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9 अप्रैल
रपट ‘होमवर्क हो चुका अब बस निर्णय’ से यह बात साफ है कि उत्तर प्रदेश में
सत्ता परिवर्तन हो गया है। पहले दिन से शासन-प्रशासन में जो बदलाव दिखा, वह वास्तव में काबिलेतारीफ है। भाजपा की ऐतिहासिक विजय ने विरोधियों के चेहरे से मानो मुस्कान ही छीन ली। कम से कम उन्हें इस जीत से यह पता चला कि राज्य की जनता मूर्ख नहीं है।
—श्रेया वर्मा, मेल से
उत्तर प्रदेश के मतदाता ने इस बार दिखा दिया कि विकास और बदलाव की उसे चाह ही नहीं है बल्कि राज्य को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए उसने कमर कस ली है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी की तुष्टीकरण और जातिवादी राजनीति को जनता ने आईना दिखाकर ऐसे व्यक्ति को सत्ता की कमान सौंपी है, जिस पर सभी को विश्वास है। राज्य ही नहीं देश की जनता भाजपा से हो सकता है किसी विषय पर मतभेद रखती हो लेकिन राष्ट्र और विकास के मुद्दे पर उसके स्पष्ट नजरिये की हर कोई तारीफ करता है। और यही वजह रही कि इतने बड़े प्रदेश में भाजपा को ऐतिहासिक विजय हासिल हुई।
—सौरभ त्यागी, मेल से
योगी आदित्यनाथ जी सत्ता में आते ही चुनाव से पहले घोषणा पत्र में किए गए वादों को एक एक करके पूरा करने लगे हैं। उनके इन्हीं फैसले की समूचे राज्य में ही नहीं बल्कि देश में प्रशंसा हो रही है। राज्य में बेतरतीब ढंग से फैले बूचड़खानों की बात हो या फिर राज्य में गुंडा-माफियाओं के आतंक से परेशान जनता को राहत दिलाने की बात, सभी जगह पर शासन की हनक देखने को मिल रही है। गुंडे माफिया तो ऐसे लगते हैं जैसे राज्य छोड़कर ही चले गए हों।
—राममोहन चंद्रवंशी, हरदा (म.प्र.)
योगी के रूप में राज्य को योग्य शासक मिल गया है। लेकिन मीडिया के एक वर्ग ने जिस तरह से योगी के खिलाफ मुस्लिमों में यह धारणा बनानी शुरू की कि वह मुस्लिम विरोधी हैं, उससे मीडिया के रवैये पर सवाल खड़े हुए हैं। कभी गुजरात दंगे के समय इसी मीडिया ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ भी ऐसा ही भ्रामक अभियान छेड़ रखा था। लेकिन न तो मुख्यमंत्री बनने के बाद और न तो तीन साल से प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने ऐसा कोई भी काम किया, जिससे यह कहा जाए कि वह मुस्लिम विरोधी हैं। वह तो सदैव 125 करोड़ देशवासियों की ही बात करते हैं। मीडिया अपनी विश्वसनीयता बरकार रखना चाहता है तो इस तरह से वह
किसी की छवि खराब करना बंद
करे क्योंकि समाज अब जागरूक है
और उसे अब सब पता है कि कौन
कैसा है।
—अमिश नागर, सीहोर (म.प्र.)
बीमार राज्यों की श्रेणी से अब उत्तर प्रदेश बाहर निकल कर उन राज्यों की पंगत में शामिल होगा जो देश के विकास में सहायक होते हैं। राज्य में बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने अपने-अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार और घोटाले करके राज्य को बीमारू राज्य की श्रेणी में ला दिया है। जबकि चुनाव में जनता से उन्होंने कहा था कि वे राज्य का विकास करेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया। अगर कुछ हुआ तो सिर्फ सरकार में रहे लोगों की जेबें भरीं या मुलायम परिवार की। विकास के नाम पर कहां-कहां भ्रष्टाचार हुआ, अब उसकी परतें खुल रही हैं, तो पता चल रहा है। बस यही उनके पतन का कारण रहा।
—अनुश्री खत्री, लाजपत नगर (नई दिल्ली)
योगी जी के आने के बाद उत्तर प्रदेश में गोवंश के संरक्षण के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं, वह कई मायनों में अहम हैं। आज देश ही नहीं, सभी राज्यों में गोवंश को लेकर एक अीब स्थिति बनी हुई है। हिन्दू-मुस्लिम आए दिन इसे लेकर आमने-सामने आ जाते हैं और स्थिति बेकाबू हो जाती है। सर्वविदित है कि भारतीय समाज में गाय का बड़ा ही महत्व है और हिन्दुओं की भावनाएं गाय के साथ जुड़ी हैं। इसे देखते हुए मुस्लिम समाज को चाहिए कि वह किसी भी कीमत पर हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने वाला कोई भी काम न करें। क्योांकि समाज में एकात्मकता की भावना सर्वोपरि होती है। दंगे-फसाद लोकतंत्र की मूल भावना को ठेस पहुंचाते हैं।
—अख्तर हुसैन राजा, सीतामढ़ी (बिहार)
योगी आदित्यनाथ के साक्षात्कार में स्पष्ट रूप से यह कहना कि अच्छा होगा कि सौहार्दपूर्ण तरीके से श्रीरामजन्मभूमि के मसले का समाधान हो जाए, सरकार की नीति को पटल पर रखता है। अयोध्या करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र बिन्दु है। हिन्दू समाज मस्जिदों के ढांचे बनने के इतिहास को भी बखूबी जानता है लेकिन सहिष्णुता के कारण उसने कभी तीखी प्रतिक्रिया नहीं की। अब मुस्लिम समाज के पास अपने को साबित करने का समय है। वह अयोध्या में खुद आगे आकर मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त करे, शायद यह एक बड़ा कदम होगा।
—हरिश्चन्द्र धानुक, लखनऊ (उ.प्र.
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को आपसी सहमति बनाकर हल करने का आदेश देने के कई महत्वपूर्ण अर्थ हैं। इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि यह मुद्दा न केवल जनसाधारण व शासकीय पक्षों के लिए अत्यंत संवेदनशील एवं जटिल है अपितु न्यायपालिका के लिए भी अति गंभीरता वाला है। इस मुद्दे पर राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए न्यायालय मामले को न टालकर सत्यता के साथ खड़ा होकर न्याय दे। क्योंकि 2010 का उच्चतम न्यायालय का निर्णय पहले ही
सारे विषय को लगभग स्पष्ट कर चुका है। लेकिन मुसलमानों की हठधर्मिता
के चलते मामला अभी भी अटका
हुआ है।
—पूनम राजपुरोहित, जालोर (राज.
गुजरात और बिहार में जिस प्रकार से शराब पर पूर्ण पाबंदी लागू है, वैसे ही उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को इस ओर कड़ा कदम उठाना चाहिए। यह सही है कि इससे सरकार को करोड़ों रुपए का लाभ होता है लेकिन दूसरी ओर लाखों परिवार इससे तबाह होते हैं। सरकार अगर इस पर कड़ा कानून बनाएगी तो यह राज्य की जनता के लिए अच्छा होगा।
—कृष्ण मोहन गोयल, अमरोहा (उ.प्र.
हारे दल उठा रहे सवाल
रपट ‘साख पर सवाल’ (26 मार्च, 2017) उन सभी बिन्दुओं को स्पष्ट करती है जिसके चलते अराजक दल ईवीएम जैसी विश्वसनीय प्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। इसमें मजेदार बात यह है कि जो दल सवाल उठा रहे हैं, वे हर जगह हारे हैं। लेकिन जब वही दल बिहार और दिल्ली में जीते थे, तब ईवीएम मशीनें ठीक थीं। यह कितनी हास्यास्पद बात है। आज जब विश्व में भारत की निर्वाचन प्रणाली की प्रशंसा हो रही है, ऐसे में हारे दलों द्वारा इस विश्वसनीय प्रणाली पर सवाल उठाना गलत और मूर्खतापूर्ण कार्य है। जिसे वे ईवीएम की खराबी कह रहे हैं, वह उनके बड़बोलेपन का नतीजा है।
—प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर, दिलसुखनगर (हैदराबाद
देश की चेतना है ‘हिन्दू’
हिन्दू शब्द इस्लाम या ईसाइयत के समान किसी पंथ या मत का सूचक नहीं बल्कि भारत की जीवन पद्धति का बोध कराता है। अगर कहें कि हिन्दू शब्द भारत की चेतना है, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अंग्रेजों के यहां आने से पहले देश हिन्दुस्थान के नाम से ही जाना जाता था। अंग्रेजों ने इस देश को इंडिया नाम देने के बाद हिन्दू शब्द की जगह इंडियन शब्द का प्रयोग करना शुरू किया। लेकिन अब समय है जब हम फिर से अपनी जड़ों की ओर लौटें और हिन्दुस्थानी कहने में गर्व महससू करें, क्योंकि यही हमारी वास्तविक पहचान है।
—अरुण बेरी, मेल से
सुरक्षा ली जाए वापस
पिछले काफी अरसे से फारुक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ अभियान चला रखा है। इसके बाद भी दोनों को भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा दी जाती है। फारुक अब सांसद बन गए हैं। अब उनकी रक्षा हेतु और अधिक जवान दिए जाएंगे। सवाल है कि जिन्हें वे अपनी ‘कौम का दुश्मन’ कह रहे हैं, उनसे सुरक्षा क्यों लेते हैं? उन्हें खुद इससे इंकार कर देना चाहिए। अन्यथा भारत सरकार पिता-पुत्र द्वारा चलाए गए अभियान के मद्देनजर स्वयं विचार करके अब्दुल्लाओं से सुरक्षाकर्मी वापस लें।
—अजय मित्तल, मेरठ (उ.प्र.)
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