नाइजीरिया में पिछले कुछ वर्षों से कट्टर मुस्लिम फुलानी उग्रपंथियों और सुदूर गांवों में बसे ईसाइयों में संघर्ष चलता आ रहा है
नाइजीरिया के नाइजर राज्य में फुलानी उग्रपंथियों ने वहां के ईसाइयों के खिलाफ अपनी कट्टर नफरत का एक और उदाहरण पेश किया है। सूत्रों के हवाले से नाइजीरिया के मॉर्निंग स्टार न्यूज ने छापा है कि फुलानी उग्रपंथियों ने एक ईसाई पास्टर और उसके 2 साल के बच्चे को मार डाला है।
घटना 21 मई की है। जिहाद वॉच में छपी विस्तृत रपट के अनुसार, 39 साल के लेवीटीकस माक्पा ने कम्बेरी गांव में एक मिशनरी स्कूल और चर्च खोला हुआ था। वह उस चर्च का पास्टर भी था। उस दिन उसके घर पर हमला करके उसकी और 2 साल के बेटे गॉडसेंड माक्पा की हत्या कर दी गई। हमले के दौरान उसकी पत्नी और बेटी बच निकलने में कामयाब हो गए। हत्या की जानकारी गांव में रहने वाले देबोरा ओमीजा ने मॉर्निंग स्टार न्यूज को दी थी। गांव की एक महिला ओबिदिया ने बताया कि माक्पा ने मोबाइल संदेश करके उसे बताया था कि फुलानी उग्रपंथियों ने उसके घर को घेर लिया है। लेकिन उसके बाद उसे कोई संदेश नहीं मिला तो उसे चिंता हुई। अगली सुबह अखबार से उसकी हत्या की खबर मिली।
पास्टर माक्पा के नजदीकी दोस्त सोलोमन ने बताया कि उग्रपंथी पहले भी पास्टर माक्पा पर हमला कर चुके थे। पर तब माक्पा ने परिवार के साथ एक गुफा में छुपकर जान बचाई थी। उसके बाद वह फिर अपने चर्च के काम लग गया था। माक्पा का गांव सबसे अलग—थलग है इसलिए वहां शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। उसने चर्च का स्कूल खोला था। सोलामन ने बताया कि माक्पा पिछली क्रिश्चियन कॉन्फ्रेंस में शामिल हुआ था। माक्पा को मिशनरी बनाने की योजना थी। सोलोमन इस हमले को इलाके से ईसाइयत को उखाड़ फैंकने की कोशिश बताते हैं। माक्पा गरीब था, उसके पास पैसा नहीं था। यहां की आबादी में सब गरीब ही हैं। वे बताते हैं, साफ है कि फुलानी उग्रपंथी पैसे के लिए नहीं, उसकी हत्या के लिए, उसका चर्च बंद करने के लिए आए थे। सोलोमन की सोच है कि उसकी हत्या नाइजीरिया की भ्रष्ट इस्लामी सरकार के राज में असुरक्षा की गवाही देगी।
अमेरिका ने पिछले साल दिसम्बर में ही नाइजीरिया को उन देशों की सूची में डाला था जहां व्यवस्थित तरीके से पांथिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है। इस सूची में चीन, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सउदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान हैं।
पास्टर माक्पा के नजदीकी दोस्त सोलोमन ने बताया कि उग्रपंथी पहले भी माक्पा पर हमला कर चुके थे। उसके बाद वह फिर अपने चर्च के काम लग गया था। उसने चर्च का स्कूल खोला था। उसे मिशनरी बनाने की योजना थी। सोलोमन इस हमले को इलाके से ईसाइयत को उखाड़ फैंकने की कोशिश बताते हैं। वे कहते हैं, उग्रपंथी पैसे के लिए नहीं, माक्पा की हत्या के लिए, उसका चर्च बंद करने के लिए आए थे।
ईसाइयों के पीछे पड़े मुस्लिम उग्रपंथी!
बताते हैं कि नाइजीरिया के मध्यवर्ती क्षेत्र, जिसे ‘मिडल बेल्ट’ कहते हैं, ही वह स्थान है जहां उत्तर में रहने वाले मुसलमानों और दक्षिण में रहने वाले ईसाइयों का आमना-सामना होता है। यही वजह है कि यह क्षेत्र दसियों साल से दोनों समुदायों के बीच हिंसा और संघर्ष के केन्द्र में रहा है। 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप के एक वकील सेकुलोव ने फेसबुक पर एक वीडियो साझा किया था जिसमें दावा किया गया था कि नाइजीरिया में मुसलमान गड़रियों ने 2001 से अब तक यानी 2018 तक करीब 60 हजार ईसाइयों की हत्या की है। कई अन्य संगठनों ने भी इसी तरह के आंकड़े छापे थे। लेकिन इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं हो सकी थी। ‘हफपोस्ट’ की रिपोर्ट के हवाले से एक लेख में था कि 2010 के बाद से किसानों और गड़रियों की बीच हिंसा में 6,500 लोग मारे जा चुके हैं।
-आलोक गोस्वामी
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