घुसपैठियों से ममता
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

घुसपैठियों से ममता

by
Jan 15, 2018, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 15 Jan 2018 11:11:10


ममता बनर्जी की सरकार बांग्लादेशी मुसलमानों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। न केवल उनकी पार्टी के नेता बांग्लादेशी जिहादियों को खाद-पानी मुहैया करा रहे हैं, बल्कि सरकार भी उन्हें संरक्षण दे रही है। यही वजह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए असम सुरक्षित गलियारा बन गया है। इसलिए एनआरसी प्रक्रिया उन्हें बंगलाभाषियों के विरुद्ध साजिश दिखती है

जिष्णु बसु

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में एनआरसी प्रक्रिया को बंगलाभाषियों के खिलाफ केंद्र सरकार का षड्यंत्र बताया है। उन्होंने बेवजह का विवाद खड़ा करते हुए कहा है कि असम सरकार एनआरसी की मसौदा सूची में कुछ लोगों को छोड़कर असम से बंगलाभाषियों को बाहर कर देगी।
दरअसल, ममता बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं। उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक कद्दावर नेता ने तो चिटफंड के पैसे से बांग्लादेशी जिहादियों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराया था। 2014 में वर्धमान विस्फोट, 2016 में कलियाचक दंगा और 2017 में बशीरहट दंगा, हर जगह बांग्लादेशी जिहादी सक्रिय थे, पर तृणमूल सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने बांग्लादेशी मुसलमानों को नागरिकता देने के लिए पूर्व जिला मजिस्ट्रेट के अधिकार बहाल करने को कहा था। 60 विधानसभा क्षेत्रों में तृणमूल के कट्टरवादी कार्यकर्ता सक्रिय हैं जो आसानी से जिला प्रशासन को प्रभावित कर सकते हैं। हाल ही में बांग्लादेश से और अधिक घुसपैठ के हालात बना दिए गए हैं। 17 अगस्त, 2007 को बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के खिलाफ सियालदह, मल्लिकबाजार, सीआईटी रोड, जेबीएस हल्दन एवेन्यू, अलीमुद्दीन स्ट्रीट, रिपन स्ट्रीट, रॉयड स्ट्रीट, एलियट रोड, लेनिन एवेन्यू, टॉपिया, मुलाली, एंटली, पार्क सर्कस, तिलजाला और आसपास के इलाकों में उपद्रव कराने वाले नेताओं को ममता बनर्जी ने 2014 के चुनाव में सांसद बनाया। खगरागढ़ में बम विस्फोट की जांच में पता चला कि असम में बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ हो रही है। इनमें से ज्यादातर चाय बागान मजदूर हैं जो उत्तर बंगाल में बसे हुए हैं। कुछ परिवार तो राजनीति में सक्रिय हैं। ऐसे ही एक बांग्लादेशी मुसलमान ने 24 अप्रैल, 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया की स्थापना की थी। तृणमूल कांग्रेस से जुड़े कट्टरपंथी नेताओं के लिए असम गलियारा बेहद अहम है, क्योंकि इन जिहादी तत्वों का ममता बनर्जी पर दबाव भी है।
सुहरावर्दी की मुस्लिम लीग सरकार के बाद बंगाल की ममता सरकार को सबसे ज्यादा हिंदू विरोधी माना जा रहा है। ममता बनर्जी के शासनकाल में पश्चिम बंगाल बांग्लादेशी उन्मादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गया है। 21 नवंबर, 2017 को एसटीएफ ने बांग्लादेश के दो संदिग्ध आतंकियों के साथ बंगाल के एक हथियार विक्रेता को हावड़ा रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। एसटीएफ के मुताबिक, दोनों संदिग्ध आतंकी बांग्लादेश में सक्रिय आतंकी संगठन अंसारुल बांग्ला टीम के संचालक थे। इस आतंकी संगठन का बांग्लादेश में कई ब्लॉगरों की हत्याओं से संबंध तो है ही, अलकायदा से भी संबंध है। इसके अलावा, बंगाल के सीमावर्ती जिलों में तृणमूल कांग्रेस के नेता गोतस्करी में भी शामिल हैं। तृणमूल ने बंगाल में कई कारोबारी सिंडिकेट बना रखे हैं। एक सिंडिकेट की रोज की औसत कमाई एक करोड़ रुपये से अधिक है। इस काली कमाई का इस्तेमाल व्यवस्थित तरीके से दंगे कराने में किया जाता है। पिछले साल बशीरहट दंगे में यह दिखा भी। बशीरहाट में 4 और 5 जुलाई 2017 को दंगे हुए। इसके बाद 22 -23 जुलाई को अखिल भारतीय सुन्नत उल जमायत ने बशीरहाट में आयोजित सम्मेलन में संयुक्त अरब अमीरात, कतर, सऊदी अरब व बांग्लादेशी मुस्लिम नेताओं के अलावा तृणमूल सरकार में मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक सहित पार्टी सांसद व नेताओं तथा बंदी मुक्ति मोर्चा के सचिव छोटन दास आदि को आमंत्रित किया था।
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस अपने ही जाल में बुरी तरह उलझ गई है और उसके पास इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं है।  पश्चिम बंगाल की स्थिति बेहद गंभीर है, जहां दशकों से बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ जारी है। इसके बारे में चिंता भी जताई गई। पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में गृह मामलों की स्थायी समिति ने 11 अप्रैल, 2017 को राज्यसभा में एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया था कि घुसपैठ को कई साल पहले रोका जा सकता था। मौजूदा राज्य सरकार को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने चाहिए। इससे काफी पहले आईबी के पूर्व निदेशक व राज्य के पूर्व राज्यपाल टी.वी. राजेश्वर ने बांग्लादेश से घुसपैठ पर अपने एक लेख में कहा था कि 1981 की जनगणना में प. बंगाल में जनसंख्या वृद्धि दर 23.2 प्रतिशत थी, जिसमें 29.6 प्रतिशत मुसलमान थे। राज्य की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत थी, लेकिन बांग्लादेश की सीमा से लगते जिलों में यह दर कहीं अधिक थी। मसलन 24 परगना में 2.7 प्रतिशत, नदिया में 3.3 प्रतिशत, मुर्शिदाबाद में 2.55 प्रतिशत तथा मालदा व जलपाईगुड़ी में वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.66 प्रतिशत थी। 1991 की जनगणना में यही रुझान रहा और राज्य की औसत जनसंख्या वृद्धि दर 24.73 प्रतिशत तक पहुंच गई। लेकिन उन्हीं सीमावर्ती जिलों के आंकड़े चौंकाने वाले थे। मसलन उत्तर दिनाजपुर में वृद्धि दर 34 प्रतिशत, उत्तर 24 परगना में 31.69, दक्षिण 24 परगना में 30.24, मुर्शिदाबाद में 28.20 और नदिया जिले में 29.95 प्रतिशत दर्ज की गई। इससे स्पष्ट हो गया कि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में घुसपैठ होती रही है, जो आज भी जारी है। उस समय वाम मोर्चा सरकार ने जान-बूझकर न केवल अनियंत्रित घुसपैठ की समस्या को नजरअंदाज किया, बल्कि वोट बैंक के लिए अवैध तरीके से राशन कार्ड, मतदाता पहचानपत्र आदि बनवाए।
1999 की एक घटना है। मुंबई पुलिस ने 8 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया था और उन्हें लेकर बांग्लादेश सीमा पर गई थी। लेकिन उलुबेरिया (दक्षिण) से फॉरवर्ड ब्लॉक विधायक रोबिन घोष ने उलुबेरिया रेलवे स्टेशन से बांग्लादेशी घुसपैठियों को छुड़ा लिया। स्थानीय माकपा सांसद हन्नान मुल्ला ने  तो महाराष्ट्र पुलिस के हथियार तक छीन लिए और घुसपैठियों को हर तरह की सुरक्षा भी दी। वाम मोर्चा के नेताओं ने तो यह भी कहा था कि दोनों छोर बंगालियों के हैं। वे जैसे चाहें, इस तरफ आ सकते हैं। इस तरह पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठियों को फर्जी तरीके से बसाया गया। नदिया जिले के करीमपुर से तो जेएमबी के आतंकी शकील अहमद का वोटर कार्ड भी मिला था। करीमपुर ब्लॉक-2 की मतदाता सूची में उसका नाम था। 1977 के बाद माकपा के सत्ता में आने पर पंचायत प्रधान से लेकर विधायक तक उसी के थे। इस दौरान आतंकी संगठनों को बंगाल में खूब खाद-पानी मिला। शकील उसी खाद-पानी की उपज था। शकील जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) सहित तमाम आतंकी संगठनों से समन्वय करता था और उसी ने वर्धमान में देसी बम बनाना शुरू किया। इस बांग्लादेशी ने भारतीय मुस्लिम राजिरा बीबी से निकाह किया और उसे भी जिहादी बना दिया।
दूसरी ओर, माकपा व तृणमूल कांग्रेस ने हिंदू शरणार्थियों के बारे में कभी नहीं सोचा। ये दल बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों पर चर्चा से भी बचते रहे। 2001 में बांग्लादेश में जब गठबंधन सरकार बनी तो हिंदुओं पर अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था। हजारों हिंदू मारे गए। बच्चों को जिंदा जला दिया गया। माताओं के सामने बेटियों के साथ बलात्कार किया गया। यहां तक कि मंदिरों में भी नाबालिग से लेकर वृद्ध महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। उस समय भारत सेवाश्रम संघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रामकृष्ण मिशन ने हिंदू शरणार्थियों के लिए राहत शिविर लगाए। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अमानवीय अत्याचारों के खिलाफ भाजपा ने कोलकाता, दिल्ली में कई बड़ी रैलियां कीं। 2001 में तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल की राजनीति में अपने पैर जमा चुकी थी, लेकिन उसके किसी भी नेता ने हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार पर कुछ नहीं कहा।
इसी तृणमूल ने राज्य में रोहिंग्याओं की मदद के लिए युद्ध-स्तर पर कदम उठाए ताकि इनका इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में किया जा सके। अलीपुरद्वार में गत 9 जनवरी को ममता बनर्जी ने बांग्लादेशियों को आमंत्रित किया। संदेह नहीं कि ममता बनर्जी को देर-सबेर यह एहसास हो जाएगा कि उन्होंने हिन्दुओं के प्रति दमन की नीति अपनाकर ऐतिहासिक भूल की है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies