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बीते डेढ़ दशक में हरियाणा ने खेल प्रदेश के रूप में पहचान बनाई है। सूबे के 73 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार,
12 कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार और दो खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया जा चुका है
अनिल
बीते करीब डेढ़ दशक में हरियाणा खेलों के क्षेत्र में बहुत तेजी से उभरा है और देश-विदेश में उसने अलग पहचान बनाई है। हॉकी, कबड्डी, कुश्ती, मुक्केबाजी, क्रिकेट, पर्वतारोहण, निशानेबाजी या एथलेटिक्स—प्रदेश में खेल के किसी भी क्षेत्र के धुरंधरों पर निगाह डालें, हरियाणा के खिलाड़ी जरूर दिखेंगे। इन खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया है कि खेलों के जरिये न केवल शोहरत, बल्कि रोजगार भी हासिल किया जा सकता है। यहां के खिलाड़ियों का ओलंपिक में भी दबदबा है। पिछले साल रियो ओलंपिक में भाग लेने वाली भारतीय टीम में हरियाणा के 22 खिलाड़ी थे, जबकि लंदन ओलंपिक में 18 खिलाड़ी थे। खास बात यह कि इन खिलाड़ियों की सूची में लड़कियों की संख्या काफी है।
एक समय था जब हरियाणा में लड़कियों को कुश्ती के लिए ज्यादा प्रोत्साहित नहीं किया जाता था, लेकिन बीते एक दशक में बहुत कुछ बदला है। रियो ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक देश की पहली महिला पहलवान हैं। कॉमनवेल्थ-2014 में भी साक्षी ने रजत पदक जीता था। रियो ओलंपिक में महिला पहलवान विनेश फोगाट और कविता कुमारी ने भी भाग लिया था। फ्री स्टाइल कुश्ती में गीता फोगाट जाना-पहचाना नाम हैं। गीता देश की ऐसी पहली महिला पहलवान हैं जिन्होंने कॉमनवेल्थ-2010 में स्वर्ण पदक जीता। उदयचंद पहलवान ने राज्य में कुश्ती को पहचान दिलाई, जबकि ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने देश-दुनिया में प्रदेश को पहचान दिलाई। भिवानी के बिलाली गांव की गीता फोगाट ने तो कुश्ती के प्रति अभिभावकों की सोच ही बदल दी। रोहतक की साक्षी मलिक उसी की अगली कड़ी हैं। 2010 में दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों ने 16 स्वर्ण, आठ रजत और आठ कांस्य पदक समेत कुल 32 पदक जीते थे।
एक समय भारतीय महिला हॉकी टीम में हरियाणा की लड़कियों का एकछत्र राज था। पूर्व कप्तान और अर्जुन पुरस्कार से समानित ममता खरब पर तो फिल्म भी बन चुकी है। ‘चक दे इंडिया’ में कोमल चौटाला का किरदार उन्हीं से गोल्डन गर्ल ममता खरब से प्रेरित था। इसके अलावा, पूर्व कप्तान सुरिंदर कौर, जसजीत कौर, प्रीतम रानी सिवाच, सीता गुसार्इं, सुमन बाला, सविता पूनिया, पूनम मलिक, रानी रामपाल, नवजोत कौर, दीपिका ठाकुर आदि ने भी हॉकी टीम का गौरव बढ़ाया है। फिलहाल महिला टीम की कमान रानी रामपाल के हाथों में है। इसी तरह पुरुष हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह और टीम के कोच संदीप सांगवान भी हरियाणा के ही हैं। महिला टीम के कोच बलदेव सिंह रहे। संदीप सिंह, मनदीप आंतिल और अब विकास दहिया एवं सुमित कुमार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, कुश्ती में चंदगी राम, योगेश्वर दत्त, रविंद्र खत्री, हरदीप सिंह आदि प्रमुख नाम हैं। वर्तमान में अंकुर मित्तल विश्व के नंबर एक निशानेबाज हैं। जबकि हिमांशु राणा भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। अभी हाल में भारतीय हॉकी टीम ने मलेशिया को हराकर एशिया कप जीता, उसमें भी हरियाणा के सुमित कुमार की अहम भूमिका रही।
1983 में भारतीय क्रिकेट टीम को विश्व कप दिलाकर कपिलदेव ने नए युग की शुरुआत की थी। ‘विजडन’ पत्रिका द्वारा सदी के सबसे बड़े क्रिकेटर के खिताब से नवाजे गए कपिल की परंपरा को हैट्रिक मैन चेतन शर्मा, वीरेंद्र सहवाग के बाद नई पीढ़ी के खिलाड़ी आगे बढ़ा रहे हैं। टी-20 विश्व कप विजेता टीम के जोगिंदर शर्मा, मोहित शर्मा और हिमांशु राणा इनमें प्रमुख हैं।
लंदन ओलंपिक में तो भारत के सात में से पांच मुक्केबाज हरियाणा के ही थे। पेशेवर मुक्केबाजी में भिवानी के विजेंदर कुमार का तो दुनिया लोहा मानती है। एथेंस ओलंपिक में विजेंदर के कांस्य पदक जीतने के बाद छोटी काशी के रूप में विख्यात भिवानी के घर-घर से मुक्केबाज निकलने लगे। आज विकास कृष्णन, सुमित सांगवान, मनोज कुमार उसी विरासत को संभालने को तैयार हैं। महिला मुक्केबाज कविता चहल ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन किया है। देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी दिलाने में सूबे के एथलीट भी पीछे नहीं हैं। पूर्व में बहादुर सिंह ने देश को बड़ी कामयाबी दिलाई तो शक्ति सिंह, नीलम जे. सिंह के बाद अब स्टीपलचेज इवेंट में फरीदाबाद के ओलंपियन अंकित शर्मा, गुरुग्राम के ओलंपियन शॉटपुट खिलाड़ी ओमप्रकाश कहराना और विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता पानीपत के नीरज चोपड़ा, भिवानी की ओलंपियन निर्मला, डिस्कस थ्रो में सोनीपत की ओलंपियन सीमा पूनिया आदि शामिल हैं। इसी तरह अर्जुन पुरस्कार विजेता और पेशेवर कबड्डी खिलाड़ी रमेश कुमार भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जिसने 2002 और 2006 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक तथा 2004 कबड्डी विश्वकप जीता था। अनूप कुमार को भी अर्जुन पुरस्कार और भारतीय महिला कबड्डी टीम के कोच सुनील डबास को द्रोणाचार्य पुरस्कार व पद्मश्री मिल चुका है।
पैरालंपिक खेलों में भी प्रदेश के खिलाड़ियों ने छाप छोड़ी है। राष्ट्रमंडल खेलों में इन्होंने पदक तो जीते ही हैं, विश्व चैम्पियनशिप में भी धाक जमाई है। यही कारण है कि हरियाणा सरकार अब उन्हें सामान्य खिलाड़ी के बराबर पुरस्कार राशि देती है। रियो ओलंपिक में हरियाणा की दीपा मलिक ने पदक हासिल किया, जबकि अर्जुन अवार्ड विजेता अमित सरोहा अंतरराष्ट्रीय चैम्पियन हैं। इसके अलावा, पर्वतारोही संतोष यादव से प्रेरणा लेकर इस क्षेत्र में भी हरियाणा के युवा नित नए कीर्तिमान बना रहे हैं। हिसार के उकलाना के गांव फरीदपुर की रहने वाली अनीता कुंडू ने देश की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। वे भारत की ऐसी पहली महिला पर्वतारोही हैं जिन्होंने चीन की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर भारत का तिरंगा लहराया। राज्य के खिलाड़ी पदक तालिका में ही आगे नहीं हैं, अपितु पुरस्कार हासिल करने में भी अव्वल हैं। यहां खिलाड़ियों का वर्चस्व इतना अधिक है कि अब तक इन के 73 खिलाड़ियों को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। देश के पदकवीरों को प्रशिक्षित करने वाले राज्य के 12 गुरुओं को भी द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। हरियाणा के सर्वोच्च खेल सम्मान से अब तक 157 खिलाड़ी सम्मानित हो चुके हैं, जबकि दो खिलाड़ियों को देश का सबसे बड़े खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया जा चुका है।
2004 से पहले खेलों के प्रति हरियाणा के अधिकांश खिलाड़ी न तो गंभीर थे और न ही अभिभाव का इसे खास तवज्जो देते थे। लेकिन एथेंस ओलंपिक में विजेंदर ने जब मुक्केबाजी में पदक जीता और अखिल कुमार ने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई तो प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लोगों को भी लगा कि उनके बच्चे भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बन सकते हैं। राज्य सरकार ने भी खेलों को बढ़ावा दिया। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारी-भरकम इनामी राशि और नौकरी देने की घोषणा की गई। इसके अलावा, खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए खेल परिसरों की स्थापना की गई ताकि उन्हें सुविधाओं के अभाव में दूसरे राज्यों में न जाना पड़े। सोनीपत के राई गांव स्थित मोतीलाल नेहरू खेल स्कूल और बहालगढ़ स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण का उत्तर भारत का सबसे बड़ा स्पोटर््स जोन हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए वरदान साबित हुआ है। मौजूदा सरकार ने राई खेल स्कूल को खेल विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की है। हरियाणा खेल प्रदेश है, लेकिन यहां एक भी खेल विश्वविद्यालय नहीं था। इसलिए खिलाड़ियों को एनआईएस प्रमाणपत्र या कोर्स करने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता था।
पिछले कुछ वर्षों से हरियाणा खुद को ‘स्पोटर््स पावरहाउस’ के रूप में प्रस्तुत करता रहा है। यही कारण है कि उसने ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के लिए इनामी राशि में भारी बढ़ोतरी की है। ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता को अब 6 करोड़, रजत पदक पर 4 करोड़ व कांस्य पदक जीतने पर 2.5 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई है। रियो ओलंपिक में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को भी 15-15 लाख रुपये देने की घोषणा की गई थी। हरियाणा की नई खेल नीति के मुताबिक, एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर 3 करोड़, रजत पदक जीतने पर 1.5 करोड़ और कांस्य पदक जीतने पर 75 लाख रुपये देगी। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक पर 1.5 करोड़, रजत पदक 75 लाख और कांस्य पदक जीतने पर 50 लाख रुपये देने की घोषणा की गई है। साथ ही, विश्व कप या विश्व चैम्पियनशिप जीतने पर इनामी राशि 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है। इन कदमों से निश्चित ही खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा।
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