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नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में जहां दुनियाभर के प्रकाशक अपनी पुस्तकें लेकर पहुंचे, वहीं सतत आयोजनों का एक मंच ऐसा रहा, जहां राष्ट्रवादी चर्चाएं हुई ंऔर उन विषयों पर बात की गई, जिन्हें आमतौर पर सेकुलर मीडिया नहीं उठाता। शब्दों के इस मेले का नाम था शब्दोत्सव
आदित्य भारद्वाज
प्रगति मैदान के हॉल नंबर आठ में राष्ट्रीय साहित्य संगम के बैनर तले शब्दोत्सव आयोजित हुआ। इसमें देशभर से विद्धतजन, शिक्षाविद्, पत्रकार, शोधार्थी और विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र पहुंचे।
शब्दोत्सव में सात जनवरी को ‘लेखन में विचार, धार और धारा’, विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें निष्पक्ष और जनपक्षीय पत्रकारिता पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में पाञ्चजन्य और आॅर्गेनाइजर के समूह संपादक जगदीश उपासने ने कहा, ‘‘विचार के बिना समाचार नहीं होता। पत्रकार जनपक्ष को कभी भी नजरअंदाज न करें क्योंकि पत्रकारिता का वास्तविक उद्देश्य वही है।’’ भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक के. जी. सुरेश ने कहा, ‘‘भ्रामक तथ्यों के सहारे समाज में विघटन, वैमनस्य और विष फैलाने वाली पत्रकारिता किसी का भला नहीं करती।’’ आठ जनवरी को ‘साहित्य इतिहास में मिथक और यथार्थ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध इतिहासकार कपिल कुमार ने कहा, ‘‘भारत के गौरवशाली इतिहास को तोड़मरोड़ के पेश किया जाता रहा है। यही काम फिल्म पद्मावत में किया गया।’’ इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक लोकेन्द्र सिंह लिखित पुस्तक ‘हम असहिष्णु लोग’ और डॉ. ओमप्रकाश की सृष्टि के प्रथम पत्रकार देवऋषि नारद पर आई पुस्तक का विमोचन हुआ। 10 जनवरी को शब्दोत्सव के तहत ‘कलम खामोश क्यों’ विषय पर विमर्श हुआ। इसमें उन विषयों को उठाया गया जिन पर कथित सेकुलर मीडिया लिखने से हमेशा बचता रहा है। कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक जे नंद कुमार ने हिन्दू पीड़ित और मुस्लिम पीड़ितों के लिए मीडिया की अलग-अलग दृष्टि पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा ‘‘ब्रेक इंडिया ब्रिगेड और मेक इंडिया ब्रिगेड के बीच यह एक बहुत बड़ा युद्ध है। भारत के आगे बढ़ने से यहां के बहुत से लोग चिंतित हैं। इसलिए एक साजिश के तहत भारत को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘अखलाक और जुनैद की हत्या में जिस तरह गलत तथ्यों के साथ सेकुलर मीडिया ने महीने भर प्राइम टाइम पर चर्चा चलाकर हिंदू संगठनों को कठघरे में खड़ा किया। उससे देश को तोड़ने का षड्यंत्र उजागर होता है, क्योंकि इन घटनाओं के वास्तविक कारण और थे।’’ इस दौरान लव जिहाद की सच्ची घटनाओं पर आधारित पुस्तक ‘एक मुखौटा ऐसा भी’ का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर आॅर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर, वरिष्ठ टीवी पत्रकार चंद्र्र प्रकाश, वरिष्ठ पत्रकार नीलू रंजन, दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की सहायक प्रोफेसर प्रेरणा मल्होत्रा ने भी अपने विचार श्रोताओं के सामने रखे।
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