लक्षद्वीप निवासी आयशा सुल्तान पर वहां की पुलिस ने प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ टिप्पणी को देश की एकता—अखंडता के विरुद्ध माना
आखिरकार लक्षद्वीप निवासी फिल्मकार आयशा सुल्ताना के खिलाफ 'राजद्रोह' का मामला दर्ज हो ही गया। यह मामला अब्दुल खादेर की शिकायत पर दर्ज हुआ है। आयशा ने लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को ‘केन्द्र द्वारा लक्षद्वीप के विरुद्ध उपयोग में लाया जा रहा बायो-वेपन’ यानी जैविक हथियार कहा था। आयशा ने लिखा था कि पटेल और उनकी नीतियां 'बायो-वेपन' का काम कर रही हैं। इसके साथ ही उसने लक्षद्वीप में कोरोना फैलने को लेकर भी पटेल व उनके अधीन अधिकारियों पर दोष मढ़ा था।
इसी अपराध में 10 जून को लक्षद्वीप पुलिस ने आयशा के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। आयशा एक फिल्म एक्टिविस्ट भी है। आयशा के विरुद्ध लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती के पुलिस थाने में यह मामला दर्ज किया गया है। लक्षद्वीप भाजपा के अध्यक्ष सी. अब्दुल खादेर हाजी ने उसके खिलाफ शिकायत की थी। आयशा पर भारतीय दंड संहिता की धारा-124ए (राजद्रोह) और 153बी के तहत मामला दायर किया गया है। इसमें ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाती है, जिनके बयानों या कृत्यों से देश की एकता व अखंडता को आघात लगता हो। खादेर ने अपनी शिकायत के साथ एक मलयालम चैनल मीडिया आन टीवी पर एक चर्चा में आयशा के बयान का जिक्र किया है।
लक्षद्वीप भाजपा के अध्यक्ष सी. अब्दुल खादेर हाजी ने उसके खिलाफ शिकायत की थी। आयशा पर भारतीय दंड संहिता की धारा-124ए (राजद्रोह) और 153बी के तहत मामला दायर किया गया है। इसमें ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाती है, जिनके बयानों या कृत्यों से देश की एकता व अखंडता को आघात लगता हो।
उल्लेखनीय है कि गुजरात में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में रहे प्रफुल खोड़ा पटेल राज्य में तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार में गृहमंत्री थे। अगस्त 2016 से जनवरी 2020 तक वह दमन एवं दीव के प्रशासक थे, जिसके बाद उन्हें दादर व नगर हवेली और बाद में लक्षद्वीप का प्रशासक नियुक्त किया गया है।
आयशा सुल्ताना द्वारा प्रफुल पटेल के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक बयान के बाद स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक बड़ा विरोध प्रदर्शन भी किया था। पता चला है कि केरल में भी भाजपा के अनेक कार्यकर्ताओं ने आयशा के उक्त बयान के विरुद्ध मामला दर्ज कराया है। लेकिन आयशा ने यह बयान सिर्फ टीवी के कार्यक्रम में ही नहीं दिया, बल्कि संभवत: सेकुलर तत्वों के उकसाने पर, बाद में अपनी फेसबुक वॉल पर भी उसने अपने बयान का बचाव किया था और उसे फिर से लिखा था।
आयशा ने न सिर्फ पटेल और उनकी नीतियों को ‘बायो-वेपन’ बताया था बल्कि लक्षद्वीप में कोरोना संक्रमण के लिए भी पटेल व उनके अधीनस्थ अधिकारियों को दोष दिया था। ‘लक्षद्वीप साहित्य प्रवर्तन संगम’ ने आयशा के बयान का समर्थन किया है। उसका कहना है कि उसे 'देशद्रोही' नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने उसने प्रशासक के ‘अमानवीय’ निर्णयों के विरुद्ध आवाज़ उठाई है। इतना ही नहीं, संगम ने भी संक्रमण फैलने के पीछे पटेल को जिम्मेदार ठहराया।
प्रफुल्ल पटेल लक्षद्वीप को सुरक्षित और सुविधा सम्पन्न बनाने के लिए चंद सुधार कानून लेकर आए हैं। उनका मानना है कि इससे वहां पर्यटन को फिर से जमाने में मदद मिलेगी। लक्षद्वीप का प्रशासन इसे मालदीव की तर्ज पर एक आकर्षक पर्यटन स्थान बनाना चाहता है। ये मसौदा नियमन भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत प्रशासक को कुछ अधिकार देता है, जिसके अंतर्गत है कि वे द्वीपों पर 'किसी भी क्षेत्र को योजना का क्षेत्र' घोषित किया जा सकते हैं। लेकिन इन योजनाओं का प्रस्ताव रखने के साथ ही, कांग्रेस सहित तमाम सेकुलर और मजहबी कट्टरपंथी उसका विरोध कर रहे हैं।
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