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'भारत में एकता और अखण्डता का आधार सांस्कृतिक एकता है। ऐसे में भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।' ये विचार केन्द्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने व्यक्त किए। वे प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान तथा उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र गाजियाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'राष्ट्रवाद और मीडिया:दूरस्थ शिक्षा की भूमिका' राष्ट्रीय संगोष्ठी व कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में संस्कृति व संचार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हम सभी छोटे-छोटे प्रयासों से भी राष्ट्रवाद की भावना को चरितार्थ कर सकते हैं। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि मिशन से शुरुआत करने वाला मीडिया वैश्वीकरण के दौर में पूरी तरह सनसनी पैदा करने वाला माध्यम बन गया है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ एम़ पी़ दुबे ने वर्तमान शिक्षण प्रणाली में व्यापक परिवर्तनों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि शिक्षण उद्देश्य, पाठ्यक्रम तथा प्रणाली आदि में समयानुकूल परिवर्तन करके ही डिजिटलाइजेशन के युग में लक्ष्य पाया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) श्री पदम ने कहा कि राष्ट्र कोई भौतिक संरचना मात्र नहीं है। राष्ट्र कोई जमीन का टुकडा मात्र नहीं है और न ही यह किसी कबीले या कुनबे का नाम है। राष्ट्र एक सनातन अवधारणा है। उन्होंने कहा कि भारत का राष्ट्रवाद यूरोप के जैसा नहीं है। भारत के राष्ट्रवाद को यहां की आत्मा व अध्यात्म को बिना समझे समझा ही नहीं जा सकता।
-प्रतिनिधि
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