पुस्तक समीक्षा - तोड़नी होगी अंग्रेजी की बेड़ी
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पुस्तक समीक्षा – तोड़नी होगी अंग्रेजी की बेड़ी

by
Sep 11, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Sep 2017 10:11:56

हिंदी के वरिष्ठ लेखक रघुवीर सहाय कहते थे-आज अंग्रेजी भाषा हमारे ऊपर परोक्ष रूप से थोपी जा रही है। इसी विचार को आगे बढ़ाने का काम कर रही है हाल ही में प्रकाशित पुस्तक 'अंग्रेजी माध्यम का भ्रमजाल'। अनेक विद्वानों, तर्कशास्त्रियों और समाजशास्त्रियों ने  माना है कि भारतीय लोग जितना अंग्रेजी पढ़ेंगे उतने ही वे भारतीयता, अपनी अस्मिता और अपनी संस्कृति से दूर होते जाएंगे और उनकी अपनी मातृभाषा अपने आप पीछे रह जाएगी। इन तथ्यों से आहत मन होकर लेखक संक्रान्त सानु ने भारत के विकास हेतु भाषा नीति निर्धारित करने पर इस ग्रंथ के माध्यम से आग्रह किया है। लेखक ने भूमिका में लिखा है कि ''भारत में केवल चार प्रतिशत लोग ही धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं।'' इसका अर्थ यह है कि प्राय: अंग्रेजी पठित लोग अपने अधूरे अंग्रेजी ज्ञान के आधार पर अपनी अंग्रेजियत का दिखावा करते हैं। वर्तमान में युवा मानते हैं कि अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा ही विकास का आधार है। इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून आदि की पढ़ाई केवल अंग्रेजी माध्यम से ही हो सकती है। लेखक के विचार में यह भ्रमजाल है।
लेखक के अनुसार अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा का संबंध आर्थिक प्रगति से जोड़ने की भ्रामक धारणा बनी हुई है। इस धारणा को उन्होंने अनेक देशों का उदाहरण देते हुए तोड़ने का प्रयास किया है। उन्होंने दुनिया के 20 धनी देशों के बारे में लिखा है कि उनमें से चार को छोड़कर बाकी देशों में हर कार्य गैर-अंग्रेजी भाषा में होता है। उच्चतम स्तर की शिक्षा भी जनभाषा में उपलब्ध है। इसके बावजूद वे प्रगति कर रहे हैं। स्विट्जरलैंड और इस्रायल बहुभाषी राष्ट्र हैं लेकिन वहां भी विदेशी भाषा का वर्चस्व नहीं है। लेखक ने स्पष्ट किया है कि अंग्रेजी का माध्यम (अध्ययन) स्थानीय संस्कृति की तुलना में विदेशी संस्कृति को महत्व देता है। औपनिवेशिक वातावरण को बढ़ावा मिलता है। अंग्रेजी के अध्ययन के लिए अलग से खर्चा करना पड़ता है।
यह दु:खद है कि भारत में अंग्रेजी को वर्तमान दौर की आर्थिक प्रगति से जोड़ा जाता है। लेखक के अनुसार वैश्विक व्यावसायिक सफलता अंग्रेजी के ज्ञान से जुड़ी है, यह बात सर्वथा मिथ्या है। यदि ऐसा होता तो चीन और जापान कभी भी सफल उद्यमी न होते। इस्रायल ने अपनी शास्त्रीय भाषा 'हिब्रू' को राजकाज की भाषा बनाकर 'सॉफ्टवेयर अग्रदूत' के रूप में प्रसिद्धि पाई है। जहां तक भारत की बात है, उन्होंने इस विषय में दोषी सरकारी नीति को माना है। सभी प्रशासनिक परीक्षाओं का माध्यम अंग्रेजी को ही बना रखा है। डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, न्यायाधीश, न्यायालय-सबकी भाषा अंग्रेजी को ही माना है। अंग्रेजी की अपरिहार्यता के तर्क प्राय: विकास और प्रगति की वकालत के नाम पर दिए जाते हैं। ये तर्क वे ही लोग देते हैं जो अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित होते हैं। लेखक के अनुसार कोलंबिया विश्वविद्यालय की गौरी विश्वनाथन की पुस्तक 'विजय के मुखौटे' में लिखा है कि- भारत में अंग्रेजी भाषी उच्च वर्ग की स्थापना हेतु त्रिपक्षीय नीति अपनाई गई। इससे स्थानीय शिक्षा का विनाश हुआ, अंग्रेजी को सरकारी उच्च वर्ग का अंग बनाया गया तथा अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की स्थापना हुई। इन्हीं सब आधार पर मैकाले के साले चार्ल्स ट्रेवेल्यान ने गर्व के साथ कहा था कि शिक्षित भारतीय हमारे से भी अधिक शुद्ध अंग्रेजी बोलते हैं।
लेखक ने लिखा है कि अंग्रेजी शिक्षा के विविध उद्देश्य हैं-प्रशिक्षित नौकरशाह तैयार करना, स्थानीय संस्कृति की निन्दा करना और विदेश प्रेम की भावना जाग्रत करना।
एक अन्य उदाहरण देते हुए लेखक ने लिखा है कि केन्या के लोकप्रिय एवं बुद्धिजीवी थियोंगो ने लेखन का प्रारंभ अंग्रेजी में किया था। परंतु सांस्कृतिक सचाई को समझकर उन्होंने अपनी लेखनी को स्थानीय भाषा 'गिकियु' की तरफ मोड़ दिया। ब्रिटिश सांसद एडवर्ड थोरंटन ने तो यहां तक कहा था कि जैसे ही भारतीय प्रथम दर्जे के यूरोपीय विद्वान बनेंगे, वे हिन्दू नहीं रहेंगे। वास्तव में भारतीय संस्कृति इस साहसिक कथन के साथ आज भी संघर्षरत है। इसी बात का समर्थन करते हुए थियोंगो ने कहा था-भाषा बच्चे के मन पर नि:सन्देह छवि निर्माण का कार्य करती है। इस भ्रमजाल की स्थिति एक सोची-समझी सरकारी नीति के परिणामस्वरूप ही पैदा हुई है। इसलिए एक सुविचारित सरकारी नीति से ही इसका समाधान हो सकता है।
लेखक ने स्पष्ट लिखा है कि उच्च शिक्षा के मंदिरों में होनहार विद्यार्थियों ने सिर्फ अंग्रेजी माध्यम के दबाव में आत्महत्या कर ली। इसके अनेक उदाहरण भी दिए हैं।
लेखक ने अंग्रेजी के अनावश्यक भार को थोपने की प्रवृत्ति से छुटकारा पाने के लिए 'एक नई सोच की आवश्यकता' पर बल दिया है। वे कहते हैं, यदि हम समय रहते नहीं चेते तो धीरे-धीरे सभी भारतीय भाषाएं लुप्त हो जाएंगी। लेखक ने स्वीकार किया है कि जब तक भारत में भारतीय भाषाओं को आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर सामने नहीं लाया जाता, तब तक वर्तमान स्थिति के प्रवाह को पलटा नहीं जा सकेगा।
लेखक ने भारत में अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं की प्रवीणता में गिरावट के विषय में लिखा है कि यद्यपि अंग्रेजी प्रशिक्षित भारतीयों की संख्या बढ़ रही है परंतु जन्म से अंग्रेजी न बोलने वालों की प्रवीणता का सूचकांक नीचे की ओर गिर रहा है। लेखक के मन में जिज्ञासा है कि भारत इंग्लिश या हिंगलिश में से क्या चुनेगा? वास्तव में यही स्थिति आगे भी रही तो हमारी भाषा अंग्रेजी भाषा की प्रवीणता से इतर हिंगलिश ही होगी। सर्वेक्षणों में पाया है कि अंग्रेजी प्रशिक्षित भारतीय विद्यार्थियों की औसतन भाषाई स्तर काफी नीचे आ गया है। अंग्रेजी माध्यम के पक्ष में मुख्य तर्क यह दिया जाता है कि गणित, विज्ञान और कंप्यूटर आदि विषयों की स्वाभाविक भाषा है। वास्तव में यह तथ्य निराधार है। यह अंग्रेजी के भ्रम को फैलाने के कुचक्र का ही अंग है। व्यावसायिक संस्थानों एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा गैर अंग्रेजी माध्यम का प्रयोग धड़ल्ले से किया जाता है। चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और अनेक राष्ट्रों के अनेक लोग एम़ बी़ ए. की उपाधि लेकर सैमसंग और टोयटा जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं।
लेखक ने विदेशी भाषा के स्थान पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग पर बल दिया है। संस्कृत आधारित तकनीकी शब्दावली के प्रयोग का रास्ता सुझाया है। संविधान में भाषा नीति में निर्देश है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 15 वर्ष के भीतर भाषा नीति लागू की जाए लेकिन आज तक उस संवैधानिक निर्देश का सम्मान नहीं किया गया।
लेखक ने पुस्तक के परिशिष्ट में अनेक विषय सम्मिलित किए हैं। बहुभाषी बाजारों के लिए तकनीकी का समर्थन किया है, इस्रायल में हिब्रू भाषा के पुनरुद्धार की चर्चा की है, अमेरिका में अंग्रेजी के प्रभुत्व के प्रति व्यवस्थित नीति पर विचार किया है। चीन की चर्चा करते हुए लिखा है कि चीन में राजनीतिक अखंडता के उद्देश्य से लिपि का एकीकरण हुआ है।
 यह भी बताया है कि मलेशिया ने न्यापालिका में अंग्रेजी के स्थान पर स्थानीय भाषा लागू करने हेतु बड़े स्तर पर परिवर्तन किए। ऐसा भारत में क्यों नहीं हो सकता?  
                                          ल्ल आचार्य अनमोल    

हिन्दुत्व की छाया में इण्डोनेशिया
इस पुस्तक में इण्डोनेशिया की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को विस्तार से बताया गया है। 17,508 द्वीपों वाला यह देश मानव इतिहास के उषा काल में भारत का हिस्सा था। इण्डोनेशिया में इस्लाम कैसे आया और किस तरह वहां
के हिन्दू मुसलमान बने, इन सबकी जानकारी इस
पुस्तक में है। पुस्तक यह भी बताती है कि अब केवल बाली में ही हिन्दू रह रहे हैं, जिनकी आबादी 80 प्रतिशत के आस-पास है।  
पुस्तक का नाम : हिन्दुत्व की छाया
में इण्डोनेशिया
लेखक :  डॉ. मोहनलाल गुप्ता
मूल्य :  350 रु.,  पृष्ठ :  176
प्रकाशक :  शुभदा प्रकाशन, 63
    सरदार क्लब योजना
वायु सेना क्षेत्र, जोधपुर (राजस्थान)

एकता-अखंडता की कहानियां  
पुस्तक में कुल 37 कहानियां हैं। इन कहानियों के जरिए लेखक ने नई पीढ़ी तक एकता और अखंडता की भावना को पहुंचाने की कोशिश की है। आज की पीढ़ी छोटी-सी बात पर उबल पड़ती है और कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाती है। यह प्रवृत्ति ही लेखक को ये कहानियां लिखने को प्रेरित करती है। किसी घटना को ही कहानी का आधार बनाया गया है।
पुस्तक का नाम :  एकता-अखंडता
             की कहानियां  
लेखक     :  आचार्य मायाराम 'पतंग'
मूल्य     :  250 रु.  पृष्ठ :  151
प्रकाशक     :   विद्या विकास एकेडमी
      2637, नेताजी सुभाष मार्ग            दरियागंज,   नई दिल्ली-110002

देशभक्ति के पावनतीर्थ  
इसमें देश को स्वतंत्र कराने वाले वीरों और स्वतंत्रा सेनानियों के अलावा उन स्थानों का परिचय दिया गया है, जहां वे रहे या उन्हें कैद कर रखा गया था। पुस्तक में ऐसे लगभग 50 स्थानों की जानकारी दी गई है और इन स्थानों के लिए ही पावनतीर्थ लिखा गया है।  सेल्युलर जेल, हुसैनीवाला, जालियांवालाबाग, सियाचिन के साथ-साथ 1962, 1965, 1971, 1999 के युद्धों पर प्रकाश डाला गया है। परमवीर चक्र विजेता बहादुर सैनिकों और युद्ध स्मारकों की सूची पुस्तक को पठनीय बनाती है।
पुस्तक का नाम : देशभक्ति के पावनतीर्थ  
लेखक              :  ऋषि राज
मूल्य : 200 रु.,  पृष्ठ :  190
प्रकाशक          :  प्रभात पेपरबैक्स
     4/19, आसफ अली रोड
    नई दिल्ली-110002 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

माता वैष्णो देवी में सुरक्षा सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

माता वैष्णो देवी में सुरक्षा सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

कारगिल विजय यात्रा: पूर्व सैनिकों को श्रद्धांजलि और बदलते कश्मीर की तस्वीर

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दोस्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies