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इतिहास के पन्नों से – पाञ्चजन्य
वर्ष: 13 अंक: 47
6 जून ,1960
यह असम प्रदेश है
-निज संवाददाता द्वारा-
असम की सुरक्षा की दृष्टि से कितना महत्व है यह सर्वविदित है। चीन की सेना लांगजू के आधिपत्य में है। रूस, चीन का बौद्धिक दास साम्यवादी दल, अपना विघटनात्मक, राष्ट्रद्रोही प्रचार अबाधित गति से चला रहा है। इधर भ्रष्टाचारी, साम्प्रदायिक, प्रांतीय शासन इस प्रांत के संकटों की वृद्धि में चार चांद लगा रहा है।
सादुल्ला मंत्रिमण्डल ने विदेशी शासन की नीति के अनुसार इस प्रांत में पूर्व बंग के मुसलमानों को बसाने का काम प्रारम्भ किया था। सरकारी तथा
गैर-सरकारी सभी रीति से उनको भूमि आदि के पट्टे दिए जाते थे। उद्देश्य था यहां के मूल निवासियों से जनगणना में उस विशिष्ट सम्प्रदाय को संख्या बाहुल्य बनाना। जैसा कि सिलहट में परिणाम
भी निकला।
वह कार्य तब पूर्ण न हो सका था। आज उस योजना की पूर्ति जनाब चालहा साहब गौरव के साथ कांग्रेस की साम्प्रदायिकता का परिचय देते हुए कर रहे हैं। नौगांव; यरग तथा कचार जिलों की दशा इस विषय पर सोचनीय हो गई है। यहां तक कि पूर्व बंग के मुसलमानों को भी नागरिकता प्रदान करके भूमि दी जा रही है। अवैधानिक रीति से सरकारी भूमि पर कब्जा करना तथा उसे अति पुराना बताना और संरक्षण के लिए मंत्रियों की शरण लेना यह तो साधारण चाल है। सारे प्रांत में गऊ-वध बढ़ा है। सिल्चर के आस-पास तो प्रत्येक शुक्रवार को 10-20 गोवंश के वध का समाचार मानो दैनिक व्यवहार का अंग हो गया है। इतना ही नहीं तो स्त्रियों को योजनापूर्वक भगाने की योजनाएं भी बढ़ी हैं।
सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायताओं में, दैनिक शासन में यथा-संभव साम्प्रदायिक आधार पर ही, कभी-कभी तो अवैधानिक रीति से भी, पुराने लीगी मंत्री के इशारे एवं आदेश पर कार्य चल रहे हैं। इन मंत्रियों की निर्लज्जता का परिचय धान, चावल के परमिटों के वितरण प्रमाण हैं। नौगांव में विशिष्ट कृपा-पात्र को, जो कभी भी व्यापारी नहीं था, परमिट दिए जाते हैं। वह व्यवसायियों के हाथ बेचता है। इन मंत्रियों के आचरण का परिचय निम्न घटना से आंका जाता है। गौहाटी नगर में एक सरकारी मैदान छाद्याखोवा नामक मुहल्ले में है। उस मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रभात शाखा 1950 से लगती चली आती है। पांडे के लड़के खेलते हैं, अन्य लोग भी सामयिक उपयोग में लाते हैं। कभी-कभी दुर्गापूजा भी वहां होती है। मुसलमानों ने उसको ईदगाह में परिणत करने की योजना बनाई। एक सूचक-पट ''गौहाटी ईदगाह'' अंकित गाड़ दिया। सारे मैदान को ईंट की पक्की दीवाल से घेर कर केवल सम्प्रदाय की भूमि बनाने के यह कुचक्र था किन्तु प्रभात शाखा को बाधक समझकर फुटबॉल के अभ्यास की योजना बनाई। और प्रात: 5 बजे फुटबॉल के अभ्यास का एकत्रीकरण चला। आपस में व्यवस्था बन सके, ऐसा प्रयत्न शाखा अधिकारियों ने किया किन्तु वे तो अपने विशिष्ट उद्देश्य पूर्ति के लिए फुटबॉल का आडम्बर करने आते थे। परिणाम हुआ मार-पीट। उभय पक्ष घायल हुए। जिला के अधिकारियों तथा जनता का ध्यान सत्य की ओर गया। जिला अधिकारियों ने सूचक-पट हटाने का आश्वासन दिया, किंतु मुस्लिम मंत्रियों ने सूचक पट न हटाने का आदेश दिया।
'अ.भा. किसान सम्मेलन' का आंखों देखा हाल—
उत्तर प्रदेश में कम्युनिस्टों का पुराना गढ़ ढह रहा है
उत्तर प्रदेश में गाजीपुर को कम्युनिस्ट पार्टी का एक गढ़ माना जाता है। यही कारण है कि इनका अखिल भारतीय किसान सम्मेलन गाजीपुर में ही होना निश्चित हुआ।
सम्मेलन को पूर्ण सफल बनाने के लिए छह माह पूर्व से ही पार्टी कीओर से जोर-शोर के साथ प्रचार कार्य प्रारम्भ हो गया। नेताओं में श्रीगोपालन, नम्बूदरीबाद, भवानीसेन आदि तथा सिनेमा अभिनेताओं में बलराज साहनी, पृथ्वीराज कपूर, गोपीकृष्ण तथा नाट्यराज उदय शंकर भट्ट के नाम पोस्टरों, सिनेमा स्लाईड्स एवं दिवालों पर लिख-लिखकर समस्त जिले को रंग दिया गया। ऐसा आभास एवं विश्वास होने लगा कि इनका किसान सम्मेलन बहुत ही प्रभावकारी एवं फलत: पूर्ण सफल होगा। स्थानीय नेताओं ने कहना प्रारंभ किया, इस छोटे से नगर में 51 द्वार बड़े ही सज-धज के साथ बनेंगे; और 10 प्रमुख फाटकों पर 24 घण्टे लगातार शहनाई-वादन होगा।
दिनांक 14 मई से 20 तक प्रतिदिन रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर प्रसिद्ध नाटक मण्डलियों के नाटक, सिनेमा ऐक्टरों के दर्शन आदि भिन्न-भिन्न आकर्षक कार्यक्रमों के द्वारा जनता के मन को रिझाया जाएगा। यह भी अनुमान लगाया जाने लगा कि जनता की इतनी भारी भीड़ होगी कि इसे नियंत्रित कर पाना कठिन हो जाएगा। इसलिए तथाकथित नाटकीय एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में टिकट लगाने की योजना बना दी गई।
सम्मेलन की सुरक्षा की दृष्टि से एक 'आजाद नौजवान दल' की स्थापना की गई। उसमें लाठी, तलवार, भाला, गड़ासा आदि शस्त्रों की शिक्षा दी जाने लगी। जब कम्युनिस्ट नेताओं से प्रश्न होने लगे कि इस'आजाद नौजवान दल' के नाम पर मुसलमानों के संगठन की आवश्यकता क्या पड़ गई? तो इसका उत्तर नेताओं ने यह कहकर दिया कि जनसंघ को मात देने के लिए इस प्रकार की योजना बनानी पड़ी है। स्यात् पाठकों को स्मरण होगा कि अपने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से विधानसभा में कम्युनिुस्ट दल के नेता श्री झारखण्डे राय, एम.एल.ए. ने यह स्वीकृति मांगी थी कि जनसंघ आदि पार्टियों से हम अपनी रक्षा कर सकें; इसके लिए हमें एक 'आजाद नौजवान दल' की स्थापना की अनुमति दी जाए, परन्तु मुख्यमंत्री महोदय ने बहुत ही गम्भीर चेतावनी के साथ उनकी इस राष्ट्रघातक मांग को अस्वीकार कर दिया। इतना ही नहीं केन्द्रीय गृहमंत्री मा. पंतजी ने भी इस देशद्रोही योजना का तथ्यत: पता लगाने और सही होने पर उचित कार्रवाई करने का आदेश प्रदेशीय सरकार को दिया। राज्य-सरकार ने इस सम्बंध में क्या किया, कहना कठिन है। पर गाजीपुर की जनता ने तो अपने अभागे नेत्रों से ही देश की पीठ में छुरा भोंकने वाले कथाकथित 'आजाद नौजवान दल' के रूप में लाठी-बलम के साथ कवायद करते देखा।
-श्री दयाशंकर शास्त्री
दिशाबोध : हमारा लक्ष्य
'हमने किसी संप्रदाय या वर्ग की सेवा करने का नहीं, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र की सेवा करने का व्रत लिया है। सभी देशवासी हमारे बांधव हैं। जब तक हम इन सभी बंधुओं को भारत माता के सपूत होने का सच्चा गौरव प्रदान नहीं करा देंगे, हम चुप नहीं बैठेंगे। हम भारत माता को सही अर्थों में सुजला, सुफला बना कर रहेंगे। यह दशप्रहरणधारिणी दुर्गा बनाकर असुरों का संहार करेगी, लक्ष्मी बनकर जन-जन को समृद्धि देगी और सरस्वती बन कर अज्ञान-अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाएगी। हिंद महासागर और हिमालय से परिवेष्टित भारत खंड में जब तक एकरसता, कर्मठता, संपन्नता, ज्ञानवत्ता, सुख और शांति की सप्त जाह्नवी का पुण्य प्रवाह नहीं ला पाते , हमारा भगीरथ तप पूरा नहीं होगा। इस प्रयास में ब्रह्मा, विष्णु और महेश सभी हमारे सहायक होंगे। विजय का विश्वास है, तपस्या का निश्चय लेकर चलें।''
—पं. दीनदयाल उपाध्याय (विचार-दर्शन, खण्ड-7, पृ. 87-88)
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