बोध कथा : चतुर खरगोश और शेर

Published by
Archive Manager

दिंनाक: 09 Apr 2018 13:00:22

किसी जंगल में एक बहुत शक्तिशाली शेर रहता था। वह रोज कई जानवरों को मार कर खा जाता था। इससे डरे हुए जानवर इस चिंता में थे कि शेर इसी तरह सबको मारता रहा तो जंगल में कोई जानवर ही नहीं बचेगा। इसलिए शेर को रोकने के लिए कोई न कोई उपाय करना जरूरी था।
इस पर विचार के लिए एक दिन जंगल के सभी जानवर एकत्र हुए। तय हुआ कि उन्हें शेर से मुलाकात कर इस संबंध में बात करनी चाहिए। दूसरे दिन एक दल शेर के पास पहुंचा, जिसमें जानवरों के मुखिया शामिल थे। जानवरों के झुंड को अपनी ओर आते देख शेर घबरा गया और गरजते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है? तुम सब यहां क्यों आ रहे हो?’’ दल के नेता ने कहा, ‘‘महाराज, हम आपके पास निवेदन करने आए हैं। आप हमारे राजा हैं और हम आपकी प्रजा। जब आप भोजन के लिए बहुत से जानवरों को मार डालते हैं और सबको खा भी नहीं पाते। इस तरह से हमारी संख्या घटती जा रही है। यदि हम सभी मर जाएंगे तो आप भी राजा नहीं रहेंगे। हम चाहते हैं कि आप सदा हमारे राजा बने रहें। आपको शिकार के लिए भी भटकना नहीं पड़े, इसलिए हम स्वयं रोज तय समय पर आपके पास एक जानवर को भेज दिया करेंगे।’’
शेर को यह बात पसंद आई। थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, ‘‘अच्छी बात है। मैं तुम लोगों का सुझाव मान लेता हूं। लेकिन याद रहे, अगर किसी भी दिन मेरे लिए भोजन नहीं भेजा या देरी हुई तो मैं जंगल के सभी जानवरों को मार दूंगा।’’ जानवरों के पास शेर की शर्त मानने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। घर लौटकर जानवरों के मुखिया ने आपस में तय किया कि कौन, किस दिन शेर के पास जाएगा। इस तरह बारी-बारी रोज एक जानवर शेर के पास जाने लगा। कुछ दिन बाद खरगोशों की बारी आई। एक छोटे खरगोश को शेर के भोजन के लिए चुना गया। खरगोश भले ही छोटा था, लेकिन बहुत चतुर था। उसने सोचा, ‘‘शेर के हाथों मरना मूर्खता है। इसलिए कोई ऐसी तरकीब ढूंढनी चाहिए, जिससे सभी को हमेशा के लिए इस मुसीबत से छुटकारा मिल जाए।’’ काफी देर विचार के बाद उसे एक तरकीब सूझ ही गई। वह आराम से धीरे-धीरे चलता हुआ शेर के पास पहुंचा। उधर, भूख से बेहाल शेर दहाड़ रहा था। जब शेर ने नन्हे खरगोश को देखा तो गुस्से से बौखला गया और गरजते हुए बोला, ‘‘ तुम्हें किसने भेजा है? एक तो पिद्दी जैसे हो, दूसरे इतनी देर से आ रहे हो। जिन बेवकूफों ने तुम्हें भेजा है, मैं उन सबको मार डालूंगा।’’
नन्हे खरगोश ने विनम्रता से झुककर कहा, ‘‘महाराज! इसमें न तो मेरा और न ही किसी और का दोष है। आप कृपा करके मेरी बात सुन लें। एक छोटे खरगोश से आपका पेट नहीं भरेगा, इसलिए उन्होंने छह खरगोश भेजे थे, पर रास्ते में एक और शेर मिल गया। वह पांच खरगोशों को मारकर खा गया।’’ यह सुनते ही शेर बोला, ‘‘क्या कहा? दूसरा शेर? कौन है वह? तुमने उसे कहां देखा?’’ खरगोश ने कहा, ‘‘महाराज, वह जमीन के अंदर एक बड़ी गुफा में रहता है। वह तो मुझे भी मारने जा रहा था। पर मैंने उससे कहा कि आपको नहीं पता, आपने क्या कर दिया। हम सभी अपने महाराज की भूख मिटाने जा रहे थे, पर आपने उनका खाना खा लिया। हमारे महाराज बहुत गुस्सा होंगे और वे आपको जरूर मार डालेंगे। यह सुनकर उसने कहा कि मूर्ख, इस जंगल का राजा सिर्फ मैं हूं। यहां मेरा शासन है और मैं जिसके साथ जो चाहे कर सकता हूं। जिस मूर्ख को तुम अपना राजा कहते हो, उसे मेरे सामने लेकर आओ। मैं उसे बताऊंगा कि असली राजा कौन है। बस महाराज, उस शेर ने इतना कहकर मुझे आपको लाने के लिए भेजा है।’’ खरगोश की बात सुनकर शेर बहुत क्रोधित हुआ। वह दहाड़ते हुए बोला, ‘‘तुरंत मुझे उस जगह ले चलो। अब तो उसे मारने के बाद ही भोजन करूंगा।’’
‘‘चलिए महाराज।’’ रास्ता दिखाते हुए खरगोश शेर को एक कुएं के पास ले गया और बोला, ‘‘महाराज, वह दुष्ट शेर जमीन के नीचे इसी गुफा में रहता है। सावधान रहिएगा महाराज।’’ शेर ने कहा, ‘‘तुम मेरी चिंता मत करो। बस यह बताओ कि वह है कहां?’’ खरगोश बोला, ‘‘हमें तो वह यहीं मिला था, पर शायद आपको आता देखकर वह इस गुफा में छिप गया है।’’
यह कहकर उसने शेर को कुएं में झांकने के लिए कहा। शेर ने झांका तो कुएं के पानी में उसे अपनी परछाई दिखी। उसने समझा कि दूसरा शेर अंदर छिपा है। वह जोर से दहाड़ा तो उसे अपनी प्रतिध्वनि सुनाई पड़ी। शेर ने समझा कि दूसरा शेर उसे ललकार रहा है। लिहाजा उसने तुरंत कुएं में छलांग लगा दी। कुछ देर बाद शेर डूब कर
मर गया।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि संकट के समय भी हमें सूझ-बूझ और चतुराई से काम लेना चाहिए और आखिरी दम तक प्रयास करना चाहिए। सफलता अवश्य मिलेगी।      

वर्ग पहेली-5
वर्ग पहेली-4 का उत्तर

वर्ग पहेली का जवाब इस पते पर भेजें:-
पाञ्चजन्य साप्ताहिक
संस्कृति भवन
 2322, लक्ष्मीनारायण गली, पहाड़गंज, नई दिल्ली-110055
e-mail: balchaupal.panchjanya@gmail.com

क्या आप जानते हैं?
1.    सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्म कहां हुआ था?
2.     अर्जुन के धनुष का क्या नाम था?
3.     भगवान कृष्ण के महाअस्त्र का नाम क्या था?
4.     भगवान कृष्ण के शंख का नाम क्या था?
5.     नंदिनी गाय किस ऋषि के पास थी?
उत्तर- 1. पटना 2. गांडीव 3. सुदर्शन चक्र 4. पाञ्चजन्य 5. वशिष्ठ

पिछले अंक के जवाब-
1. 1953
2. भाई-भाई
3. महात्मा बुद्ध
4. गुरु गोविंद सिंह
5. सिक्किम

बूझो तो जानें
1. एक गाड़ी में दो माताएं, दो बेटियां, एक नानी और एक  नातिन बैठी हैं। गाड़ी में कुल कितने लोग हैं?
2. यदि आज सोमवार है, तो 61 दिन बाद सप्ताह का कौन-सा दिन पड़ेगा?
3. एक पिता और पुत्र की आयु को जोड़ने पर उसका योग 66 होता है। पिता की उम्र को उलट कर लिखने से प्राप्त होने वाली संख्या बेटे की आयु है। बताइए कि पिता और पुत्र की उम्र क्या है?
उत्तर : 1. तीन। नानी, उनकी बेटी और बेटी की बेटी।  2. शनिवार। 3. इसके तीन संभावित उत्तर हैं। 60 और 06, 51 और 15 तथा 42 और 24

पिछले अंक के जवाब-
1.     सात, 2. 1 घंटा 50 मिनट या 110 मिनट, दोनों एक ही हैं  3. एक भी नहीं, क्योंकि मुर्गे
अंडे नहीं देते

Share
Leave a Comment
Published by
Archive Manager