कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कोविड-19 टीके के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। मोदी ने ट्रूडो को भरोसा दिलाया कि भारत कनाडा को कोरोना की वैक्सीन भेजकर मदद करेगा। यह वही ट्रूडो हैं जो कुछ दिन पहले कथित किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे थे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (दाएं) को आश्वस्त किया है कि वे वैक्सीन भेजने की पूरी कोशिश करेंगे
कोविड-19 के आगे घुटने टेकने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अब भारत ने सहारा दिया है। हालांकि वे भारत के साथ मित्रधर्म का निर्वाह तो नहीं कर रहे थे। वे भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के साथ-साथ अपने देश में खालिस्तानी तत्वों की हरकतों और खुराफातों को सहन करते रहे हंै।
जस्टिन ट्रूडो ने गत 11 फरवरी को कोविड-19 वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया कि भारत कनाडा के टीकाकरण प्रयासों में मदद करेगा, जैसा कि उसने पहले ही कई देशों के लिए किया है।
बता दें कि यह वही जस्टिन ट्रूडो हैं, जो दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे ‘किसानों के आन्दोलन’ का समर्थन कर रहे थे। क्या कनाडा बताएगा कि उसे किसने अधिकार दे दिया कि वह भारत के आंतरिक मामलों में अपनी टांग अड़ाए? जस्टिन ट्रूडो किसानों के आंदोलन का किसलिए साथ दे रहे थे? ट्रूडो कह रहे थे, ‘‘कनाडा दुनिया में कहीं भी किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा।’’ तब ट्रूडो यह भूल गए थे, उनके देश में भारत विरोधी तत्व खुलकर बोलते हैं। वे अपने देश के भारत विरोधी तत्वों पर बिना कोई कार्रवाई किए भारत को बिना मांगे हुए कोई ज्ञान नहीं दे सकते। उनकी हरकत से भारत नाराज था।
क्या भारत कनाडा के आंतरिक मामलों में कभी हस्तक्षेप करता है? इन ‘मेहनती किसानों’ के हक में जस्टिन ट्रूडो के अलावा वहां के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन भी बोल रहे हैं। वे घनघोर खालिस्तान समर्थक हैं। वे कुछ साल पहले भारत आए थे, तब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनसे मुलाकात करने तक से ही इंकार कर दिया था। सज्जन कतई सज्जन इंसान नहीं हैं। वह कहते हैं,‘‘भारत में शांतिपूर्ण प्रदर्शन को कुचलने की खबरें बहुत परेशान करने वाली हैं। मेरे कई मतदाताओं के परिवार वहां रहते हैं और वे अपने करीबी लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।’’ क्या सज्जन को कोई बताएगा कि सरकार और देश किसानों के साथ है। हरजीत सिंह सज्जन ने अपने एक भारत दौरे के समय 1984 में सिख विरोधी दंगों जैसे संवेदनशील सवाल को भी उठाया था। सज्जन ने एक साक्षात्कार में कहा था,‘‘1984 में भारत में सिख विरोधी दंगों से उनके देश में रहने वाले सिख बहुत आहत हुए थे। उन दंगों के संबंध में सोचकर मुझे लगता है कि हम कितने भाग्यशाली हैं कि कनाडा में रहते हैं, जिधर मानवाधिकारों को लेकर संवेदनशीलता बरती जाती है।’’ अब भारत कनाडा को कोविड-19 का टीका दे रहा है, तो उसे कनाडा से मांग करनी चाहिए कि वह अपने देश में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, साथ ही खालिस्तानी तत्वों पर तुरंत लगाम कसेगा।
क्या कोई भूल सकता है कनिष्क विमान हादसा? मांट्रियल से नई दिल्ली जा रहे एयर इंडिया के विमान कनिष्क को 23 जून, 1985 को आयरिश हवाई क्षेत्र में उड़ते समय, 9,400 मीटर की ऊंचाई पर, बम से उड़ा दिया गया था और वह अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस आतंकी हमले में 329 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। इसी दिन एक घंटे के भीतर जापान की राजधानी टोक्यो के नरिता हवाई अड्डे पर एयर इंडिया के एक अन्य विमान में विस्फोट किया गया था, जिसमें सामान ढोने वाले दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी। इस मामले में इंदरजीत सिंह रेयात एकमात्र व्यक्ति था, जिसे दोषी ठहराया गया। जिस समय उसमें बम विस्फोट हुआ, तब वह लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे से करीब 45 मिनट की दूरी पर था। कनिष्क विमान ब्रिटेन के समय के मुताबिक सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर अचानक राडार से गायब हो गया था और विस्फोट के बाद विमान का मलबा आयरलैंड के तटवर्ती इलाके में बिखर गया था। दोनों बम कनाडा के वैंकुवर शहर के खालिस्तानी आतंकियों ने 1984 के स्वर्ण मंदिर को आतंकवादियों से मुक्त कराने के लिए की गई सैन्य कार्रवाई का बदला लेने के लिए यह विस्फोट किया था।
भारत जस्टिन ट्रूडो को भी कायदे से नाराजगी जता चुका है। वह 2018 में भारत यात्रा पर आए थे। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनको समझा दिया था,‘‘भारत धर्म के नाम पर कट्टरता तथा अपनी एकता, अखंडता और संप्रभुता के साथ समझौता नहीं करेगा।’’ कनाडा की लिबरल पार्टी की सरकार के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो कहने को तो एक उदार देश से हैं, पर उन्हें भी यह समझ लेना होगा कि भारत भी एक उदार और बहुलतावादी देश है। भारत के लिए यह स्वीकार करना भी असंभव होगा कि कोई व्यक्ति या समूह भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे या इसे तोड़ने की चेष्टा करे। इस मसले पर सारा देश एक है।
अराजकता की तरफ बढ़ रहा कनाडा!
कनाडा अराजकता की तरफ बढ़ रहा है। वहां पाकिस्तानी फौजों की तरफ से बलूचिस्तान में किए जा रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली प्रखर महिला कार्यकर्ता करीमा बलोच की हाल ही में सुनियोजित निर्मम हत्या कर दी गई। उस कांड में पाकिस्तान की धूर्त खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ बताया जा रहा है।
बलोच पाकिस्तान सरकार, सेना और आईएसआई की आंखों की किरकिरी बन चुकी थीं। वह पाकिस्तान सरकार की काली करतूतों की कहानी लगातार दुनिया को बता रही थीं। इसीलिए उन्हें कथित तौर पर शांत करा दिया गया। बलोच के कत्ल ने साफ कर दिया है कि कनाडा एक अराजक मुल्क के रूप में आगे बढ़ रहा है। वहां पर खालिस्तानी तत्व तो पहले से ही जड़ें जमा चुके हैं, अब वहां पर आईएसआई भी सक्रिय हो गई है। उसकी तरफ से अब उन लोगों पर वार होते हैं, जो पाकिस्तान में मानवाधिकारों, जनवादी अधिकारों के हनन और बढ़ते कठमुल्लापन के खिलाफ बोलते हैं। यह सब उसी कनाडा में हो रहा है, जिसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसानों के आंदोलन को लेकर भारत सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।
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