|
'संघ की स्थापना के 90 वर्ष पूरे हो गए हैं। संघ का रूप आज इतना विशाल हो गया है कि देश-दुनिया में लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं। पिछले दिनों ख्याति प्राप्त उद्योगपति रतन टाटा नागपुर आए थे। उन्होंने पूछा था कि आप स्वयंसेवक कैसे बनाते हैं। मैंने उन्हें बताया कि संघ स्वदेशी, आत्मीयता, अनुशासन व निष्ठा भाव से चलता है। जब तक आप संघ के इन गुणों को अपने व्यक्तिगत आचरण में नहीं लाएंगे, तब तक स्वयंसेवक नहीं बनेंगे।'' ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित साउथ पार्क मैदान में 'महानगर एकत्रीकरण' के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहीं। करीब 55 मिनट के संबोधन में उन्होंने स्वयंसेवकों को कई उदाहरण देकर संघ के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा स्वयंसेवक बनाना है, जो समाज को गढ़ें। तभी संघ के साथ-साथ देश की वृद्धि होगी। आजकल अंग बनाने के लिए स्टेम सेल तकनीकी और क्लोनिंग तकनीकी भी आई हैं, जो शरीर की कोशिका से अंग का निर्माण कर देती है। प्रत्येक कोशिका में उसका बीज रहता है। संघ के साथ इतनी ही तन्मयता से जुड़ें। हम संघ में आए, लेकिन हममें संघ कितना अंदर आया, यह देखना है। श्री भागवत ने उपस्थित स्वयंसेवकों व समाज जनों से पूछा कि, देश का भाग्य बदलने वाली सरकार होती है क्या? फिर कहा, सरकार तो एक माध्यम है, देश चलाने का। यह काम समाज का है। वही इस देश का मालिक है। सरकार तो नौकर है। नौकर तब तक चुस्त रहेगा, जब मालिक चुस्त रहेगा। हम सब हिन्दू राष्ट्र के घटक हैं। हमें सदा अंग बनकर ही रहना है। संघ गढ़ने के लिए दूसरा आवश्यक घटक है, अनुशासन का पालन खुद करना। उन्होंने कहा कि संघ प्रचारकों से नहीं, एक-एक स्वयंसेवक से बनता है। इनके कार्य देखकर ही समाज के लोग संघ से जुड़ते हैं। इसलिए हम सभी को मिलकर समाज के लिए कार्य करना है और एक अच्छे समाज का निर्माण करना है। यह हमारे समाज और राष्ट्र दोनों के लिए ही हितकारी होगा।
-जमशेदपुर (विसंकें)
पथ संचलन में दिखा जोश
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नोएडा महानगर द्वारा पिछले दिनों पूर्ण गणवेश में गुणात्मक पथ संचलन का आयोजन संपन्न हुआ। संचलन निठारी स्थित सरस्वती बालिका विद्या मंदिर से चलकर सेक्टर 29 स्थित शहीद स्मारक पर संपन्न हुआ। शहीद स्मारक पर बाल स्वयंसेवकों ने सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि की वेशभूषा में झांकी प्रस्तुत कीं और शहीदों के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया। संचलन के आगे-आगे तिरंगा आकर्षण का केंद्र रहा। ल्ल मेरठ (विसंकें)
टिप्पणियाँ