सात साल पहले कांग्रेस पार्टी से भगदड़ का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह बजाय कम होने के तेज होता जा रहा है। केवल विधायकों या उस स्तर के नेताओं को ही शामिल किया जाए, तो यह संख्या अब तक सैकड़ों में पहुंच चुकी है।
बुधवार को जैसे ही जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की खबर आई कर्नाटक के युवा सांसद तेजस्वी सूर्य ने कांग्रेस पार्टी के एक पुराने ट्वीट को शेयर किया। यह ट्वीट मार्च 2018 में हुए कांग्रेस महासमिति के सम्मेलन के मौके पर जारी किया गया था। इसमें अंग्रेजी में लिखा था ‘द यंग गन्स ऑफ द पार्टी एट कांग्रेस प्लैनरी-2018।’ इसमें पार्टी के पांच युवा नेताओं की तस्वीरें थीं। ये थे ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा और दिव्य स्पंदना।
तेजस्वी सूर्य ने अपने ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस अपने युवाओं के साथ कैसा बर्ताव करती है ? इनमें से दो पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। दो का एक-एक पैर बाहर है। और एक (यानी दिव्य स्पंदना) लापता हैं।
सात साल पहले कांग्रेस पार्टी से भगदड़ का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह बजाय कम होने के तेज होता जा रहा है। केवल विधायकों या उस स्तर के नेताओं को ही शामिल किया जाए, तो यह संख्या अब तक सैकड़ों में पहुंच चुकी है। हाल में केरल विधानसभा के चुनावों के ठीक पहले जब पीसी चाको ने पार्टी छोड़ी, तो किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वरिष्ठ नेताओं की तरफ अब कोई ध्यान दे भी नहीं रहा है।
उठा-पटक जारी
पार्टी के भीतर लगातार उठा-पटक जारी है। पंजाब विधानसभा के चुनाव करीब हैं और वहां नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बीच टकराव चल रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सिद्धू को लगता है कि उन्हें हाईकमान का सहारा है। राजस्थान में भी कलह है।
वास्तव में किसी पार्टी का भविष्य उसके युवा नेताओं से जुड़ा होता है। पर जब उदीयमान युवा नेता पार्टी छोड़कर जाने लगें, तो सवाल पैदा होते हैं कि यह हो क्या रहा है। पिछले कुछ वर्षों में राहुल गांधी ने अपने जिन युवा सहयोगियों को बढ़ावा दिया है, वे क्यों भाग रहे हैं ? पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने बुधवार को पार्टी छोड़कर पार्टी को गहरा सदमा पहुंचाया है। इन खबरों से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है।
उत्तर प्रदेश की तैयारी
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी खासतौर से प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। उसके लिए यह चिंता का विषय है। 2019 में भी कांग्रेस छोड़कर जितिन प्रसाद के भाजपा में आने की चर्चा चली थी, पर अंतिम क्षणों में वह घोषणा रुक गई। उस वक्त एकबार खबर आई थी कि वे भाजपा में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके हैं। बाद में खबर आई कि उन्हें मना लिया गया है और वे रास्ते से लौट गए।
पिछले साल पहले मध्य प्रदेश के दिग्गज युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी संख्या में विधायकों के साथ न केवल पार्टी छोड़ी, बल्कि राज्य में कांग्रेस सरकार के पतन का आधार भी तैयार किया। ऐसा ही कुछ राजस्थान में होने के आसार बने। वैसा हुआ नहीं, पर किसी न किसी स्तर पर असंतोष कायम है।
पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस छोड़ने वाले दिग्गज नेताओं की सूची बनाएं, तो आश्चर्य होगा। इस सूची में नारायण दत्त तिवारी, एसएम कृष्णा, जयंती नटराजन, नारायण राणे, हिमंत बिस्व सरमा, अम्मार रिज़वी, सतपाल महाराज, जगदम्बिका पाल, रीता बहुगुणा जोशी, विजय बहुगुणा, शंकर सिंह वाघेला जैसे तमाम नाम हैं। कर्नाटक कांग्रेस के अनेक बड़े नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी।
वर्ष, 2016 में अरुणाचल में कांग्रेस पार्टी की सरकार जिस अंदाज में गिरी, उसकी तुलना भी कहीं नहीं मिलेगी। अरुणाचल में सामान्य दल-बदल नहीं हुआ। कांग्रेस के प्लेटफॉर्म पर जीतने वाले लगभग सभी विधायकों का पार्टी छोड़ना अभूतपूर्व था। इनके कांग्रेस छोड़ने की एक बड़ी वजह यह थी कि दिल्ली में उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। दूसरे जब लोग पार्टी छोड़कर जाते हैं, तब पार्टी आत्ममंथन नहीं करती, बल्कि दूसरे पर दोषारोपण करती है। ताजा उदाहरण है जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़कर जाने के बाद की प्रतिक्रियाएं।
फूहड़ प्रतिक्रिया
जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने की खबर के कुछ घंटे बाद ही मध्य प्रदेश कांग्रेस ने पार्टी से उनकी विदाई पर खुशी जताते हुए उन्हें कूड़ा बता दिया। एमपी कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट को कुछ मिनट बाद ही डिलीट कर दिया गया, लेकिन तब तक यह वायरल हो गया। ट्वीट में कहा गया था कि जितिन प्रसाद की विदाई से कांग्रेस खुश है। यह कूड़े को कूड़ेदान में डालने जैसी सामान्य प्रक्रिया है।
इससे पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने भी जितिन प्रसाद को पार्टी छोड़ने के लिए धन्यवाद दिया। छत्तीसगढ़ कांग्रेस की ओर से किए गए एक ट्वीट में कहा गया-जितिन प्रसाद जी का कांग्रेस पार्टी छोड़ने के लिए धन्यवाद। सवाल है कि यदि वे कूड़ा ही थे, तो पश्चिम बंगाल में हाल में हुए चुनाव में उन्हें प्रभारी क्यों बनाया गया ?
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बहरहाल, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की प्रतिक्रिया संतुलित है। उन्होंने कहा कि भाजपा में शामिल होना जितिन प्रसाद की मर्जी है, लेकिन उनका भविष्य कांग्रेस में था। सवाल है कि भविष्य उज्ज्वल था, तो जितिन प्रसाद पार्टी छोड़कर क्यों चले गए ? और पिछले दो साल से उनका मन भागने को बेचैन क्यों था ? एक और युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा कि हमारे पास अब भी ऐसे नेता हैं जिन्हें यदि ताकत दी जाए और बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो वे नतीजे दे सकते हैं।
सच यह है कि देवड़ा के मन में भी कहीं कसक है। कुलदीप बिश्नोई ने जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका करार दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को राज्यों में जीत हासिल करने के लिए जन नेताओं की पहचान कर उन्हें मजबूती प्रदान करनी चाहिए।
कुछ साल पहले तक कौन कह सकता था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़ सकते हैं, या सचिन पायलट छोड़ने की बात सोच सकते हैं। पायलट पार्टी छोड़कर चले भी गए थे। लगता यह है कि वापसी के बाद भी वे खुश नहीं हैं। ऐसे तमाम नाखुश नेता पार्टी में बैठे हैं। जितिन प्रसाद भी पार्टी अध्यक्ष को चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल थे। इसका मतलब यह है कि उन्होंने पार्टी फोरम पर भी सवाल उठाए थे। गहराई से कांग्रेस की गतिविधियों का अध्ययन करें, तो आपको पता लगेगा कि हर रोज सैकड़ों वरिष्ठ और निचले स्तर के कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़ रहे हैं या छोड़ने का इरादा बना रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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