कोविड-19 की जानलेवा दूसरी लहर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से जंग की भावी रणनीति की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने दो बड़ी घोषणाएं यह कीं कि 21 जून से 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को केंद्र सरकार मुफ्त टीका लगवाएगी। दूसरे कोरोना की मार को देखते हुए सरकार गरीब वर्ग के 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को दिवाली तक मुफ्त राशन उपलब्ध कराएगी। महामारी के इस समय में, सरकार गरीब की हर जरूरत के साथ, उसकी साथी बनकर खड़ी है।
सोमवार शाम 5 बजे टीवी पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने कोरोना काल के दौरान उठाये गये लगभग सभी सवालों-आशंकाओं का निवारण किया और कोरोना की वजह से मरे लोगों के प्रति संवेदना जताने के साथ यह भी स्पष्ट कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। सामाजिक दूरी का पालन करें। मास्क लगाए रखें। इस लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम सब कोरोना से इस जंग में जीतेंगे।
सवा वर्ष में नई स्वास्थ्य अवसंरचना
प्रधानमंत्री ने बताया कि कोविड से लड़ने के लिए देश ने बीते सवा साल में एक नई स्वास्थ्य अवसंरचना तैयार की है। दूसरी लहर में कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड बढ़ाने तक में काफी तेज गति से काम किया। दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ी। भारत के इतिहास में इतनी मात्रा में कभी भी जरूरत महसूस नहीं हुई थी। इसे पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया। ऑक्सीजन एक्सप्रेस, एयरफोर्स, नौसेना की मदद ली गई। आज के समय में दस गुना उत्पादन बढ़ गया है। कोरोना की लड़ाई में दवाइयों की कमी भी देखने को मिली। दुनिया के हर कोने से जो कुछ भी उपलब्ध हो सकता था, उसे लाया गया। जरूरी दवाओं के उत्पादन को कई गुना बढ़ाया गया। विदेशों से दवाइयां और इंजेक्शन मंगाई गई।
वैक्सीन पर स्थिति साफ की
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में वैक्सीन पर पूरी स्थिति साफ की। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में वैक्सीन की मांग की तुलना में उत्पादन करने वाले देश और कंपनियां काफी कम हैं। अभी भारत के पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे। विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे यहां टीकाकरण शुरू नहीं होता था। पोलियो, चेचक जैसे टीकों के लिए देश ने दशकों तक इंतजार किया था।
लेकिन जब नीयत साफ हो, नीति स्पष्ट हो तो नतीजे मिलते हैं। भारत एक साल के भीतर ही दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दिया। अब तक 23 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि आने वाले दिनों में वैक्सीन की आपूर्ति और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में सात कंपनी विभिन्न वैक्सीन का उत्पादन कर रही हैं। दूसरे देशों से भी वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया तेज की गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। इस दिशा में भी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है। देश को अगर निकट भविष्य में सफलता मिलती है तो भारत के टीकाकरण अभियान में और तेजी आएगी। इतने कम समय में वैक्सीन बनाना पूरी मानवता के लिए बड़ी उपलब्धि है।
वैक्सीनेशन के लिए प्राथमिकता तय करने पर जवाब
प्रधानमंत्री ने कहा 16 जनवरी से अप्रैल तक केंद्र सरकार के द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा था। किसी ने कहा उम्र की सीमा केंद्र ही क्यों तय करे। आवाज उठी कि बुजुर्गों को पहले टीका क्यों दिए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कल्पना कीजिए कि अगर कोरोना की दूसरी लहर से पहले हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन नहीं दी गई होती तो क्या होता। वैक्सीन के कारण ही ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर, नर्सें, एंबुलेंस ड्राइवर एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी देशवासियों का जीवन बचा पाए। इसके बाद उन लोगों को टीकाकरण के लिए चुना गया जिन्हें खतरा अधिक था। इसलिए 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को चुना गया।
राज्यों को दिए गए अधिकार
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राज्य सरकारों ने वैक्सीनेशन का काम राज्यों पर छोड़ने के लिए कहा। 25 प्रतिशत का काम राज्यों को दे दिया जाए। 1 मई से राज्यों को 25 प्रतिशत काम दे दिया गया। इसे पूरा करने के लिए सभी ने प्रयास किए। पूरी दुनिया में वैक्सीन की क्या स्थिति है, इससे राज्य परिचित हुए। राज्य सरकारें कहने लगीं की पहली व्यवस्था ही अच्छी थी। राज्यों की इस मांग पर हमने सोचा कि देशवासियों को तकलीफ ना हो। इसलिए आज यह निर्णय लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ी 25 प्रतिशत जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार उठाएगी। अगले दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर गाइडलाइन्स तय कर लेगी। 21 जून से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देगी। देश के किसी भी राज्य सरकार का वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच केंद्र सरकार के पास कई तरह की मांगें आने लगीं। पूछा जाने लगा कि राज्य सरकारों को क्यों नहीं छूट दी जा रही है। दलील यह दी गई संविधान में स्वास्थ्य राज्य का विषय है। इसलिए अच्छा है कि राज्य ही तय करे। भारत सरकार ने गाइडलाइन्स बनाकर राज्यों को दी। स्थानीय स्तर पर कोरोना कर्फ्यू लगाना हो, माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाना हो, केंद्र ने राज्यों के इसके लिए नियम बनाकर दिए।
अफवाहों से बचें
मोदी ने कहा, इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चो पर एकसाथ लड़ा है। जब से वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई तभी से आम लोगों में शंका पैदा करने की कोशिश की जा रही है। भारत की वैक्सीन के प्रति अनेक माध्यमों से शंका को और बढ़ाया गया। वैक्सीन न लगवाने के लिए अलग-अलग तर्क प्रचारित किए गए। जो लोग वैक्सीन को लेकर आशंका पैदा कर रहे हैं, अफवाहें फैला रहे हैं, वे भोले-भाले भाई-बहनों के जीवन के साथ बहुत अन्याय कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि ऐसी अफवाहों से सतर्क रहने की जरूरत है। आप सबसे मैं अनुरोध करता हूं कि आप भी वैक्सीन को लेकर जागरूकता बढ़ाने में सहयोग करें।
-पाञ्चजन्य ब्यूरो
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