कोरोना महामारी के कारण मार्च, 2020 से लेकर पांच जून, 2021 तक देश में 30,071 बच्चे अनाथ हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि यह संख्या अभी और बढ़ेगी। बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता—पिता दोनों ही इस दुनिया में नहीं रहे। वहीं ऐसे बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक है, जिनके पिता या माता में से किसी एक का निधन हो गया है।
गत दिनों राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीआरपीसी) ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि मार्च, 2020 से लेकर पांच जून, 2021 तक देश में 30,071 बच्चे अनाथ हुए हैं। इसके साथ ही एनसीआरपीसी ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने नियमों की अनदेखी करते हुए ऐसे बच्चों को गोद देने का मामला भी उठाया था। इस पर न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा है कि सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक बच्चों को गोद देने या लेने में जो लोग गड़बड़ी कर रहे हैं, उनके विरुद्ध ठोस कार्रवाई करें। इसके साथ ही इस पीठ ने यह भी कहा है कि अनाथ हुए बच्चों की पढ़ाई की पूरी व्यवस्था की जाए। न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसे बच्चों के लिए जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उनका प्रचार—प्रसार हो, ताकि लोग उनके बारे में जानें और बच्चों को सही दिशा दिखा पाएं।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले तक दिल्ली और पश्चिम बंगाल की सरकारें अपने यहां के अनाथ बच्चों की संख्या बताने में गंभीरता नहीं दिखा रही थीं। इस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आशंका जताई थी कि शायद ये दोनों राज्य सरकारें इन बच्चों के प्रति अपना कर्तव्य नहीं निभाना चाहती हैं, इसलिए अपने यहां के अनाथ बच्चों की सही संख्या नहीं दे रही हैं।
उन्हीं दिनों आंध्र प्रदेश सरकार ने बताया था कि उसके यहां 103 बच्चे अनाथ हुए हैं, जबकि 13 बच्चे ऐसे हैं, जिनके माता या पिता में से किसी एक का निधन हुआ है। असम में अनाथ बच्चे तीन हैं। बिहार में 292 बच्चे अनाथ हुए हैं, जबकि 1,035 बच्चों के पिता या माता की मौत हुई है। केरल में 49 बच्चे अनाथ हुए हैं और 895 बच्चों के माता अथवा पिता नहीं रहे। उत्तर प्रदेश में 270 बच्चे अनाथ मिले हैं, जबकि 1,830 बच्चों के पिता या माता का निधन हुआ है। महाराष्ट्र में 80 बच्चे अनाथ हुए हैं और 716 बच्चों के पिता या माता ने साथ छोड़ दिया है।
गत दिनों प्रधानमंत्री ने भी पीएम केयर फंड से इन बच्चों को सहायता देने की घोषणा की है।
आशा है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की मदद से अनाथ हुए बच्चे जल्दी ही सनाथ हो जाएंगे और उनकी मदद से पढ़—लिखकर देश की सेवा करने के लिए तैयार हो जाएंगे।
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