|
पिछले दिनों जबलपुर में छह दिवसीय 8वें कटनी पुस्तक मेले एवं साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया। मेले का उद्घाटन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश उपाध्याय ने किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री उपाध्याय ने कहा कि आज के समय लोग गूगल पर ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं। यानी आने वाले समय में गूगल जो दिखाएगा, वही सही माना जाएगा। इसलिए किसी पर इतना निर्भर होना ठीक बात नहीं। साहित्य महोत्सव के पांचवें दिन बाल साहित्य व दिशा बोध विषय पर देवपुत्र पत्रिका, इंदौर के संपादक डॉ़ विकास दवे ने अपने विचार रखे। साहित्य महोत्सव के समापन पर प्रज्ञा प्रवाह के राष्टÑीय संयोजक श्री जे़ नंद कुमार की गरिमामय उपस्थित रही। उन्होंने बाल साहित्य विषय पर कहा कि बच्चों को पंचतंत्र की कहानियां पढ़ाना आज बहुत आवश्यक है, जब उनको पढ़कर तीन मंदबुद्धि राजकुमार होशियार हो सकते हैं तो आज हमारे घरों के होशियार बच्चे न जाने कितना आगे बढ़ जाएंगे। (विसंकें, जबलपुर)
संघ कार्यालय पर हमले काआरोपी गिरफ्तार
चेन्नै के चेटपट स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय पर 8 अगस्त, 1993 को किए गए बम धमाके के मुख्य आरोपी अहमद को सीबीआई ने चेन्नै से गिरफ्तार कर लिया है। आतंकी अहमद 24 साल से पुलिस व सीबीआई को चकमा देते हुए फरार चल रहा था।
उल्लेखनीय है कि इस घटना में 11 लोगों की मृत्यु व 7 लोग घायल हुए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन राज्य सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने जांच में पाया कि अहमद ही इस घटना का मुख्य आरोपी है,जिसने हमले के लिए विस्फोटक जुटाने से लेकर जिहादियों को पनाह देने तक का काम किया। प्रतिनिधि
‘ शिक्षा एवं शिक्षक एक दूसरे के पर्याय’
पिछले दिनों भोपाल में सावित्री बाई ज्योतिबा फुले जयंती के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्वत परिषद के तत्वावधान में ‘शिक्षक समाज और जीवन मूल्य’ विषय पर एक दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विद्या भारती के राष्टÑीय मंत्री श्री अवनीश भटनागर ने कहा कि शिक्षा एवं शिक्षक एक दूसरे के पर्याय हैं। जीवन मूल्य शिक्षक से जुड़ी जीवन दृष्टि है। शिक्षा का उद्देश्य मूलत: उसके द्वारा प्राप्त होने वाला विविध विषयों का ज्ञान और इससे विकसित होने वाले बालक की अंतर्निहित शक्तियां, परिवार, समाज और राष्टÑहित संरक्षण एवं बुराई के निवारण में उपयोगी सिद्धि हैं। शिक्षा का मूल उद्देश्य जीवन मूल्यों के विकास की दृष्टि प्रारंभ से ही संस्कार रूप में विकसित करना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय के कुलपति ड़ॉ प्रमोद वर्मा ने कहा कि आज बच्चों में संस्कार भरने की महती आवश्यकता है। यही उसे आगे तक ले जाने में मददगार साबित होगा। (विसंकें, भोपाल)
समर्पण का संदेश देती भारतीय संस्कृति
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित नैमिषारण्य तीर्थ में गत दिनों उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग एवं केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अखिल भारतीय ज्ञान सत्र ‘नैमिषेय शंखनाद’ का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने समारोह का औपचारिक उद्घाटन किया।
इस अवसर पर श्री नाईक ने कहा कि हमारा देश सांस्कृतिक विविधताओं का देश है। हमारी परंपरा में ही संस्कृति के उच्च मानकों के प्रति समर्पण और मानवता का पोषण और सम्मान का अनकहा संदेश समाहित है। कार्यक्रम में उपस्थित फिल्म निर्देशक डॉ़ चन्द्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि शिल्पी या कलाकार आत्मा का संस्कार करते हैं। जब व्यवस्था असफल होती है तब समाज में कला को माध्यम बनाया जाता है।
कार्यक्रम के समापन समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री स्वांत रंजन, संस्कार भारती के अखिल भारतीय संरक्षक बाबा योगेन्द्र, भजन सम्राट श्री अनूप जलोटा उपस्थित थे। इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम इस धरा की गरिमा को बनाए रखने के लिए हर
संभव प्रयास कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। प्रतिनिधि
नहीं रहे कवि बल्देव वंशी
विचार कविता आंदोलन के मर्मज्ञ, भारतीय भाषाओं की लड़ाई के योद्धा, संत साहित्य के विस्तारक और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बल्देव वंशी का जाना हिंदी साहित्य के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके जाने से भारतीय भाषाओं के संघर्ष को भी गहरा आघात लगा है। मृत्यु से एक दिन पहले 7 जनवरी को नई दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के एक कार्यक्रम में पूरे उत्साह के साथ भाग लेने के बाद वे फरीदाबाद स्थित अपने आवास पर पहुंचे थे। वहीं देर रात अस्वस्थ होने के बाद उनका निधन हो गया। भारतीय विचारों और मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता जगजाहिर थी। विचार कविता का उनका चार दशक का सफर धीरे-धीरे अध्यात्म की ओर प्रवृत्त हुआ और इसी कारण वे पूरे मनोयोग से निर्गुण संत साहित्य की ओर उन्मुख हुए और अंत समय तक इसी कार्य में जुटे रहे। उनका जन्म मुल्तान (अब पाकिस्तान) में 1 जून, 1938 को हुआ था। उन्होंने हिंदी से स्नातकोत्तर और पीएच.डी की उपाधि ली थी। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरविंद महाविद्यालय में रीडर रहे। वे अनेक संस्थाओं के संस्थापक और संरक्षक भी थे। कुछ वर्ष पहले उन्होंने संत साहित्य अकादमी की स्थापना की थी। 60 से अधिक पुस्तकों के लेखक वंशी जी 25 वर्ष तक त्रैमासिक पत्रिका ‘विचार क्रांति’ के संपादन से जुड़े रहे। साहित्य में अप्रतिम योगदान के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धाञ्जलि। – नरेश शांडिल्य
टिप्पणियाँ