केन्द्र सरकार पर वैक्सीन की कमी का ठीकरा फोड़ने वाले विपक्षी दलों को अपने द्वारा शासित राज्यों में टीकाकरण को गंभीरता से संचालित करने पर ध्यान देने की जरूरत
एक ओर तो कांग्रेस और बाकी दूसरे विपक्षी दल वैक्सीन की कमी को लेकर आएदिन केन्द्र सरकार पर बेतुके आरोप लगाते हैं तो दूसरी तरफ अपने कोटे की वैक्सीन की बर्बादी रोकने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अभी राजस्थान से साढ़े ग्यारह लाख वैक्सीनों की बर्बादी की खबर चल ही रही है कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में बड़े पैमाने पर वैक्सीन बर्बाद होने की खबरों से स्वास्थ्य मंत्रालय चिंतित है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बार बार राज्यों से कहा है कि वैक्सीन बहुमूल्य हैं, इनकी बर्बादी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। मंत्रालय की ओर से वैक्सीन की बर्बादी को एक प्रतिशत से कम रखने की सलाह दी गई थी। लेकिन शायद राजनीतिक कारणों से कांग्रेस, कम्युनिस्ट और आआपा जैसे दलों की सरकारें अपेन यहां टीकाकरण ठीक से नहीं कर रहे हैं और वैक्सीन बर्बाद होने दे रहे हैं। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत में आगाह किया था कि हमें वैक्सीन को बर्बाद नहीं होने देना है। लेकिन राज्यों से प्राप्त ताजा आंकड़े हैरान करने वाले हैं। कांग्रेस समर्थित झामुमो सरकार के तहत झारखंड जैसे अपेक्षाकृत छोटे राज्य में 37.3 प्रतिशत वैक्सीन बर्बाद हुई हैं। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में 30.2 प्रतिशत से अधिक वैक्सीन बर्बाद हुई हैं। ये दोनों राज्य वैक्सीन बर्बाद करने में सबसे आगे हैं।
इसी तरह, द्रमुक शासित तमिलनाडु में वैक्सीन की बर्बादी 15.5 प्रतिशत है। एक रपट के मुताबिक जहां दो हफ्ते पहले हरियाणा में 6 प्रतिशत कोविशील्ड की और 10 प्रतिशत कोवैक्सिन की खुराक बेकार जाने की बात दर्ज की गई थी, वहीं अब इन आंकड़ों में सुधार हुआ है। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा की मानें तो राज्य में वैक्सीन बर्बाद होने की दर घट कर क्रमश: 3.1 और 2.4 प्रतिशत हो गई है।
एक वैक्सीन की शीशी में 10 खुराकें होती हैं यानी एक शीशी से दस लोगों का टीकाकरण हो सकता है। हालांकि ज्यादातर जगह इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि टीका लगवाने के लिए दस लोगों के आने पर ही एक शीशी खोली जाती है। कभी—कभी रखरखाव में असावधानी से वैक्सीन की शीशी टूट भी सकती है। साथ ही, वैक्सीन को एक तापमान विशेष पर रखना होता है। इसमें भी जरा सी चूक से वैक्सीन बर्बाद हो सकती है। इसीलिए मंत्रालय ने इस बर्बादी की दर एक प्रतिशत से कम रखने की सलाह दी थी। लेकिन विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में वैक्सीन बर्बादी की इतनी ज्यादा दर शंका पैदा करती है। अपने यहां वैक्सीन के सही रखरखाव और मर्यादित टीकाकरण में नाकाम रहने वाले यही नेता केन्द्र सरकार पर आक्षेप लगाकर आम जनता को भ्रम में रखने का प्रयास करते हैं।
-आलोक गोस्वामी
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