पंजाब के बठिंडा जिले के एक गांव बीड़ तालाब के एक गुरुद्वारे के ग्रंथी ने गुरु ग्रंथ साहिब के सामने अरदास करते हुए कहा कि प्रभु, प्रधानमंत्री को लंबी आयु दें, तो कुछ लोगों को यह ठीक नहीं लगा। उन्होंने पुलिस से शिकायत कर दी और अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। अरदास करने पर किसी की गिरफ्तारी की शायद यह पहली घटना होगी
ऐसा लगत है कि इन दिनों कुछ संगठनों ने पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और संघ विचार परिवार के प्रति इतनी नफरत फैला दी है कि कहीं किसी गुरुद्वारे में प्रधानमंत्री की सेहत के लिए अरदास या प्रार्थना भी की जाती है, तो अरदास करने वाले को गिरफ्तार कर लिया जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है बठिंडा में। उल्लेखनीय है कि 20 मई को बठिंडा जिले के बीड़ तालाब गांव के गुरुद्वारे के ग्रंथी गुरमेल सिंह खालसा को गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उस निर्णय का स्वागत किया है, जिसमें उसने पंजाब में अगला मुख्यमंत्री दलित समाज से बनाने की बात कही है। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने गुरुद्वारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंबी आयु के लिए अरदास की है। उन्होंने अरदास में एक परिवार द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी कराने और उस पर न्याय न मिलने का भी जिक्र किया है। उन्होंने अरदास करते हुए यह भी कहा है कि पंजाब को दो परिवार लूट रहे हैं। इसलिए किसी अनुसूचित जाति के सिर पर हाथ रखकर उसे मुख्यमंत्री बनाएं।
अरदास का वीडियो वायरल होने के बाद एक वकील हरपाल सिंह खारा ने 19 मई को पुलिस से शिकायत की थी कि ग्रंथी गुरमेल सिंह खालसा ने पांथिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इसलिए उनके विरुद्ध कार्रवाई हो। इसके बाद पुलिस ने 20 मई को गुरमेल सिंह को गिरफ्तार कर लिया और अभी वे जेल में हैं। वहीं, भाजपा ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया है। केंद्रीय राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने गुरमेल की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा है कि अरदास के मामले में गिरफ्तारी भारत का शायद पहला मामला होगा। इसके साथ ही पंजाब भाजपा ने भी इस कार्रवाई का विरोध किया है। भाजपा ने इस मामले की शिकायत अनुसूचित जाति—जनजाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला से भी की है। विजय सांपला ने स्पष्ट कहा है कि ग्रंथी चूंकि अनुसूचित जाति से हैं, इसलिए उनको निशाना बनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा, ”सिख पंथ में यदि कोई गलती करता है, तो उसे पहले अकाल तख्त बुलाया जाता है और अगर वह दोषी पाया जाता है, तो उसे तन्खैया घोषित कर किसी गुरुद्वारे में कुछ दिन सेवा करने को कहा जाता है, लेकिन यहां तो गिरफ्तारी के बाद मामला अदालत तक जा पहुंचा है।”
उन्होंने यह भी कहा, ”किसी पूजास्थल पर कोई भी व्यक्ति प्रार्थना या अरदास कर सकता है, यह उसका व्यक्तिगत मामला है। इससे किसी की पांथिक भावनाएं आहत नहीं हो सकती हैं, लेकिन ग्रंथी पर पांथिक भावानाएं भड़काने का आरोप लगाया गया है, यह भेदभाव के अलावा और कुछ नहीं है!”
बठिंडा के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि गुरमेल सिंह गांव के हर व्यक्ति की मदद करते हैं। उनके पास चार—पांच ट्रैक्टर हैं और वे उन्हें बिना किराया के गांव वालों को दे देते हैं कि जाओ डीजल डलवाकर अपने खेत जोत लो। इसके अलावा वे गांव के लोगों के सुख—दु:ख में हमेशा शामिल होते हैं। उनकी इस समाज सेवा के कारण ही उनकी पत्नी निर्दलीय चुनाव लड़कर सरपंच बनी हैं, लेकिन कुछ लोगों को उनकी यह सेवा पसंद नहीं है। शायद इसीलिए उन्होंने उनकी अरदास को मुद्दा बना दिया है।
—अरुण कुमार सिंह
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