का दावा करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ, आईबी ने यहां विदेशी जहाजों की अवैध आवाजाही देखी है। पुलिस की ओर से उन विदेशी जहाजों पर कोई कार्रवाई करने में ढिलाई दिखने पर चिंता जताई गई है। पिछले दिनों तटरक्षकों करीब 3000 करोड़ रुपये मूल्य का गांजा जब्त किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों ने श्रीलंका की मछली पकड़ने वाली नाव 'रविहांसी' से 300 किलोग्राम हेरोइन और 5 एके-47 राइफलें और 1,000 जिंदा कारतूस पकड़े थे। दो साल पहले की एक खुफिया रपट में श्रीलंका से लक्षद्वीप द्वीप समूह में 15 आईएसआईएस आतंकवादियों की दखल का संदेह जताया गया था।
राहुल गांधी द्वारा एक चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री से लक्षद्वीप पर गौर करने की अपील की गई थी। उसके बाद केरल कांग्रेस के नेता वी.टी. बलराम ने ‘विरोध प्रदर्शनों’ के साथ एकजुटता की घोषणा की। उधर क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन तेज होने पर, मलयालम फिल्मों के अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन पिछले दिनों लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के समर्थन में उतर आए।
फैसल का 'डर' और प्रशासक का स्पष्टीकरण
लक्षद्वीप के सांसद हैं मोहम्मद फ़ैसल। एक विदेशी न्यूज एजेंसी से बातचीत में उनका कहना है कि "पटेल 50 मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण की बात कर रहे हैं, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नए भवन बनाने की बात है। वे विकास के ख़िलाफ़ नहीं पर समझना चाहिए यहां छोटे-छोटे द्वीप हैं, जिन पर ऐसे निर्माण करने से यहां की जनता को बहुत दिक्कतें पेश आएंगी। फैसल को डर है कि यहां के बारे में फ़ैसले लेने के अधिकार एक व्यक्ति के हाथ में चले जाएंगे। लेकिन लक्ष्द्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने फैसल के इस डर को बेबुनियाद कहते हैं। उनका कहना है कि ये प्रावधान "इलाक़े के विकास और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए बनाए गए हैं।" इसमें सभी नियमों का पालन किया गया है।फ़ैसल को एक और डर है कि 'प्रशासक के फैसलों पर कोई विरोध न करे, इसलिए विरोध करने वालों को गिरफ़्तार करने के लिए नया कड़ा क़ानून लाने का प्रावधान किया गया है।' एंटी सोशल एक्टिविटी रेग्यूलेशन ड्राफ़्ट, जिसे फैसल 'गुंडा एक्ट' बताते हैं, पर पटेल का कहना है कि हाल ही में हुए कुछ आपराधिक मामलों को देखते हुए इस क़ानून की ज़रूरत पड़ी है। उनके अनुसार, "डेढ़ से दो महीने पहले तटरक्षकों ने लक्षद्वीप के पास से नशीले पदार्थों की एक बहुत बड़ी खेप पकड़ी है, जिसकी क़ीमत 500 करोड़ रु. से ज़्यादा है। वहां एके-47 राइफ़ल भी पकड़ी गई है। लक्षद्वीप में बड़े पैमाने पर गांजे की तस्करी हो रही है। निर्दोष लोगों को इस कानून से डरने की कोई ज़रूरत ही नहीं है।"
टिप्पणियाँ