अपनी बात  : देखिए ‘भीमा’, याद कीजिए ‘भीम’
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अपनी बात  : देखिए ‘भीमा’, याद कीजिए ‘भीम’

by
Jan 15, 2018, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 15 Jan 2018 11:11:10

कोरेगांव-भीमा का नाम दिल्ली के मीडिया में अनायास नहीं उछला है! पर अनायास लगने वाली ऐसी घटनाओं को किस तरह रचा जाता है, यह जानना हो तो गुजरात के ऊना में कथित ऊंची जाति वालों द्वारा दलितों की पिटाई का राजनीतिक ‘भूचाल’ याद कर लीजिए।
प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी की घेराबंदी के लिए तब भी ऐसा ही बवाल मचा था। लेकिन निकला क्या? दलितों को पीटने वाले कोई गोरक्षक नहीं थे, न ही पूर्व में गोरक्षा का उनका कोई रिकॉर्ड था। कुछ दलित परिवारों की जुबानी ही यह सच खुला था कि पिटाई स्थानीय कांग्रेस विधायक के करीबी सरपंच के इशारे पर की गई। और तो और, मामला गरमाने में इस्तेमाल हुआ वीडियो भी उसी के मोबाइल से बनाया गया।
फिर? फिर क्या—मामला खुला तो सरपंच जी गांव छोड़कर भाग लिए।
दिल्ली में भी कुछ ऐसा ही हुआ। कोरेगांव-भीमा के चूल्हे पर राजनीतिक रोटियां सेंकने जिग्नेश मेवानी राजधानी तो पहुंचे मगर इससे पहले ही मामला खुल गया कि प्रेस क्लब में सारा मजमा राहुल गांधी के एक करीबी के इशारे पर जमाया गया है। फिर? फिर क्या—मामला खुला तो राहुल के राजदार प्रेस क्लब छोड़कर भाग लिए।
यह देखना दिलचस्प था कि राहुल के लिए लिखत-पढ़त संभालने वाले अलंकार सवाई को जब मौके पर एक टीवी रिपोर्टर ने पकड़ा तो सवाल पूछते ही उन्होंने एक किमी. की दौड़ लगा दी…।
हो सकता है,अलंकार सवाई की स्थिति सोचकर आप मुस्करा उठें। किन्तु नहीं, यह मुस्कराने की बजाय गंभीर चिंता पैदा करने वाली स्थिति है। अरसे तक छिपे रहे जहरीले गठजोड़ अब सतह पर साफ दिख रहे हैं। ‘भारत के टुकड़े’ करने की ताल ठोकने वाले और उन्हें थामने, सहारा और समर्थन देने वालों की भ्रामक मुद्राओं के ‘टुकड़े’ जोड़कर देखिए, पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।
क्योंकि यह दौर किसी को ज्यादा ‘ज्ञान’ दिए बिना खुद से सवाल पूछने और उनके सही जवाब तलाशने का है, तो आप भी कुछ सवाल खुद से पूछिए-
-जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में इस्लामी उन्मादियों और हिंसक वामपंथियों के साझे भड़काऊ ‘खेल’ का खुलासा होने पर भी राहुल गांधी कन्हैया कुमार के समर्थन में वहां क्यों पहुंचे थे?
-वामपंथ की विभाजक राजनीति के उत्पाद और जेएनयू के पूर्व छात्र जिग्नेश मेवानी को गुजरात में कांग्रेस का समर्थन क्यों मिला? क्यों वे महाराष्टÑ तक जा पहुंचे?
-वह कौन-सी बात है जो उन्मादी उमर खालिद और वहाबी रुझान वाले अन्य कई मुस्लिम बैनरों और चेहरों को एक मंच पर खींच लाई है?
उपरोक्त तीन सवालों में राजनीतिक धूप-छांव के तीन टुकड़े ऐतिहासिक संदर्भों सहित मिला लीजिए। फिर बाबासाहब आंबेडकर रूपी प्रिज्म को इसके केंद्र में रखिए। विज्ञान की तर्ज पर किए जाने वाले इस सामाजिक-राजनीतिक प्रयोग से एक ऐसा त्रिआयामी चित्र उभरेगा जो सारी बातें साफ कर देगा।
पहला आयाम—राहुल गांधी इस सबमें शामिल होकर भी शामिल नहीं दिखना चाहते, क्योंकि वे इसका मजा लेना चाहते हैं मगर किसी आफत में पड़े बिना। वामपंथी झुकाव और नरम जवां दिखते हुए मुस्लिमों के दर्दमंद की यह छवि! क्या यह नेहरूमार्का राजनीति की तलाश है? गौर कीजिए, बंटवारे के वक्त बाबासाहेब जनसंख्या की पूरी अदला-बदली के हामी थे। यानी जिन्होंने और जिनके मजहब के आधार पर देश के टुकड़े किए, वे सभी पाकिस्तान चले जाएं। वे मानते थे कि ऐसा न हुआ तो भविष्य में भी त्रासद स्थितियां बनी रहेंगी। नेहरू का इस बात पर बाबासाहेब से विरोध था। वे विभाजन के बाद भी आक्रांता रंग-ढंग को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बताने, हिन्दू राष्टÑ-विचार को संकीर्ण ठहराने और समाजवाद का सपनीला संसार बुनने में लगे थे। अपनी इसी सोच के चलते वे हिंदू कोड बिल भी लाए, किन्तु प्रगतिशीलता और सबके लिए समानता की इन्हीं कसौटियों पर जब बाबासाहेब ने समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही तो बगलें झांकते नेहरू मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए बाबासाहेब के विरोध में उतर आए।
आज राहुल गांधी के लिए यह याद रखने वाली बात है कि नेहरू की इसी मुस्लिमपरस्ती से तंग आकर बाबासाहेब ने संसद से इस्तीफा दिया था और सही बात की उपेक्षा करने वाला कांग्रेस का यही ‘परिवार की तानाशाही’ वाला रुख उसे आज इस हाल तक ले आया है।
-वामपंथियों की आफत इस प्रयोग का दूसरा आयाम है। साक्ष्य और प्रमाण उन्हें देश और बाबासाहेब से दगा करने वाला सिद्ध करते हैं। दरअसल, 1952 में यह अपील करने वाले सीपीआई के संस्थापक सदस्य श्रीपाद अमृत डांगे ही थे कि कॉमरेड भले अपना वोट बर्बाद कर दें, लेकिन आंबेडकर को जीतने न दें। वामपंथियों के लिए याद रखने वाली बात यह है कि इस चुनाव में बुरी तरह हारे बाबासाहेब ंने वामपंथियों को इसका जिम्मेदार बताया था। डांगे के विरुद्ध उन्होंने 21 अप्रैल, 1952 को याचिका
भी दायर की, जिसमें कहा गया कि कामरेड डांगे ने कानून ताक पर रख उनके विरुद्ध अपप्रचार (प्रोपगंडा) किया।
तीसरा—आयाम दलित-मुस्लिम एकीकरण के लिए हलकान वामपंथी-इस्लामी लामबंदियों को सबसे जोरदार झटका देता है, जो आधारभूत बातों और संदर्भों को गड्ड-मड्ड करते हुए हिन्दुओं को भटकाने के खेल में उतरी हैं। यह अनायास नहीं है कि बाबासाहेब को पानी पी-पीकर कोसने वाले वामपंथी और वहाबी आज ‘जय भीम-जय मीम’ कहते हुए अपनी बात शुरू करते हैं और बातों में आग पैदा करते हुए आंखों में पानी भर लाते हैं। यह भी प्रयासपूर्वक उठाया गया कदम है कि कोरेगांव-भीमा में आयोजन का नाम उर्दू-मराठी कॉकटेल का भ्रम पैदा करते हुए ‘यलगार परिषद्’ रखा गया और मंच पर उमर खालिद, मौलाना अब्दुल हामिद अजहरी समेत भ्रामक और हिन्दू विभाजक नींव पर खड़े संगठनों (मूल निवासी मुस्लिम मंच, छत्रपति शिवाजी मुस्लिम ब्रिगेड, दलित ईलम आदि) की धमाचौकड़ी मचाई गई।
इस्लाम के भीतर दलितों के लिए जिस प्यार की बात का झूठ आज उठाया जा रहा है, उसके विषय में सारी बातें बाबासाहेब की एक टिप्पणी से साफ हो जाती हैं। उनका कहना था—‘‘इस्लाम एक बंद निकाय की तरह है, मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच जो भेद यह करता है, वह बिल्कुल मूर्त और स्पष्ट है। इस्लाम का भ्रातृभाव मानवता का भ्रातृत्व नहीं है, मुसलमानों का मुसलमानों से ही भ्रातृभाव मानवता का भ्रातृत्व नहीं है, मुसलमानों का मुसलमानों से ही भ्रातृत्व है। यह बंधुत्व है, परन्तु इसका लाभ अपने ही निकाय के लोगों तक सीमित है और जो इस निकाय से बाहर हैं, उनके लिए इसमें सिर्फ घृणा और शत्रुता ही है।’’
बाबासाहेब को रूखा, अध्यात्म से दूर और अपनी ही तरह का प्रगतिशील रंगने की ताक में बैठे वामपंथियों को खतरा बाबासाहेब के खरेपन और भारतीयता में पगे मानवीय दृष्टिकोण से है। बाबासाहेब लिखते हैं, ‘‘वामपंथ एक मोटे ताजे सूअर और इनसान के बीच फर्क नहीं समझता, जबकि सच यह है कि इनसान की आवश्यकता केवल भौतिक समृद्धि ना हो कर आध्यात्मिक समृद्धि भी होती है।’’
उपरोक्त संदर्भों के बिंब बताते हैं कि राजनीतिक-मजहबी पालेबंदियों का वास्तविक चित्र क्या है और बाबासाहेब के दौर में तब उनसे छल करने वाले, राजनीति में छल पर पलने वाले आज कैसी कसमसाहट से गुजर रहे हैं। उनका गणित साफ है—मुस्लिम वोट बैंक की कुल ताकत से बड़ा बहुसंख्य समाज का एक हिस्सा काटकर एक तरफ करना ताकि एक ओर इस अंग-भंग से भारत को एक और मजबूत देखने वाली राजनीतिक शक्ति शिथिल पड़े, तो दूसरी ओर कटी हुई बोटी से तुष्टीकरण की हसरतों और खूनी क्रांति के मरते सपने को जिंदा रखा जा सके।
बहरहाल, अच्छी बात यह है कि अपने दौर में समाज विभाजक शक्तियों को बौना साबित करने वाले बाबासाहेब वामी-इस्लामी षड्यंत्रों के इस फरसे को रोकने के लिए सूचना क्रांति के दौर में भी  अपने शब्द संदर्भों के साथ सहज रूप में हम सबके साथ खड़े हैं। समाज यदि बाबासाहेब को उनकी राष्टÑीय भावनाओं के अनुरूप पढ़े तब ही इस संघर्ष में विभाजक शक्तियों पर विजय प्राप्त कर सकता है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

माता वैष्णो देवी में सुरक्षा सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

माता वैष्णो देवी में सुरक्षा सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

कारगिल विजय यात्रा: पूर्व सैनिकों को श्रद्धांजलि और बदलते कश्मीर की तस्वीर

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दोस्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies