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नोटबंदी से अपराध में आई कमी। चोर भी चोरी नहीं कर रहे 500 और 1,000 रुपए के नोट। आतंकवाद और नक्सलवाद के आर्थिक तंत्र पर हो रही है सीधी चोट।
मनोज वर्मा
वाराणसी में रहने वाले देवेन्द्र मिश्रा को जब यह खबर मिली की कि उनके बेटे संकल्प मिश्रा का अपहरण हो गया और ऐसे गिरोह ने अपहरण किया है जो फिरौती के लिए अपहरण करता है तो उनके होश उड़ गए। संकल्प का अपहरण बीती 8 नवंबर को उस समय कर हुआ जब वह साइकिल से अपने दोस्त के घर जा रहा था। अपहरण की जानकारी मिलते ही देवेन्द्र ने पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी। अपहरणकर्ता भी फिरौती की मांग करने लगे। उन्हें जवाब मिला कि 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट हैं। नए नोटों की व्यवस्था हो पाना मुश्किल है। अपहरणकर्ता ने बिना फिरौती लिए संकल्प को दूसरे दिन फतेहपुर जिले के बाईपास पर छोड़ दिया और फरार हो गए।
देवेन्द्र मिश्रा भगवान के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार प्रकट करते हुए कहते हैं, प्रधानमंत्री के नोटबंदी के कारण ही अपहरणकर्ताओं का खेल बिगड़ा और उनका बेटा सकुशल वापस घर लौट आया। असल में नोटबंदी ने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपहरण की घटनाओं में अचानक कमी ला दी है। पर असल में नोटबंदी का असर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। वे ठेकेदार खुश हैं, जो गांव और वनवासी क्षेत्रों में विकास योजनाओं का निर्माण का कार्य करते हैं। नक्सली लेवी के रूप में ऐसे ठेकेदारों से मोटी रकम मांगते हैं, लेकिन जब से नोटबंदी हुई है नक्सलियों का भी अर्थतंत्र ध्वस्त होता नजर आ रहा है।
खुफिया ऐजंेसियों के एक अनुमान के मुताबिक नक्सली नक्सल प्रभावित एक दर्जन राज्यों से हर साल करीब 1,500 करोड़ रुपए की विभिन्न स्तर पर वसूली करते हैं। अब बिहार, झारंखड और छत्तीसगढ़ में नक्सली अपने पुराने पैसे को ठिकाने लगाने के लिए परेशान हैं। बैंकों पर पुलिस की नजर है। लिहाजा कई मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं जिनमें ग्रामीण और वनवासी क्षेत्रों में आम लोगों को 500 और 1,000रु. के नोट देकर उसे बदलवाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
जैसा कि लातेहार (झारखंड) के पुलिस अधीक्षक अनुप बिरथरे ने कहा भी कि कई ग्रामीणों ने इस बात की शिकायत की है कि कुछ लोग पुराने नोट बदलवाने के लिए धमका रहे हैं। दरअसल, नक्सलियों का पूरा तंत्र अवैध वसूली पर टिका है और वह वसूली इन दिनों नहीं हो पा रही है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं कि नोटबंदी का फैसला भ्रष्टाचार पर तो अंकुश लगाएगा ही साथ ही आतंकवाद और नक्सलवाद को रोकने में भी अहम भूमिका निभाएगा। कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थरबाजी की घटनाएं लगभग थम सी गई हैं। कारण आतंकवादी और अलगाववादी संगठन घाटी के युवकों को पैसा देकर पत्थरबाजी के लिए उकसाते हैं।
नोटबंदी का असर केवल अपहरण, नक्सलवाद और आतंकवाद पर ही नहीं, बल्कि दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में अपराध पर अंकुश लगाता दिख रहा है। कम से कम मुंबई और दिल्ली एनसीआर में दर्ज अपराध के आंकड़ों से ऐसा ही लग रहा है। नोटबंदी के बाद से मुंबई में अपराध में करीब 30 फीसदी की कमी के संकेत हैं। वहीं नोएडा और नासिक में घटी अलग-अलग घटनाओं में अपराधियों ने घर में चोरी के दौरान 100 के नोट ही चुराए। सिर्फ मुंबई की बात करें तो 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से 13 नवंबर तक मुंबई शहर में 290 अपराध दर्ज हुए हैं, जबकि इससे पहले के सप्ताह में अपराध के दर्ज मामलों की संख्या करीब 400 थी। इसी प्रकार 31 अक्तूबर 2016 से लेकर 6 नवंबर 2016 के बीच जहां मुंबई में चोरी की 118 घटनाएं घटी थीं, वहीं इसके बाद के सप्ताह में 99 घटनाएं चोरी की हुईं। इसी प्रकार दिल्ली से सटे गुरुग्राम में 8 नवंबर से 16 नवंबर के बीच 55 आपराधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि इससे पहले के सप्ताह में 82 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। यानी नोटबंदी के फैसले का यह एक सकारात्मक पहलू है जो अपराध के आर्थिक तंत्र पर सीधी चोट कर रहा है।
नोटबंदी का फैसला भ्रष्टाचार पर तो अंकुश लगाएगा ही साथ ही आतंकवाद और नक्सलवाद को रोकने में भी अहम भूमिका निभाएगा। —राजनाथ सिंह,गृह मंत्री
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