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नई कमान,नया उत्साह और बड़ी विजय के साथ हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर कहते हैं,‘मेहनती लोगों के बलबूते आने वाले समय में प्रदेश तेज गति से आगे बढ़ेगा और बहुत जल्दी हिमाचल की सूरत बदली हुई दिखाई देगी।’ मुख्यमंत्री बनने के बाद नई दिल्ली के हिमाचल सदन में पाञ्चजन्य संवाददाता नागार्जुन और अश्वनी मिश्र ने विधानसभा चुनावों के दौरान उठने वाले मुद्दे और राज्य के मौजूदा हालात पर उनसे विस्तृत बात की। प्रस्तुत हैं उसी बातचीत के प्रमुख अंश:-
हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सरकार में बदलाव होता है। क्या यह भाजपा की अपेक्षित जीत है या प्रचंड बहुमत को आप अलग तरीके से देखते हैं?
हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में यह बात सत्य है कि 1990 के बाद से एक क्रम चला है, जिसमें एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनती रही है। लेकिन प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने पांच साल शासन किया, उससे लोगों में बहुत नाराजगी और निराशा थी। विकास कार्य ठप पड़े थे और भ्रष्टाचार चरम पर था। कानून-व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा रही। हिमाचल को हम सभी देव भूमि के नाम से जानते हैं। ऐसे में यहां गुड़िया कांड जैसी घटना ने सरकार की कार्यशैली पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा किया। इन सारे मुद्दों को लेकर राज्य की जनता में आक्रोश था। इसके साथ ही प्रदेश के लोगों को केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से बड़ी उम्मीद है। उस नेतृत्व के साथ चलने के लिए हिमाचल प्रदेश ने पहला कदम बढ़ाया है। मोदी जी अगर पूरे देश में इस प्रकार का शासन दे सकते हैं जिससे देश गौरवान्वित हुआ है तो ऐसी परिस्थिति में हिमाचल को पीछे नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसमें सहयोगी बनकर चलना चाहिए और राज्य की जनता वही काम किया है।
सरकार के 100 दिन का एजेंडा क्या है? कोई ऐसा बदलाव जो आप लाना चाहते हैं?
देखिए, हमने सभी विभागों से 100 दिन का एजेंडा तय करने को कहा है। मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता भ्रष्टाचार मुक्त शासन देना है। दूसरे नंबर पर कानून-व्यवस्था है, जिस पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न है। राज्य में लोगों के मन में पिछली सरकार के दौरान पुलिस-प्रशासन के प्रति जो अविश्वास का भाव पैदा हुआ है, उसे दूर करना और राज्य के लिए नई परियोजनाएं क्या हो सकती हैं, उन पर काम करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। विकास की दृष्टि से हिमाचल को नई दिशा दी जा सके, इसके लिए क्या-क्या किया जा सकता है। इसके लिए विभिन्न विभागों को प्रस्तुति देने को कहा है। कुल मिलकार केंद्र सरकार के सहयोग से धीरे-धीरे हिमाचल की सूरत बदलती हुई दिखाई देगी।
हिमाचल प्रदेश पर करोड़ों रुपये का कर्ज है। इस राजकीय घाटे से आप कैसे निबटेंगे?
यह कठिन काम है। इस बात से मैं सहमत हूं कि प्रदेश पर करीब 46,500 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। इस परिस्थिति के लिए अगर हम किसी को दोषी कहें तो वह है कांग्रेस का काम करने का तौर-तरीका। जमीनी स्तर पर जो काम होना चाहिए था, वह हुआ नहीं। कर्ज लेते गए और अपनी मौज-मस्ती पर पैसा खर्च करते गए। उसी कारण से यह परिस्थिति निर्मित हुई है। जहां तक इससे बाहर निकलने की बात है, तो हम जरूर इस कठिनाई से निकलने का हर रास्ता खोजेंगे। प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए केंद्र से जिन भी योजनाओं के माध्यम से खुला सहयोग मिल सकता है, वह लेने का प्रयास करेंगे और ऐसे ही प्रयासों से इस कठिनाई से पार पाएंगे।
प्रदेश में कई परियोजनाएं ठप पड़ी हैं। बिजली परियोजनाओं की स्थिति बहुत खराब है। ट्रांसमिशन लाइन नहीं है, उत्पादन लागत अधिक है और क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं है। इसके लिए कोई कार्य योजना तय की है?
निश्चित रूप से ऊर्जा के लिए हिमाचल प्रदेश का एक अलग स्थान है। बिजली उत्पादन की दृष्टि से यहां जल परियोजनाओं की क्षमता काफी है। बड़ी दुख की बात है कि पिछले कुछ सालों के दौरान ‘हाइडल प्रोजेक्ट’ सिकुड़ते चले गए। इसके कारण राज्य को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा है। इन सबको देखते हुए हमारी कोशिश यह है कि हम क्या बेहतर कर सकते हैं। इसके लिए मैंने अधिकारियों को कहा है कि बिजली के क्षेत्र में प्रदेश को आगे ले जाना है। इसके लिए अगर नीतियों में परिवर्तन करने की जरूरत पड़ती है तो हम वह भी करेंगे।
हिमालयी क्षेत्रों के लिए अलग मंत्रालय और नीति बनाने के लिए मुहिम चल रही थी। उसे आप किस तरह से देखते हैं?
मैं महसूस करता हूं कि यह एक मुहिम है और इसमें हम सहभागी बनना चाह रहे हैं। हिमालयी क्षेत्र के प्रदेशों की भौगोलिक परिस्थितियां एक जैसी हैं और समस्याएं भी साझी हैं। इसके लिए क्या किया जा सकता है, उसे देखना होगा। जल्द ही हम इन सारी चीजों पर अध्ययन कर रहे हैं कि हिमालयी क्षेत्रों की साझा समस्याओं को सामूहिक रूप से सुलझा कर कैसे आगे बढ़ा जाए। इसके लिए जो भी प्रस्ताव होंगे, उसमें हम साझीदार होंगे।
राज्य में 12-13 लाख लोग बेरोजगार हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार और खराब कानून-व्यवस्था नई सरकार के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। इनसे कैसे निबटेंगे?
बिल्कुल ये बड़ी चुनौतियां हैं। मैंने विभिन्न विभागों से कहा है कि सहज रूप से हमारी विकासात्मक गतिविधियां चलती रहेंगी, लेकिन कुछ हटकर भी काम करना होगा जिससे सरकार की पहचान बने। इसके साथ नई पहल भी करेंगे। लेकिन जब हम तेज गति से आगे बढ़ने की बात करते हैं तो हमारे रास्ते में एक बड़ी बाधा है आर्थिक स्थिति। ऐसी स्थिति में हिमाचल अपने बलबूते आगे नहीं बढ़ पाएगा। इसमें केंद्र से सहयोग की बहुत आवश्यकता है। उसकी मदद लेते हुए हम इन सब चुनौतियों से निबटेंगे और राज्य की जनभावनाओं पर खरा उतरेंगे।
गुड़िया प्रकरण ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। ऐसी स्थिति में महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाएंगे?
हिमाचल जैसे शांत राज्य में जिसे देव भूमि के नाम से जाना जाता है, वहां गुड़िया प्रकरण जैसी घटना का होना बहुत दर्दनाक है। इस पर मुझे सिर्फ इतना कहना है कि महिलाओं के साथ इस तरह की घटना न हो, इसके लिए हम गुड़िया हेल्पलाइन शुरू करने वाले हैं। साथ ही, प्रदेश के तीनों पुलिस रेंज शिमला, मंडी और कांगड़ा में स्पेशल सेल स्थापित कर उसे मुख्यमंत्री कार्यालय से जोड़ेंगे। इसमें यह भी सुनिश्चित करेंगे कि महिलाओं के विरुद्ध किसी भी तरह के अपराध, उत्पीड़न की शिकायतों सहित साइबर अपराध पर 48 घंटे के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपी जाए। महिला सुरक्षा की दिशा में यह एक शुरुआत है। पुलिस विभाग एवं प्रशासन को कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश में भ्रष्टाचार के पुराने और बड़े मामले हैं। इसे आप अपनी प्राथमिकता की सूची में कहां स्थान देते हैं?
प्रदेश में भ्रष्टाचार के जो मामले हैं, खासतौर से कांग्रेस पार्टी के नेताओं के खिलाफ, उनमें अधिकांश मामले अदालतों में हैं। इसलिए इन सब पर कुछ भी कहना ठीक नहीं है। इस पर अदालत के फैसले के मुताबिक ही कदम उठाए जाएंगे। एक बात स्पष्ट कहना चाहूंगा कि हम बदले की भावना से काम नहीं करेंगे। पर हमारी सरकार में भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान भी नहीं है।
हाल के कुछ वर्षों में प्रदेश के कई स्थानों पर कन्वर्जन की गतिविधियां काफी बढ़ी हैं। झारखंड राज्य में कन्वर्जन रोकने के लिए हाल ही में राज्य सरकार ने कानून बनाया है। क्या आप भी इसी तरह कोई ठोस कदम इस ओर उठाएंगे?
बिल्कुल, कुछ समय से कन्वर्जन के मामले संज्ञान में आए हैं। कुछ सूचनाएं हैं कि शिमला जिले में योजनाबद्ध तरीके से ऐसी गतिविधियों को अंजाम दिया गया। वैसे तो इसके लिए प्रदेश में कानून है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो हम निश्चित रूप से अलग से कानून भी बनाएंगे।
हिमाचल को सर्वाधिक राजस्व पर्यटन से मिलता है, पर सूबे में सड़कों की स्थिति जर्जर है। कुछ इलाके बर्फबारी के बाद कट जाते हैं। ऐसी स्थिति में प्राकृतिक संपदा को नुकसान पहुंचाए बिना विकास कैसे करेंगे?
पर्यटन की दृष्टि से हिमाचल देश-दुनिया में विख्यात है,लेकिन पर्यटन के क्षेत्र में राज्य को जहां पहुंचना चाहिए था, अभी तक नहीं पहुंच पाया है। पर्यटन को बढ़ावा देने में सबसे बड़ी बाधा संपर्क की आ रही है। राज्य में रेल और हवाई संपर्क नहीं है।
हालांकि कांगड़ा हवाई अड्डे से उड़ानें बढ़ी हैं, पर शिमला में हवाई सेवा छह साल के बाद शुरू हुई है। कुल्लू में हवाई अड्डा है, पर बहुत छोटा है और वहां से उड़ानें भी कम हैं। इस सबकी चिंता करते हुए ही केंद्र सरकार ने राज्य के लिए 69 चार लेन और राजमार्ग की स्वीकृति दी है। इससे पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। क्योंकि हिमाचल में पर्यटक सड़क मार्ग से ही आते हैं। दूसरी बात यहां प्राकृतिक पर्यटन ही नहीं, बल्कि धार्मिक पर्यटन, पैरा ग्लाइडिंग, ट्रैकिंग रूट, स्कीइंग की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए हमारी सरकार राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से लगेगी और उसे विकसित करेंगे।
हिमाचल प्रदेश की ताकत क्या है? भविष्य में इसकी क्या पहचान देखते हैं?
हिमाचल की ताकत अच्छे, ईमानदार और मेहनती लोग हैं। मेहनती लोगों के बलबूते आने वाले समय में प्रदेश तेज गति से आगे बढ़ेगा। राज्य की सबसे बड़ी ताकत पर्यटन, बागवानी और कृषि है। इसके अलावा, यह शिक्षा के केंद्र तौर पर भी उभर रहा है। हमारे लिए यह भी एक ताकत है।
प्रदेश में वन माफिया और खनन माफिया सक्रिय हैं। इनसे सरकार कैसे निपटेगी?
देखिए, वह दौर खत्म हो गया। अब न वन माफिया होगा और न खनन माफिया होगा। अगर माफिया हुए भी तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। हमारी सरकार जनहित की सरकार है। यहां भ्रष्टाचार और अवैध कार्य करने वाले व्यक्ति के साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। आने वाले समय में इन समस्याओं के समाधान भी दिखाई देने लगेंगे।
पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार के चुनाव में आपने नया क्या देखा?
इस बार भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाने के लिए प्रदेश के लोगों में जो उत्साह था वह अद्भुत था। इसके साथ केंद्र में हमारी पार्टी के नेतृत्व के प्रति आकर्षण दिखा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी और प्रधानमंत्री मोदी जी ने हिमाचल प्रदेश में आकर जिस तरह से खुला सहयोग दिया और प्रवास किया, पहले यह सारी चीजें बहुत कम होती थीं। साथ ही, मोदी जी ने अपने भाषण में जब यह कहा कि हिमाचल मेरे हृदय के करीब है तो हिमाचल प्रदेश की जनता ने महसूस किया कि ऐसे नेतृत्व के साथ ही चलना चाहिए,जो सबको साथ लेकर चलने में सक्षम है और हमें अपना मानता है।
कांगे्रस के चुनाव हारने और भाजपा के जीतने के तीन प्रमुख कारण क्या रहे?
भाजपा की जीत की सबसे बड़ी वजह- राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति आदर का भाव और उनकी लोकप्रियता। दूसरी वजह, हिमाचल प्रदेश में जिस प्रकार कड़ी मेहनत से पार्टी ने संगठन खड़ा किया और वातावरण तैयार करने में सफलता हासिल की, संगठन की जीत उससे ही हुई है। तीसरा कारण, प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अपनी कार्यशैली से ऐसे तमाम मुद्दों को जन्म दिया जिसके चलते राज्य की जनता का तत्कालीन सरकार के प्रति मोह भंग होता चला गया। विकास और भ्रष्टाचार को लेकर स्वयं ही सरकार ने अपनी कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाया। मुझे लगता है कि ये प्रमुख कारण हैं जिनके चलते हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सरकार बनाने में मदद मिली। जहां तक कांग्रेस पार्टी की हार के कारणों की बात है तो सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार रहा। उनका समूचा नेतृत्व ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। उन पर तमाम तरह के आरोप हैं। उनके खिलाफ मामले अदालत में चल रहे हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री का परिवार जमानत पर है, जो एक बहुत बड़ा कारण था। दूसरा, मैंने कहा कि बीते पांच वर्षों में हिमाचल में जिस पैमाने पर विकास होना चाहिए वह नहीं हुआ। बस विपक्ष के खिलाफ मामले दर्ज कराते रहे। तीसरा कारण, आखिरी के साल में कानून-व्यवस्था बहुत बिगड़ी, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी घटनाएं राज्य में घटीं जिनकी कल्पना देव भूमि हिमाचल में नहीं की जा सकती। ये सब वजहें रहीं जिनके कारण कांग्रेस की करारी हार राज्य में हुई।
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